Legal Allegations: Kris Gopalakrishnan Infosys के को-फाउंडर पर SC/ST एक्ट का केस, जानिए सच्चाई और इससे जुड़े तथ्य I 2025

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि एक ऐसा इंसान जिसने भारत की सबसे प्रतिष्ठित IT कंपनी Infosys को खड़ा किया, जिसे पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जिसकी नेटवर्थ हजारों करोड़ में आंकी जाती है, अचानक एक आपराधिक मुकदमे में फंस जाता है। यह वही इंसान है जिसने भारत में स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए, जिसने हजारों लोगों को रोजगार देने में अहम भूमिका निभाई, और जिसे पूरे देश में एक प्रतिष्ठित बिजनेसमैन के रूप में जाना जाता है।

लेकिन आज, उसी व्यक्ति के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने Indian Institute of Science (IISC) के एक फैकल्टी मेंबर को झूठे केस में फंसाया, जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।

यह घटना सिर्फ एक आम आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि यह भारत के टेक्नोलॉजी, न्याय प्रणाली और सामाजिक ताने-बाने पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा सकती है। यह केवल Kris Gopalakrishnan की प्रतिष्ठा को ही नहीं, बल्कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत और न्यायिक व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकती है। सवाल यह है कि क्या यह सच में एक बड़ा खुलासा है या फिर यह एक सुनियोजित साजिश? क्या यह मामला न्याय की जीत के लिए उठाया गया कदम है, या फिर यह किसी की व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीति से प्रेरित आरोप है? इस पूरे घटनाक्रम की गहराई में जाने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि Kris Gopalakrishnan कौन हैं, और उनकी पृष्ठभूमि क्या है?

Kris Gopalakrishnan कौन हैं, और उन्होंने Infosys के संस्थापक से लेकर अरबपति तक का सफर कैसे तय किया ?

Kris Gopalakrishnan का नाम भारत की टेक इंडस्ट्री में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह उन छह दोस्तों में से एक थे, जिन्होंने 1981 में Infosys की नींव रखी। यह वह समय था जब भारत में आईटी इंडस्ट्री सिर्फ उभर रही थी, और उन्होंने अपने बिजनेस व विजन से इसे ग्लोबल स्टेज तक पहुंचाया। Infosys का हेड ऑफिस पुणे में शुरू हुआ था, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता के चलते इसे बेंगलुरु में स्थापित किया गया, जो अब भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से प्रसिद्ध है।

Kris Gopalakrishnan 2007 से 2011 तक Infosys के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर रहे, और बाद में 2011 से 2014 तक वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्य किया। उनके कार्यकाल में Infosys दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित I T कंपनियों में शामिल हुई, और उन्होंने टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में बड़े बदलाव लाने का काम किया। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए 2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान भारत में विज्ञान और व्यापार जगत में असाधारण योगदान देने वाले लोगों को दिया जाता है, और यह इस बात का प्रमाण था कि क्रिस ने भारतीय टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उनकी शिक्षा IIT मद्रास से हुई, जहां उन्होंने फिजिक्स और कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स किया। करियर की शुरुआत पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स से हुई, लेकिन Infosys के जरिए उन्होंने I T इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज क्रिस स्टार्टअप एक्सेलेरेटर ‘एक्सिलर वेंचर्स’ के अध्यक्ष हैं और टेक इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन अब, उनके नाम पर लगे इस केस ने उनके करियर और प्रतिष्ठा को एक अलग ही मोड़ दे दिया है।

SC/ST एक्ट के तहत उनके खिलाफ दर्ज केस में क्या आरोप लगाए गए हैं?

बेंगलुरु में सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, Kris Gopalakrishnan पर आरोप है कि उन्होंने Indian Institute of Science (IISC) के एक फैकल्टी मेंबर को झूठे हनीट्रैप केस में फंसाया, और फिर जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी। यह आरोप बेहद गंभीर हैं, क्योंकि इसमें एससी/एसटी समुदाय के खिलाफ भेदभाव और अन्याय के पहलू भी जुड़े हुए हैं। भारत में Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी दलित या आदिवासी व्यक्ति के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करता है या उनके अधिकारों का हनन करता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है।

इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा हो सकती है। एक झूठे हनीट्रैप केस में फंसाया गया और उसके बाद उन्हें उनकी नौकरी से निकाल दिया गया। उनका दावा है कि यह पूरा मामला जातिगत भेदभाव और पेशेवर दुश्मनी का परिणाम था। इस केस को और गंभीर इसीलिए माना जा रहा है क्योंकि दुर्गाप्पा का कहना है कि, उनके खिलाफ साजिश रचने वालों में केवल Kris Gopalakrishnan ही नहीं, बल्कि 16 और बड़े अधिकारी शामिल थे, जिनमें के पूर्व डायरेक्टर बलराम का भी नाम है।

यह मामला कब शुरू हुआ?

यह पूरा विवाद 2014 में शुरू हुआ जब दुर्गाप्पा पर एक हनीट्रैप केस दर्ज किया गया था। उनका कहना है कि यह मामला पूरी तरह से झूठा और गढ़ा हुआ था, और इसे उनकी जाति के आधार पर उन्हें टारगेट करने के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें इस मामले के आधार पर संस्थान से निकाल दिया गया, जबकि वह निर्दोष थे। उनका दावा है कि इस पूरे मामले में बड़ी संस्थागत साजिश थी, जिसमें कई उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल थे। एफआईआर के अनुसार, दुर्गाप्पा को लगातार जातिसूचक गालियां दी गईं और मानसिक प्रताड़ना दी गई, जिससे उनका करियर पूरी तरह से नष्ट हो गया।

अब जबकि एफआईआर दर्ज हो चुकी है, पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह होगा कि क्या 2014 में दर्ज हनीट्रैप केस वाकई में फर्जी था? अगर यह साबित होता है कि वह मामला झूठा था और जानबूझकर दर्ज कराया गया था, तो यह Kris Gopalakrishnan के लिए कानूनी रूप से मुश्किल भरा समय हो सकता है। हालांकि, यह भी संभव है कि इस केस को साबित करना आसान न हो, क्योंकि यह घटना एक दशक पहले की है और इसमें बहुत सारे कानूनी और प्रशासनिक पहलू शामिल हैं।

अगर जांच में सबूत मिलते हैं तो Kris Gopalakrishnan और अन्य आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है। अगर सबूत नहीं मिलते, तो यह मामला बंद हो सकता है और इसे केवल एक राजनीतिक या व्यक्तिगत विवाद माना जाएगा।

Conclusion

तो दोस्तों, यह मामला टेक्नोलॉजी, न्याय प्रणाली और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ा हुआ है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक बड़ा विवाद बन सकता है। अगर आरोप झूठे निकले, तो यह सिर्फ एक ताकतवर बिजनेसमैन को बदनाम करने की साजिश साबित होगी। आने वाले हफ्ते इस केस का भविष्य तय करेंगे। क्या सच में Kris Gopalakrishnan दोषी हैं, या यह सिर्फ एक और मीडिया ड्रामा है?

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