Blu Smart में फंसे दिग्गजों के करोड़! धोनी, दीपिका और अशनीर की उम्मीदें अब भी ज़िंदा। 2025

क्या आपने कभी सोचा है कि जिस कंपनी में देश के सबसे बड़े चेहरों ने भरोसा जताया हो, जिसकी पहचान ग्रीन इनोवेशन और टिकाऊ बिजनेस मॉडल से हो—वही कंपनी एक दिन बंद होने की कगार पर आ जाए? सोचिए, महेंद्र सिंह धोनी जैसा दिग्गज, दीपिका पादुकोण जैसी बॉलीवुड सुपरस्टार, और फंडिंग की दुनिया का चर्चित नाम अशनीर ग्रोवर—इन सबने एक साथ किसी एक स्टार्टअप में पैसा लगाया हो और अब वो पैसा डूबने की कगार पर हो। यह कहानी है Blu Smart की—एक ऐसा ईवी स्टार्टअप जो कभी भारत में टिकाऊ मोबिलिटी का चेहरा बनने चला था, लेकिन आज खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Blu Smart की शुरुआत एक बड़े विज़न के साथ हुई थी—भारत में एक ऐसी कैब सेवा खड़ी करना जो पूरी तरह इलेक्ट्रिक हो, पर्यावरण के अनुकूल हो, और टेक्नोलॉजी से लैस हो। यही वजह थी कि कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे बड़े बाजारों में अपनी सेवाएं शुरू कीं और जल्द ही चर्चा में आ गई। मीडिया, Investor और ग्रीन पॉलिसी प्रमोटर—सबने इस स्टार्टअप को एक उम्मीद की नजर से देखा। और यहीं से शुरू होती है उन बड़े नामों की कहानी जो अब इस बर्बादी के साक्षी बन चुके हैं।

महेंद्र सिंह धोनी, जिनकी छवि मैदान पर कभी हार न मानने वाले कप्तान की है, उन्होंने Blu Smart में अपने फैमिली ऑफिस के जरिए Investment किया। दीपिका पादुकोण ने 2019 में ही अपनी फैमिली इन्वेस्टमेंट कंपनी से इस स्टार्टअप पर दांव लगाया था। यही नहीं, बजाज कैपिटल के संजीव बजाज, और शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर ने भी इस कंपनी में भरोसा जताया। लेकिन अब यही नाम कंपनी के गिरते ग्राफ को देखकर चिंता में हैं।

इस पूरे संकट की जड़ें जुड़ी हैं Blu Smart के को-फाउंडर अनमोल सिंह जग्गी और उनके भाई पुनित सिंह जग्गी से। इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने Gensol Engineering नाम की कंपनी के नाम पर लिए गए कर्ज का दुरुपयोग किया। सेबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 262 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम फ्लैट्स खरीदने, गोल्फ किट लेने, लग्जरी ट्रैवल और निजी खर्चों पर उड़ाई गई। सेबी को इन खर्चों का कोई वैध रिकॉर्ड नहीं मिला। और इसके बाद जो हुआ, वो किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ा डर होता है—सेबी ने इन प्रमोटर्स पर किसी भी कंपनी के Management में शामिल होने पर रोक लगा दी और मार्केट में एंट्री बैन कर दी।

अब Blu Smart, जो Gensol की औपचारिक सहायक कंपनी तो नहीं है, लेकिन वित्तीय रूप से उससे गहरे रूप से जुड़ी हुई है, सेबी की इस कार्रवाई के केंद्र में आ चुकी है। जांच में सामने आया है कि Blu Smart और Gensol की सहायक कंपनियों के बीच 148 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन हुआ है। यह सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि Management level पर भी संबंधों की ओर इशारा करता है। और यही वो वजह है जिसने  को अचानक संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है।

कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में अपनी सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं। इसका कारण सीधा है—financial crisis और regulatory investigation का बढ़ता दबाव। Investors के बीच चिंता बढ़ चुकी है। जो नाम इस कंपनी की सफलता का चेहरा बने थे, वही अब इसकी गिरावट से जुड़े दर्द को महसूस कर रहे हैं।

Blu Smart की शुरुआत में जो 3 मिलियन डॉलर की एंजल फंडिंग आई थी, उसमें दीपिका पादुकोण, बजाज, JITO एंजल नेटवर्क और रजत गुप्ता जैसे नाम शामिल थे। उसके बाद कंपनी ने जुलाई 2024 में एक और बड़ा Investment दौर देखा, जिसमें धोनी और दीपिका के फैमिली ऑफिस ने फिर से हिस्सेदारी बढ़ाई। इन Investments से कंपनी को नई उड़ान मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे भारत के ईवी सेक्टर का अगला ‘यूनिकॉर्न’ तक कहा जाने लगा था।

Blu Smart ने सीरीज A राउंड में 25 मिलियन डॉलर जुटाए, जिसमें बीपी वेंचर्स ने 14.3% हिस्सेदारी ली। जग्गी ब्रदर्स के पास उस समय भी कंपनी का 33% हिस्सा था। ये आंकड़े इस बात का प्रमाण थे कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी Blu Smart को लेकर भरोसा था। लेकिन भरोसा जितना ऊंचा होता है, उसका टूटना उतना ही दर्दनाक होता है।

2024 के प्री-सीरीज B राउंड में Blu Smart ने 24 मिलियन डॉलर जुटाए, जिसमें धोनी के फैमिली ऑफिस, रिन्यू पावर के सुमंत सिन्हा और स्विस एसेट मैनेजर रिस्पॉन्सएबिलिटी इन्वेस्टमेंट्स शामिल थे। इस दौर में 200 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए। Investors की यह बड़ी कतार बताती है कि Blu Smart को लेकर बाजार में कितना उत्साह था। लेकिन अब यही Investor फंसे हुए हैं और उनकी पूंजी का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है।

अशनीर ग्रोवर, जो स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक मुखर और तेज-तर्रार नाम माने जाते हैं, उन्होंने खुद ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने Blu Smart में 1.5 करोड़ रुपये और मैट्रिक्स में 25 लाख रुपये का व्यक्तिगत Investment किया था। उन्होंने लिखा—”मैं मौजूदा स्थिति में पीड़ित हूं, और मुझे उम्मीद है कि व्यवसाय अपने हितधारकों की खातिर इस संकट से उबर सकेगा।” उनका यह बयान इस बात का संकेत है कि अब इस संकट की चपेट में आम Investor ही नहीं, बल्कि हाई प्रोफाइल एंजल इन्वेस्टर्स भी हैं।

Blu Smart की सबसे बड़ी ताकत उसका ‘ग्रीन बिजनेस मॉडल’ था। कंपनी खुद को भारत की पहली ऑल-इलेक्ट्रिक कैब सेवा बताती थी। यह मॉडल आज के पर्यावरण-संवेदनशील युग में बेहद आकर्षक था। साथ ही, कंपनी का दावा था कि उनके ड्राइवर बेहतर कमाई कर सकते हैं, ग्राहकों को ट्रैकिंग और सेफ्टी जैसे फीचर्स मिलते हैं, और गाड़ियों की सर्विस व टेक्निकल क्वालिटी भी उच्च स्तर की है। यही बातें Investors को आकर्षित कर रही थीं। लेकिन जब Management पर ही सवाल उठने लगे, तो मॉडल चाहे जितना भी इनोवेटिव क्यों न हो, भरोसा डगमगाना तय है।

अब Blu Smart का भविष्य कई सवालों के घेरे में है। क्या कंपनी इस संकट से उबर पाएगी? क्या Investors को उनका पैसा वापस मिल पाएगा? और सबसे बड़ा सवाल—क्या देश में ग्रीन इनोवेशन का सपना एक और स्टार्टअप की बर्बादी में तब्दील हो जाएगा? ये सवाल न सिर्फ Blu Smart, बल्कि पूरे ईवी स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए चेतावनी हैं।

देश के Investor, नीति निर्माता और ग्राहक अब इस पूरे घटनाक्रम को देख रहे हैं। यह सिर्फ एक स्टार्टअप का संकट नहीं, बल्कि एक भरोसे की लड़ाई है। अगर Blu Smart इस संकट से बाहर आती है, तो यह एक मिसाल बनेगी। लेकिन अगर यह डूब जाती है, तो इसका असर आने वाले वर्षों में हर उस इनोवेटिव स्टार्टअप पर पड़ेगा जो बड़ा सपना लेकर फंडिंग की तलाश में निकलता है।

Blu Smart का ये संकट हमें यह भी याद दिलाता है कि किसी भी स्टार्टअप में सिर्फ आइडिया और इनोवेशन ही नहीं, बल्कि इमानदारी और पारदर्शिता सबसे अहम होती है। वरना, चाहे Investor कितने भी बड़े क्यों न हों, बुनियाद हिलते देर नहीं लगती।

Conclusion

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