B R Shetty की कहानी: 365 रुपये से शुरू होकर 18,000 करोड़ की कंपनी बनाने वाला भारतीय, जिसने दुनिया को दिखाया सपना बड़ा हो सकता है!

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक इंसान जो महज 365 रुपये लेकर विदेश गया हो, वो एक दिन अरबपति बन जाएगा? क्या आपने कभी सोचा है कि जिसकी दौलत 18,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाए, वही इंसान कुछ ही सालों में पाई-पाई को मोहताज हो सकता है? ये कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है।

एक ऐसा शख्स, जिसने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता के दम पर दुबई जैसे बड़े बाजार में एक बिजनेस एम्पायर खड़ा किया, लेकिन एक गलती ने उसकी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया। ये कहानी है B R Shetty की, जो भारत के एक छोटे से गांव से निकले और दुनिया के सबसे अमीर भारतीयों में शुमार हुए। उन्होंने हेल्थकेयर से लेकर फाइनेंशियल सर्विसेज तक का साम्राज्य खड़ा किया, लेकिन साल 2019 में उनकी जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि सब कुछ खत्म हो गया।

एक ट्वीट ने उनकी किस्मत को पूरी तरह बदल कर रख दिया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि देखते ही देखते 18,000 करोड़ रुपये की कंपनी दिवालिया हो गई, और एक समय का अरबपति इंसान कर्ज में डूब गया? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

B R Shetty का जन्म 1 अगस्त 1942 को कर्नाटक के उडुपी जिले के कापू शहर में हुआ था। उनका परिवार एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार था। उनके पिता पेशे से एक छोटे व्यवसायी थे, जिनका एक छोटा सा कारोबार था। शेट्टी का बचपन बहुत ही साधारण माहौल में बीता। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बचपन में ही उन्होंने संघर्ष देख लिया था, लेकिन उनके अंदर कुछ बड़ा करने का सपना था। शेट्टी ने शुरुआती पढ़ाई उडुपी में ही पूरी की। उनके मन में हमेशा से डॉक्टर बनने की इच्छा थी। उन्होंने फार्मेसी में Graduate की डिग्री हासिल की और फिर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में अपना करियर शुरू किया।

शेट्टी को नौकरी तो मिल गई थी, लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा करने की इच्छा थी। वे सिर्फ एक नौकरी तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। उन्हें लग रहा था कि भारत में उनकी सीमाएं बंधी हुई हैं। इसीलिए उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया। साल 1973 में, जब उनकी उम्र 31 साल थी, तब वे महज 365 रुपये लेकर दुबई चले गए। उस वक्त United Arab Emirates (UAE) एक विकासशील देश था और वहां रोजगार के अच्छे अवसर मौजूद थे। शेट्टी के पास पैसे की कमी थी, लेकिन उनके पास दृढ़ संकल्प और कुछ बड़ा करने की चाह थी।

दुबई पहुंचने के बाद शुरुआत में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। एक तो भाषा की समस्या थी, ऊपर से वहां के रहन-सहन का तरीका भी अलग था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। किसी तरह उन्हें एक सेल्समैन की नौकरी मिली, जिसमें उन्हें घर-घर जाकर दवाइयां बेचनी होती थीं। यह काम आसान नहीं था। भीषण गर्मी में घर-घर जाकर दवाइयां बेचना बहुत ही मुश्किल काम था। लेकिन शेट्टी ने इसे एक मौके के तौर पर देखा। इस दौरान उनकी मुलाकात कई डॉक्टरों और मेडिकल प्रोफेशनल्स से हुई। इससे उनके नेटवर्क का विस्तार हुआ और उनकी समझ भी बढ़ी।

शेट्टी ने महसूस किया कि दुबई में हेल्थकेयर की स्थिति बहुत खराब है। वहां अच्छे प्राइवेट अस्पतालों की भारी कमी थी। शेट्टी ने इस मौके को पहचाना और 1975 में उन्होंने न्यू मेडिकल सेंटर (NMC) की शुरुआत की। ये दुबई का पहला प्राइवेट हेल्थकेयर सेंटर था। शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पैसों की कमी थी, लेकिन उनकी रणनीति काम आई। उन्होंने मरीजों को अच्छी सुविधाएं और बेहतरीन इलाज देना शुरू किया। देखते ही देखते उनका अस्पताल दुबई के लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया।

शेट्टी ने अपने अस्पताल को धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू किया। 1980 के दशक तक NMC हेल्थ यूएई का सबसे बड़ा हेल्थकेयर ब्रांड बन गया। शेट्टी ने दुबई के कई हिस्सों में अपने अस्पतालों की चेन शुरू की। उनके अस्पतालों में मरीजों के लिए हर तरह की आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं मौजूद थीं। शेट्टी ने अपनी पत्नी, जो एक डॉक्टर थीं, को भी इस कारोबार में शामिल किया। उन्होंने मरीजों को बेहतरीन सेवाएं दीं, जिससे उनके ब्रांड पर लोगों का भरोसा बढ़ता गया।

शेट्टी ने हेल्थकेयर के बाद फाइनेंशियल सर्विसेज के क्षेत्र में भी कदम रखा। उन्होंने देखा कि यूएई में रहने वाले भारतीयों को अपने घर पैसे भेजने में दिक्कत होती थी। उन्होंने इस समस्या को हल करने के लिए यूएई एक्सचेंज की स्थापना की। इस कंपनी ने विदेशों में पैसा भेजने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया। यूएई एक्सचेंज के जरिए भारतीय मजदूर आसानी से अपने घर पैसे भेज सकते थे।

यूएई एक्सचेंज की सफलता के बाद शेट्टी ने अपना साम्राज्य और भी बड़ा कर लिया। उन्होंने हेल्थकेयर के साथ-साथ फार्मास्यूटिकल, रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में भी Investment किया। उनकी कुल संपत्ति एक समय 3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी। उनके पास दुबई और अबू धाबी में कई लग्जरी विला थे। उनके पास रोल्स रॉयस की कई गाड़ियां थीं और उन्होंने बुर्ज खलीफा में 25 मिलियन डॉलर में दो फ्लोर खरीदे थे।

लेकिन फिर उनकी किस्मत ने करवट ली। साल 2019 में यूके की एक रिसर्च फर्म (Muddy Waters) ने B R Shetty की कंपनी के खिलाफ एक रिपोर्ट पब्लिश की। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि NMC हेल्थ पर लगभग 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसे शेट्टी ने छिपा रखा है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही कंपनी के शेयर बुरी तरह गिरने लगे। देखते ही देखते NMC हेल्थ का मार्केट कैप 18,000 करोड़ रुपये से घटकर कुछ ही करोड़ रुपये रह गया।

फरवरी 2020 में शेट्टी को NMC हेल्थ के बोर्ड से बाहर कर दिया गया। हालात इतने बिगड़ गए कि अप्रैल 2020 में कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। यूएई एक्सचेंज का भी यही हाल हुआ। साल 2021 में शेट्टी को अपनी कंपनी फिनाब्लर मात्र 74 रुपये में बेचनी पड़ी।

आज B R Shetty पाई-पाई के लिए मोहताज हो चुके हैं। एक समय जिनके पास अरबों की संपत्ति थी, आज उनके पास कोई भी कारोबार नहीं है। लेकिन शेट्टी की यह कहानी हमें एक बड़ी सीख देती है कि बिजनेस में सिर्फ सफलता ही नहीं, बल्कि चुनौतियों से निपटना भी जरूरी होता है। अगर बिजनेस में पारदर्शिता नहीं हो और सही फैसले न लिए जाएं, तो सफलता लंबे समय तक टिक नहीं सकती।

B R Shetty की कहानी बताती है कि मेहनत और दूरदर्शिता से कोई भी इंसान अपनी किस्मत बदल सकता है। लेकिन एक गलती या गलत फैसला आपकी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकता है। शेट्टी ने शून्य से शुरुआत की थी और सफलता के शिखर तक पहुंचे थे। लेकिन एक गलत फैसले ने उन्हें फिर से शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया। यह कहानी हर उस इंसान के लिए एक सबक है, जो बिजनेस की दुनिया में बड़ा नाम बनाने का सपना देखता है।

B R Shetty की जिंदगी ने ये साबित कर दिया कि सफलता और असफलता के बीच का फासला बहुत ही कम होता है। एक सही फैसला आपको सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है, तो एक गलत फैसला आपको अर्श से फर्श पर ला सकता है। शेट्टी की ये कहानी बिजनेस की दुनिया में एक मिसाल बन चुकी है।

Conclusion

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