नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में, जहां एक कप चाय भी 10 रुपये में मुश्किल से मिलती है, वहां कोई योजना ऐसी हो सकती है जो सिर्फ 5 रुपये में किसी गरीब को गर्म, ताजा और भरपेट खाना दे? क्या वाकई ये मुमकिन है या सिर्फ एक और चुनावी सपना है जो हर बार की तरह जुमला बनकर रह जाएगा? लेकिन जब दिल्ली की विधानसभा में बजट पेश हुआ, तो हर किसी की नजर उसी एक लाइन पर टिक गई—Atal Canteen योजना, 5 रुपये में भोजन। इस ऐलान ने हर दिल्लीवाले को चौंका दिया। कुछ ने ताली बजाई, कुछ ने सवाल उठाए और कुछ की आंखों में उम्मीद तैर गई।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जब 1 लाख करोड़ रुपये का अपना पहला बजट पेश किया, तो उसमें तमाम योजनाएं थीं—स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, पर्यावरण, सुरक्षा… लेकिन जो सबसे ज्यादा दिलों को छू गई, वह थी ‘Atal Canteen योजना’। यह योजना ना केवल एक सामाजिक कदम है, बल्कि यह एक भावनात्मक पहल भी है, क्योंकि इसका नामकरण भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में किया गया है। देशभक्त, संवेदनशील और गरीबों की चिंता करने वाले नेता की स्मृति में शुरू की गई ये योजना बताती है कि, नई सरकार किस सोच के साथ आगे बढ़ रही है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
दिल्ली में 100 अलग-अलग जगहों पर 100 Atal Canteen खोली जाएंगी। और इन कैंटीनों में सिर्फ 5 रुपए में लोगों को भरपेट भोजन मिलेगा—गर्म और ताजा। सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। साफ है कि यह कोई छोटी-मोटी योजना नहीं, बल्कि एक मजबूत व सुनियोजित नीति है, जिसकी नींव बहुत पहले रखी गई थी। ये कैंटीन खास तौर पर झुग्गी-बस्तियों और गरीब इलाकों में खोली जाएंगी, जहां हर रात कोई न कोई खाली पेट सोता है।
ये योजना किसी विदेशी आइडिया से नहीं आई, बल्कि हमारे अपने देश की ज़मीन से निकली है। तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन और कर्नाटक की इंदिरा कैंटीन से प्रेरित इस योजना का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है—”कोई भूखा न सोए।” जब देश की राजधानी में लाखों लोग रोज़ी-रोटी के लिए संघर्ष करते हैं, तो ये कैंटीनें उनके लिए जीवनरेखा साबित हो सकती हैं।
दिल्ली बीजेपी ने इस योजना को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था। उन्होंने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद हर स्लम एरिया में Atal Canteen खोली जाएगी। और अब जब सरकार बनी, तो उसने उस वादे को जमीन पर उतारना शुरू कर दिया है। यह सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि जनता से किया गया एक वादा है, जिसे निभाने की शुरुआत हो चुकी है।
हरियाणा जैसे राज्य में पहले से ऐसी योजना चल रही है, जहां ‘अटल किसान मजदूर कैंटीन’ के ज़रिए किसानों और मजदूरों को सिर्फ 10 रुपए में पौष्टिक भोजन दिया जाता है। हरियाणा में ये योजना पहले फसल खरीद के समय तक सीमित थी, लेकिन अब ये सालभर के लिए चलाई जा रही है। दिल्ली अब इस सोच को और आगे बढ़ा रही है—5 रुपए में ताजा, गर्म और संतुलित भोजन हर ज़रूरतमंद तक पहुंचे, यही लक्ष्य है।
सोचिए, अगर एक रिक्शा चलाने वाला, एक निर्माण मजदूर या फिर कोई फुटपाथ पर रहने वाला व्यक्ति दिनभर की मेहनत के बाद सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खा सके, तो उसकी जिंदगी कितनी बदल जाएगी? उसे ना तो भीख मांगनी पड़ेगी, ना ही भूखे पेट सोना पड़ेगा। यह योजना सिर्फ भूख मिटाने के लिए नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान देने के लिए है।
दिल्ली के बजट 2025 26 में सिर्फ Atal Canteen योजना ही नहीं, कई और बड़े फैसले लिए गए हैं, जो इस सरकार की गंभीरता को दर्शाते हैं। सरकार ने उद्योगों और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों का ऐलान किया है। जल्द ही एक नई उद्योग नीति लाई जाएगी, जिससे टैक्स में राहत मिलेगी और Investment का माहौल सुधरेगा। दिल्ली को एक ग्लोबल इनवेस्टमेंट हब बनाने का सपना अब कुछ हद तक साकार होता दिख रहा है।
वहीं दूसरी ओर, सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में भी कई क्रांतिकारी बदलावों की नींव रखी है। 175 नई कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी, जिनके लिए 70 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और मजबूत कदम है। अब बच्चों को तकनीकी शिक्षा में पीछे नहीं रहना पड़ेगा, चाहे वे किसी भी आर्थिक वर्ग से क्यों न हों।
वहीं दूसरी ओर, सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में भी कई क्रांतिकारी बदलावों की नींव रखी है। 175 नई कंप्यूटर लैब स्थापित की जाएंगी, जिनके लिए 70 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है। यह डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और मजबूत कदम है। अब बच्चों को तकनीकी शिक्षा में पीछे नहीं रहना पड़ेगा, चाहे वे किसी भी आर्थिक वर्ग से क्यों न हों।
इसके अलावा, सुरक्षा के मोर्चे पर भी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली में 50 हजार नए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे ताकि शहर और ज्यादा सुरक्षित हो सके। खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिहाज़ से यह एक बेहद जरूरी कदम है।
स्वास्थ्य क्षेत्र की बात करें, तो गर्भवती महिलाओं के लिए 210 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे उनके पोषण, देखभाल और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था सुधारी जा सके। पानी की चोरी रोकने के लिए टैंकरों में जीपीएस लगाए जाएंगे, जिस पर 150 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह तकनीक न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि संसाधनों की बर्बादी भी रोकेगी।
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 500 करोड़ और स्वच्छ जल आपूर्ति के लिए 9,000 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट तय किया गया है। यह दिखाता है कि सरकार सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि धरातल पर बदलाव लाना चाहती है। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत अब दिल्ली की जनता को 10 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा।
इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी व्यक्ति बड़ी बीमारी से लड़ते वक्त सिर्फ पैसों के कारण पीछे नहीं हटेगा। यह सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है। झुग्गी-बस्तियों के विकास के लिए 696 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। दिल्ली के वे इलाके जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, अब वहां सड़कें, नालियां, बिजली और पानी की व्यवस्था बेहतर होगी। यह समावेशी विकास की मिसाल है।
सरकार एक नई वेयरहाउस नीति भी ला रही है, जिससे सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स बेहतर होंगे। यमुना नदी की सफाई के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है ताकि, कोई भी गंदा नाला यमुना में न गिरे और नदी को उसका जीवन वापस मिल सके।
इसके अलावा, दिल्ली के स्कूलों में अब ‘पीएम श्री योजना’ की तरह ‘सीएम श्री योजना’ शुरू की जाएगी, जिसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इसका मकसद सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों में बदलना है। बेहतर इमारतें, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल संसाधन बच्चों को वैश्विक स्तर की शिक्षा देंगे।
पीएम जन आरोग्य योजना के तहत 2,144 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत किया जाएगा। अब एक आम आदमी भी बिना डर के अस्पताल जा सकेगा, क्योंकि उसका खर्च सरकार उठाएगी। ये तमाम घोषणाएं सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति नहीं हैं, बल्कि एक विज़न का हिस्सा हैं। एक ऐसा विज़न जो दिल्ली को एक आधुनिक, स्वच्छ, शिक्षित और स्वस्थ राजधानी में बदलना चाहता है। लेकिन हर योजना का असली मूल्यांकन तब होता है जब वो जमीन पर उतरती है। और यही अब दिल्ली की जनता देखना चाहती है—क्या वाकई ये सब होगा या सिर्फ बजट की किताबों तक सीमित रहेगा?
फिलहाल शुरुआत बहुत मजबूत है। Atal Canteen योजना ने करोड़ों दिलों में उम्मीद जगाई है। अब देखना ये है कि क्या दिल्ली की सड़कें वाकई भूखमुक्त बनेंगी, क्या हर झुग्गी बस्ती में खाना पकता नज़र आएगा, और क्या एक गरीब मां अपने बच्चे को तसल्ली से खाना खिला सकेगी… वो भी सिर्फ 5 रुपए में।
Conclusion
अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”