Budget का रहस्य: क्या है इसका असली मतलब और संविधान में क्यों नहीं है इसका जिक्र? 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल जब Finance Minister संसद में बजट पेश करने के लिए खड़े होते हैं, तो यह “Budget” शब्द इतना महत्वपूर्ण क्यों हो जाता है? हर टीवी चैनल, हर अखबार और हर समाचार वेबसाइट पर बस एक ही शब्द गूंजता है – Budget। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह शब्द आया कहां से है? क्यों बजट को बजट ही कहा जाता है और इसका असली मतलब क्या है? क्या आपको यह जानकारी है कि भारतीय Constitution में बजट शब्द का कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया है?

हर साल जब फरवरी में Finance Minister संसद में Budget पेश करते हैं, तो एक लाल बहीखाता या एक चमड़े के बैग में दस्तावेज लेकर आते हैं। यह परंपरा देखने में एक औपचारिक प्रक्रिया लगती है, लेकिन इसके पीछे एक दिलचस्प ऐतिहासिक कहानी छिपी हुई है।

क्या यह सिर्फ एक दस्तावेज है या फिर देश के आर्थिक भविष्य का खाका? और अगर यह इतना महत्वपूर्ण है, तो आखिर Constitution में इसका ज़िक्र क्यों नहीं किया गया? आज हम इस वीडियो में हम इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे और जानेंगे कि बजट का असली अर्थ क्या है, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और भारत में इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई।

Budget शब्द का असली मतलब क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई?

Budget शब्द का अर्थ जितना साधारण लगता है, उतनी ही दिलचस्प इसकी उत्पत्ति है। “Budget” शब्द की जड़ें फ्रेंच भाषा में हैं। यह शब्द Bougette से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है – छोटा चमड़े का थैला। इससे पहले यह शब्द लैटिन शब्द “Bulga” से आया था, जिसका मतलब भी छोटे बैग या पर्स से जुड़ा है।

इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार 18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में किया गया। उस समय ब्रिटेन के Finance Minister जब देश के खर्च और Income का विवरण संसद में पेश करने के लिए आते थे, तो वे एक चमड़े के बैग में कागज़ात लेकर आते थे। यह बैग Budget बैग कहलाने लगा। धीरे-धीरे, यह बैग उन दस्तावेजों का प्रतीक बन गया, जिसमें पूरे देश की आर्थिक नीतियों, योजनाओं और खर्चों का विवरण होता था।

भारत में यह परंपरा ब्रिटिश शासन के दौरान अपनाई गई। आज भी जब भारतीय Finance Minister संसद में बजट पेश करते हैं, तो एक लाल बहीखाता या चमड़े का बैग लेकर आते हैं, जो इसी पुरानी ब्रिटिश परंपरा का प्रतीक है।

Constitution में Budget शब्द का जिक्र क्यों नहीं है?

Budget शब्द जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही आश्चर्यजनक यह तथ्य भी है कि भारतीय Constitution में इसका कहीं भी ज़िक्र नहीं किया गया है। इसके बजाय Constitution में इसे वार्षिक वित्तीय विवरण यानी (Annual Financial Statement) कहा गया है।

Constitution के Article 112 में इस Annual Financial Statements का उल्लेख किया गया है। इस Article के अनुसार, भारत सरकार को प्रत्येक Financial Year में संसद के समक्ष, income and expenditure का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना आवश्यक है।

तो फिर सवाल उठता है कि बजट शब्द का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? दरअसल, बजट एक ब्रिटिश परंपरा से लिया गया शब्द है। जब भारत ने अपना Constitution बनाया, तब इसे कानूनी और तकनीकी दृष्टिकोण से Annual Financial Statements कहा गया।

हालांकि, आम जनता के लिए यह शब्द “Budget” ही अधिक सरल और प्रभावी बना रहा। यही कारण है कि इसे एक Non-constitutional शब्द होने के बावजूद आज भी सरकार और मीडिया में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में Budget पेश करने की शुरुआत और इतिहास क्या रहा है?

भारत में Budget पेश करने की परंपरा ब्रिटिश शासनकाल से शुरू हुई थी। भारत में पहली बार बजट 1860 में पेश किया गया था। इसे ब्रिटिश अर्थशास्त्री और ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश फाइनेंसर जेम्स विल्सन ने पेश किया था। उस समय का बजट मुख्य रूप से tax collection, business losses और Administrative Expenses को संतुलित करने के लिए बनाया गया था। यह ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय संसाधनों का बेहतर management, और अधिकतम Revenue Collection सुनिश्चित करने के लिए किया गया था।

आजाद भारत में पहली बार Budget 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था। इसे स्वतंत्र भारत के पहले Finance Minister आर के शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था। इस बजट का मुख्य उद्देश्य था Reconstruction, economic stability और स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों से निपटना। इस ऐतिहासिक बजट में प्रमुख रूप से Tax reforms, industrial development और Poverty eradication पर जोर दिया गया था। अब जान लेते हैं कि Budget पेश करने की प्रक्रिया और समय में समय के साथ क्या बदलाव हुए हैं?

शुरुआती दिनों में, ब्रिटिश शासन की परंपरा के अनुसार, भारत में बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था। इस परंपरा का कारण यह था कि ब्रिटेन और भारत के Time Zone में लगभग 5 घंटे 30 मिनट का अंतर था। इसलिए ब्रिटिश समयानुसार इसे एकसाथ पेश किया जाता था।

लेकिन साल 2001 में Finance Minister यशवंत सिन्हा ने इस परंपरा को बदल दिया। उन्होंने बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। इस बदलाव का उद्देश्य था कि Budget पेश होने के तुरंत बाद संसद में उस पर चर्चा की जा सके, और मीडिया को इसे कवर करने के लिए पूरा दिन मिल सके। यह कदम भारतीय समय और जरूरतों के अनुसार अधिक व्यावहारिक साबित हुआ।

Budget का महत्व और इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

Budget केवल Revenue और Expense का एक दस्तावेज नहीं होता, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास और नीतियों का पूरा खाका प्रस्तुत करता है। बजट का सबसे पहला उद्देश्य होता है आर्थिक संतुलन बनाए रखना। इसमें यह तय किया जाता है कि सरकार कितनी income अर्जित करेगी और उसे कहां खर्च किया जाएगा।

दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य समाज कल्याण होता है। बजट में विभिन्न वर्गों के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, जैसे education, health, infrastructure, employment और Poverty eradication आदि।

तीसरा उद्देश्य होता है वित्तीय अनुशासन। सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि खर्च जरूरत के अनुसार हो और अनावश्यक घाटे को रोका जाए।

चौथा उद्देश्य आर्थिक सुधारों और योजनाओं की घोषणा करना है। बजट में सरकार नई योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं को लॉन्च करती है।

Budget पेश करने की आधुनिक परंपरा और लाल बहीखाता क्या है?

2019 में Finance Minister निर्मला सीतारमण ने एक नई परंपरा शुरू की। उन्होंने पारंपरिक चमड़े के बजट बैग को हटाकर लाल बहीखाता में Budget पेश किया। यह लाल बहीखाता भारतीय परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। भारतीय व्यापारी और परिवार इसे शुभ मानते हैं और इसी में अपने financial records रखते हैं।

2021 में जब कोरोना महामारी के कारण डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा मिला, तब सरकार ने डिजिटल बजट पेश किया। Finance Minister ने एक टैबलेट के जरिए बजट पेश किया और इसे पूरी तरह पेपरलेस कर दिया।

Conclusion

तो दोस्तों, Budget सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की आर्थिक नीति और विकास का रोडमैप है। यह सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है और देश के भविष्य की योजनाओं को निर्धारित करता है।

“Budget” शब्द भले ही फ्रांस और ब्रिटिश परंपरा से आया हो, लेकिन इसका महत्व आज पूरी तरह भारतीय हो चुका है। यह सरकार के कामकाज की पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही का सबसे बड़ा प्रतीक है। हर नागरिक को बजट को सिर्फ एक वित्तीय दस्तावेज नहीं, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक योजना के रूप में देखना चाहिए।

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