नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि जिस तकनीक को हम अपने काम को आसान बनाने के लिए अपना रहे हैं, वही तकनीक एक दिन हमारी नौकरियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगी? क्या आपने कभी यह कल्पना की थी कि जिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को भविष्य का सबसे बड़ा वरदान माना जा रहा था, वही हजारों लोगों की नौकरियां छीन लेगा? कुछ साल पहले तक जब भी यह कहा जाता था कि AI नौकरियों के लिए खतरा बन सकता है, तो बहुत से Expert इसे सिरे से नकार देते थे।
उनका कहना था कि AI का काम इंसान की मदद करना है, न कि उसकी जगह लेना। लेकिन अब हालात कुछ और ही कहानी कह रहे हैं। वही हुआ जिसका डर था। AI ने अब नौकरियों पर सीधा हमला बोल दिया है। इसका सबसे ताजा उदाहरण है दुनिया की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली, जिसने घोषणा की है कि वह इस महीने के अंत तक अपने 80,000 कर्मचारियों में से 2,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा देगा।
मॉर्गन स्टेनली ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब कंपनी ने 2024 में 62 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड रेवेन्यू दर्ज किया था। यानी कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के बावजूद उसने छंटनी का फैसला किया है। सवाल यह है कि आखिर कंपनी ने ऐसा क्यों किया? क्या AI ने इंसानों की उपयोगिता को खत्म कर दिया है? क्या भविष्य में नौकरियों का संकट और भी गहराएगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
मॉर्गन स्टेनली ने छंटनी के पीछे जो कारण बताए हैं, उनमें सबसे बड़ा कारण है – AI और ऑटोमेशन। पिछले कुछ वर्षों में मॉर्गन स्टेनली ने AI पर बड़े पैमाने पर Investment किया है। कंपनी ने सितंबर 2023 में एक AI नॉलेज असिस्टेंट टूल लॉन्च किया था, जो कंपनी के फाइनेंशियल एडवाइजर्स को जल्दी से रिसर्च और डेटा खोजने में मदद करता है। इस टूल की वजह से कर्मचारियों का रिसर्च का काम पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया।
इसके बाद जून 2024 में कंपनी ने एक नया AI टूल लॉन्च किया, जो क्लाइंट्स के साथ होने वाली वीडियो मीटिंग के दौरान ऑटोमेटिक रूप से नोट्स लेता है। इसके अलावा, यह टूल क्लाइंट की प्रतिक्रिया के आधार पर एनालिसिस भी करता है। कंपनी का कहना है कि इन AI टूल्स की वजह से कर्मचारियों का 10 से 15 घंटे प्रति सप्ताह का समय बच रहा है। कंपनी के सीईओ (Ted Pick) ने इसे गेम चेंजर बताया है।
लेकिन इस गेम चेंजर के पीछे की असली कीमत अब कर्मचारियों को चुकानी पड़ रही है। क्योंकि जब AI कर्मचारियों के काम को तेजी से करने में सक्षम हो गया, तो कंपनी ने महसूस किया कि अब उतने ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत नहीं है। पहले जो काम इंसान हफ्तों में करता था, वही काम AI कुछ मिनटों में कर ले रहा है। इससे कंपनी के लिए खर्च कम करने का मौका मिल गया। और जब कंपनी ने देखा कि AI के कारण कई कर्मचारियों की जरूरत ही नहीं रही, तो उसने छंटनी का फैसला कर लिया।
मॉर्गन स्टेनली ने यह छंटनी अपने सभी डिपार्टमेंट्स में की है। हालांकि, कंपनी ने साफ किया है कि 15,000 फाइनेंशियल एडवाइजर्स को इससे अलग रखा गया है। लेकिन बाकी विभागों के कर्मचारियों को बड़ी संख्या में निकाला गया है। छंटनी के इस फैसले से कंपनी का मकसद है – खर्चों को कम करना और ऑटोमेशन के जरिए अधिक मुनाफा कमाना। कंपनी का मानना है कि AI की वजह से उसके कुल खर्चों में कमी आएगी और इससे प्रॉफिट मार्जिन और भी बेहतर हो जाएगा।
हालांकि, ये सिर्फ मॉर्गन स्टेनली तक सीमित नहीं है। AI का दबदबा पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री में बढ़ता जा रहा है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन और गोल्डमैन सैक्स जैसे दुनिया के 100 से ज्यादा बैंकों के उच्च अधिकारियों ने यह माना है कि, अगले 3 से 5 सालों में उनके यहां 3% नौकरियां AI के कारण खत्म हो जाएंगी। इसका मतलब है कि सिर्फ अमेरिका में ही करीब 2,00,000 नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
AI का असर सिर्फ बैंकिंग सेक्टर तक सीमित नहीं है। टेक इंडस्ट्री पहले से ही इस दबाव का सामना कर रही है। 2023 में (Google) ने करीब 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था। इसी तरह (Microsoft) ने भी अपने कर्मचारियों की संख्या में बड़ी कटौती की थी। अब बैंकिंग सेक्टर भी इसी रास्ते पर चल पड़ा है। सवाल यह है कि आखिर AI ने ऐसा क्या कर दिया है कि कंपनियां बड़े पैमाने पर इंसानों की जगह मशीनों को दे रही हैं?
असल में, AI ने कंपनियों के ऑपरेशन्स को पहले से कहीं ज्यादा कुशल बना दिया है। AI के जरिए डेटा प्रोसेसिंग, रिसर्च, मार्केट एनालिसिस और कस्टमर सपोर्ट का काम पहले से कहीं ज्यादा तेजी से हो रहा है। पहले जिस काम के लिए कंपनियों को सैकड़ों कर्मचारियों की जरूरत होती थी, अब वही काम AI के जरिए चंद सेकंड्स में हो जाता है। इससे कंपनियों के लिए दो बड़े फायदे हो रहे हैं – पहला, खर्च कम हो रहा है और दूसरा, प्रोडक्टिविटी बढ़ रही है। यही कारण है कि कंपनियां अब AI को तेजी से अपना रही हैं।
लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि इंसानों की जरूरत धीरे-धीरे कम हो रही है। अगर AI का ट्रेंड इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में लाखों नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि AI के कारण सिर्फ बैंकिंग सेक्टर में ही नहीं, बल्कि हेल्थकेयर, लॉजिस्टिक्स, एजुकेशन और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी नौकरियों पर संकट आ सकता है।
बड़े बैंकिंग संस्थानों के शीर्ष अधिकारी भी मान रहे हैं कि AI एक डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी है। इसका मतलब है कि AI सिर्फ एक नई तकनीक नहीं है, बल्कि यह इंडस्ट्री के पूरे ऑपरेशनल मॉडल को बदल रही है। अब कंपनियों को अपने ऑपरेशन्स में इंसानों की उतनी जरूरत नहीं है। यही कारण है कि AI के कारण नौकरियां लगातार घट रही हैं।
इस स्थिति ने अब दुनिया के बड़े अर्थशास्त्रियों और पॉलिसी मेकर्स के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सवाल यह है कि अगर AI के कारण नौकरियां खत्म होती रहीं, तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? क्या बेरोजगारी बढ़ेगी? क्या नई नौकरियां पैदा होंगी या फिर इंसान को एक ऐसे भविष्य के लिए तैयार होना होगा, जहां काम का स्वरूप पूरी तरह से बदल जाएगा?
AI का युग अब शुरू हो चुका है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या इंसान AI के साथ कदम से कदम मिलाकर चल पाएगा? या फिर आने वाले वर्षों में AI इंसानों की जगह पूरी तरह से ले लेगा? इस सवाल का जवाब तो वक्त ही देगा। लेकिन एक बात तय है – AI का दौर अब पूरी तरह से हकीकत बन चुका है। जो लोग अब भी यह मान रहे हैं कि AI सिर्फ इंसानों की मदद करेगा और नौकरियों पर असर नहीं डालेगा, उनके लिए मॉर्गन स्टेनली का यह कदम एक बड़ा सबक है। AI ने सिर्फ गेम नहीं बदला है, बल्कि पूरा खेल ही पलट दिया है।
Conclusion:-
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