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बांग्लादेश ने अडानी पावर से बिजली खरीद की मात्रा आधी की: जानें पूरा मामला और इसके संभावित परिणाम।

Gautam Adani

नमस्कार दोस्तों, भारतीय उद्योगपति Gautam Adani की कंपनी, Adani Power और बांग्लादेश सरकार के बीच Power Supply के Contract पर हालिया विवाद ने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। बांग्लादेश सरकार ने अपने हालिया फैसले में अडानी पावर से बिजली की खरीद को आधा कर दिया है। सरकार ने इसके पीछे सर्दियों में बिजली की कम Demand और बढ़ती आर्थिक तंगी का हवाला दिया है।

इस विवाद का समय भी काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अडानी ग्रुप पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए बेबुनियाद बताया है। यह मामला न केवल दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों, बल्कि उनके diplomatic relations को भी प्रभावित कर सकता है। इस वीडियो में हम विस्तार से समझेंगे कि यह विवाद कैसे शुरू हुआ, इसके कारण क्या हैं और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं। बांग्लादेश सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, सर्दियों के मौसम में देश में बिजली की Demand में भारी कमी देखी गई है। ठंड के कारण बांग्लादेश के घरों और उद्योगों में बिजली की खपत कम हो गई है। यही कारण है कि सरकार ने अडानी पावर से बिजली खरीदने की मात्रा को आधा करने का निर्णय लिया है।

साथ ही, बांग्लादेश इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। foreign exchange reserves की कमी और बढ़ते कर्ज के कारण, देश को Financial कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस आर्थिक स्थिति ने बांग्लादेश को अडानी पावर को समय पर Payment करने में असमर्थ बना दिया है। यह न केवल बांग्लादेश की Energy Supply को प्रभावित कर रहा है, बल्कि अडानी पावर की financial health पर भी गहरा असर डाल रहा है।

अब बात करते हैं कि अडानी पावर की बिजली सप्लाई में कटौती पर, बांग्लादेश ने कैसी प्रतिक्रिया दी और इसका क्या प्रभाव पड़ा?

अडानी पावर ने अक्टूबर 2023 में बकाया Payment में देरी के चलते बांग्लादेश को बिजली की Supply आधी कर दी थी। इस फैसले ने बांग्लादेश सरकार को असहज और नाराज कर दिया।

बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के अध्यक्ष मोहम्मद रेजाउल करीम ने कहा कि, जब अडानी पावर ने अचानक सप्लाई आधी कर दी, तो सरकार न केवल हैरान हुई, बल्कि इसे लेकर गुस्सा भी जताया। हालांकि, सर्दियों में बिजली की Demand कम होने के कारण अब सरकार ने खुद अडानी पावर से कहा है कि, वह केवल एक यूनिट से बिजली की Supply करे। इस निर्णय ने दोनों पक्षों के बीच संबंधों में तनाव को और बढ़ा दिया है। हालांकि, यह देखना होगा कि दोनों पक्ष इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं।

अब सवाल है कि बांग्लादेश और अडानी पावर के बीच 25 साल का कॉन्ट्रैक्ट क्या है, और इसके मुख्य प्रावधान क्या हैं?

अडानी पावर और बांग्लादेश सरकार के बीच 25 साल का Contract नवंबर 2017 में हुआ था। इस Contract के तहत, झारखंड में स्थित अडानी पावर का 2 अरब डॉलर का पावर प्लांट बांग्लादेश को 1,600 मेगावाट बिजली की Supply करता है।

यह पावर प्लांट दो यूनिट्स में काम करता है, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 800 मेगावाट है। अप्रैल 2023 से अडानी पावर ने बांग्लादेश को बिजली सप्लाई शुरू की थी। हालांकि, अब सर्दियों में Demand कम होने और Payment में देरी के चलते, सरकार ने केवल एक यूनिट से बिजली लेने का निर्णय लिया है। बांग्लादेश और अडानी पावर के बीच 25 साल का यह Contract वर्तमान में Review के अधीन है, जिसमें Pricing, Payment Terms और stability of supply जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर पुनर्विचार किया जा रहा है।

अब बात करते हैं कि बांग्लादेश की Energy supply system में अडानी पावर की क्या भूमिका है, और इसका देश की बिजली जरूरतों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

बांग्लादेश अपनी energy जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य बड़े पावर प्लांट्स पर भी निर्भर है। इनमें पटुआखाली जिले का पायरा पावर प्लांट, खुलना का रामपाल प्लांट और चिटगांव का बांसखाली प्लांट प्रमुख हैं। पायरा पावर प्लांट से प्रतिदिन 1,244 मेगावाट, रामपाल प्लांट से 1,234 मेगावाट और बांसखाली प्लांट से 1,224 मेगावाट बिजली का Production होता है। ये प्लांट बांग्लादेश की energy जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हालांकि, अडानी पावर का झारखंड स्थित पावर प्लांट भी बांग्लादेश की Power Supply में एक अहम योगदान देता है। सप्लाई में कटौती का यह निर्णय बांग्लादेश की energy व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है।

अब सवाल है कि अमेरिकी आरोपों का अडानी पावर पर क्या असर पड़ा, और इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि कैसे प्रभावित हुई?

अडानी ग्रुप पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप भी लगाए गए हैं। इन आरोपों ने समूह की अंतरराष्ट्रीय छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे झूठा और बेबुनियाद बताया है। बांग्लादेश सरकार ने इन आरोपों के बीच अडानी ग्रुप के साथ अपने Contract की समीक्षा करने का निर्णय लिया था। अब, बिजली खरीद को आधा करने का फैसला इस समीक्षा का परिणाम माना जा रहा है।

इसके अलावा बांग्लादेश सरकार अडानी पावर के साथ बिजली खरीद समझौते की शर्तों की समीक्षा कर रही है, विशेषकर मूल्य निर्धारण के संदर्भ में, क्योंकि अडानी पावर अन्य indian suppliers की तुलना में High Rates वसूल रही है। इससे बांग्लादेश सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ रहा है।

अब सवाल उठता है कि अडानी पावर को किन Financial और image संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?

अडानी पावर के लिए यह समय काफी कठिनाइयों से भरा हुआ है। अमेरिकी आरोपों और बांग्लादेश सरकार के फैसले ने कंपनी की Financial position और अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित किया है। इसके अलावा, बांग्लादेश पर अडानी पावर का कुल बकाया 900 मिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। यह बढ़ता कर्ज कंपनी के लिए चिंता का विषय बन गया है। अगर बांग्लादेश जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं करता, तो यह अडानी पावर की Financial position पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

अब सवाल है कि भविष्य में बांग्लादेश और अडानी पावर के बीच, विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को किन समाधान की जरूरत है?

अडानी पावर को अब बांग्लादेश सरकार के साथ अपने संबंध सुधारने, और बकाया Payment की समस्या को हल करने पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा, कंपनी को अपनी Supply प्रणाली को स्थिर करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक छवि को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

दूसरी ओर, बांग्लादेश को भी अपनी Energy Supply व्यवस्था को स्थिर करने, और आर्थिक संकट से उबरने के लिए प्रभावी नीतियों को लागू करना होगा। यदि दोनों पक्ष इस विवाद को सुलझाने में असमर्थ रहते हैं, तो यह उनके व्यापारिक और Diplomatic relations को कमजोर कर सकता है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, बांग्लादेश और अडानी पावर के बीच यह विवाद केवल व्यापारिक मामले तक सीमित नहीं है। यह दोनों देशों के Diplomatic relations की स्थिरता और भविष्य पर भी सवाल खड़ा करता है।

यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अडानी पावर और बांग्लादेश सरकार इस विवाद को कैसे हल करते हैं, और क्या वे अपने Contract के अनुसार भविष्य में बेहतर तालमेल स्थापित कर पाते हैं। फिलहाल, यह मामला दोनों पक्षों के लिए एक बड़ा सबक है, जो व्यापारिक और Diplomatic policies को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता को उजागर करता है। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

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