Capital Gains Tax 30 साल बाद बाजार में बूम या बर्बादी? सरकार की बड़ी गलती या नया मौका!

नमस्कार दोस्तों, शहर की गलियों में सन्नाटा था। बिजनेस चैनलों पर लाल रंग की लकीरें लगातार नीचे गिर रही थीं। ब्रोकरेज हाउस में मौजूद ट्रेडर्स के चेहरे पर चिंता की गहरी लकीरें थीं। जिन कंपनियों के शेयर कभी आसमान छू रहे थे, वे अब धरातल पर आ गिरे थे। बाजार का यह हाल देखकर Investors के दिमाग में 30 साल पुरानी यादें ताजा हो गईं। साल 1996 में ऐसा ही कुछ हुआ था, जब भारतीय शेयर बाजार को जबरदस्त झटका लगा था।

लेकिन 2008 की global recession आई, 2020 में कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया, फिर भी बाजार ने इतनी लंबी बिकवाली नहीं देखी थी। लेकिन अब लगातार पांच महीनों से शेयर बाजार में Investors को सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही हो रहा है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सेंसेक्स और निफ्टी रोज नए निचले स्तर छू रहे हैं? क्या यह केवल एक आर्थिक चक्र का हिस्सा है, या फिर इसके पीछे कोई बहुत बड़ी गलती छिपी है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

जब भी शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो एक्सपर्ट्स इसके अलग-अलग कारण बताते हैं—Global economic uncertainty, ब्याज दरों में बदलाव, कॉरपोरेट सेक्टर में कमजोर परफॉर्मेंस। लेकिन इस बार वजह कुछ और थी। इस बार सरकार का एक नीतिगत फैसला बाजार की इस भारी गिरावट के पीछे जिम्मेदार बताया जा रहा है। जाने-माने Investor और हेलियोस कैपिटल के संस्थापक, समीर अरोड़ा ने सीधा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया है।

उनका कहना है कि सरकार की कैपिटल गेन Tax नीति पूरी तरह गलत है और यही वजह है कि, foreign investors ने भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकालना शुरू कर दिया। उनके मुताबिक, सरकार के इस फैसले से बाजार की पूरी संरचना हिल गई है और Investors का भरोसा डगमगा गया है।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैपिटल गेन Tax में ऐसा क्या बदलाव किया गया जिसने बाजार में यह तबाही मचा दी? 2024-25 के केंद्रीय बजट में सरकार ने Capital Gain Tax में बदलाव किया। पहले लंबी अवधि के Investment (LTCG) पर 10% Tax था, जिसे बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया। इसके अलावा, Short term capital gains (STCG) Tax को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया। यह कोई मामूली वृद्धि नहीं थी। इससे उन Investors पर सीधा असर पड़ा, जो लंबे समय से भारतीय बाजार में पैसा लगा रहे थे।

Investors के लिए Tax नीतियां हमेशा से महत्वपूर्ण रही हैं। वे अपने Investment को केवल लाभ की दृष्टि से नहीं देखते, बल्कि यह भी देखते हैं कि उन्हें कहां पर अधिक Tax benefit मिलेगा। जब सरकार Tax बढ़ाती है, तो यह Investors के लिए एक संकेत होता है कि अब उन्हें नए विकल्प तलाशने चाहिए। और यही हुआ।

विदेशी सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स, यूनिवर्सिटी फंड्स और बड़े Institutional investors ने धीरे-धीरे भारतीय बाजार से अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि पांच महीनों में ही भारतीय शेयर बाजार से, foreign investors ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी कर दी।

जब बाजार में इतनी बड़ी मात्रा में बिकवाली होती है, तो इसका असर सिर्फ शेयरों तक सीमित नहीं रहता। यह पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालता है। जब बाजार में पैसे की कमी होती है, तो नई कंपनियों के लिए फंड जुटाना मुश्किल हो जाता है।

जिन कंपनियों को विस्तार करना होता है, वे नई पूंजी नहीं जुटा पातीं। नतीजतन, रोजगार के नए अवसर नहीं बनते और आर्थिक गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। समीर अरोड़ा का मानना है कि सरकार ने केवल Immediate revenue लाभ को देखते हुए यह फैसला लिया, लेकिन long term रूप से इससे बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों को नुकसान हुआ है।

अगर हम इतिहास पर नजर डालें, तो भारत का कैपिटल गेन Tax सिस्टम हमेशा से Investors के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। शेयर बाजार में दो तरह के Capital Gains Tax होते हैं—शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन Tax 10% था, जो अब 12.5% हो गया है। वहीं, शॉर्ट टर्म गेन टैक्स 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया। इन दरों में बदलाव ने Investors के रुझान को पूरी तरह बदल दिया।

अब सवाल उठता है कि क्या बाजार इस गिरावट से उबर पाएगा? अगर foreign investors की बिकवाली जारी रहती है, तो Indian investors पर भी दबाव बढ़ेगा। Domestic investors पहले से ही इस गिरावट से डरे हुए हैं। वे यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि कहीं उनका Investment डूब तो नहीं जाएगा।

market experts की राय इस मामले पर बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि यह गिरावट केवल अस्थायी है और जल्द ही बाजार में रिकवरी देखने को मिलेगी। उनका तर्क है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत है और Domestic consumer demand बरकरार है।

लेकिन कुछ experts का मानना है कि जब तक सरकार अपनी Tax नीति पर पुनर्विचार नहीं करती, तब तक foreign investors की वापसी मुश्किल होगी। अगर सरकार कैपिटल गेन Tax को फिर से कम कर दे, तो यह बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।

अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत सरकार ने 2023-24 में लगभग 10 से 11 अरब डॉलर का कैपिटल गेन Tax इकट्ठा किया था। यह एक अच्छा आंकड़ा है, लेकिन इसके लिए बाजार की स्थिरता को दांव पर लगा देना क्या सही फैसला था? समीर अरोड़ा जैसे experts का मानना है कि लॉन्ग टर्म में इसका नुकसान सरकार के Revenue benefit से कहीं ज्यादा होगा।

बाजार में गिरावट के इस दौर में एक और बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया? कई Investors का मानना है कि सरकार को इस तरह के बदलाव से पहले foreign investors से बातचीत करनी चाहिए थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में Competition बहुत तेज़ है, और अगर Investors को भारत की जगह किसी दूसरे देश में बेहतर टैक्स लाभ मिलते हैं, तो वे बिना समय गंवाए वहां शिफ्ट हो जाएंगे।

उदाहरण के तौर पर, सिंगापुर और दुबई जैसे financial centers में foreign investors को Tax में काफी राहत मिलती है। ऐसे में जब भारत ने अपने Tax को बढ़ा दिया, तो इसका सीधा असर Investors के मूड पर पड़ा। वे अब भारत के बजाय उन बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उन्हें ज्यादा लाभ मिल सकता है और Tax का बोझ कम हो।

इसके अलावा, सरकार की यह नीति केवल शेयर बाजार ही नहीं, बल्कि स्टार्टअप इकोसिस्टम को भी प्रभावित कर रही है। भारत पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप हब के रूप में उभरा है, और कई बड़े Foreign investors भारतीय स्टार्टअप्स में पैसा लगा रहे थे। मगर अब, जब Tax का दबाव बढ़ गया है, तो Investor नई कंपनियों में पैसा लगाने से हिचकने लगे हैं। इससे भारतीय स्टार्टअप्स को जरूरी फंडिंग मिलने में दिक्कत हो सकती है।

अगर Investor अपनी रणनीति बदलते हैं और नए यूनिकॉर्न्स को फंडिंग नहीं मिलती, तो इससे भारत की इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप ग्रोथ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यही वजह है कि कई उद्यमियों और Investors ने सरकार से मांग की है कि वह इस फैसले पर दोबारा विचार करे, और भारतीय स्टार्टअप्स करने के लिए Tax पॉलिसी को नरम बनाए।

इन सबके बीच आम Investors के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या वे इस समय बाजार में बने रहें या बाहर निकल जाएं? अगर आप भी शेयर बाजार में Investment करते हैं, तो इस समय आपको किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए? क्या वाकई यह सरकार की सबसे बड़ी गलती थी, या फिर कुछ और कारण भी इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं? इस पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताइए।

Conclusion

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