नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि एक ऐसा देश जहां पुरुषों की संख्या इतनी ज्यादा हो चुकी है कि शादी के लिए महिलाओं की भारी कमी हो गई है। जहां लाखों पुरुष जीवनसाथी पाने के लिए तरस रहे हैं और परिवार बसाने का सपना अधूरा रह गया है। अब स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि पुरुष शादी के लिए विदेशी महिलाओं को खरीदने पर मजबूर हो गए हैं।
शादी के लिए तस्करी के माध्यम से पड़ोसी देशों से महिलाओं को लाया जा रहा है और इसके लिए भारी रकम चुकाई जा रही है। यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि China की वर्तमान स्थिति है। China में शादी का संकट अब एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है। साल 2024 में चीन में केवल 61 लाख शादियां हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 77 लाख थी। यानी सिर्फ एक साल में विवाह दर में 16 लाख की गिरावट आ चुकी है।
इस गिरावट ने China की सरकार को हिला कर रख दिया है। अब स्थिति यह है कि China के राष्ट्रीय राजनीतिक सलाहकार चेन सोंगशी ने शादी की कानूनी उम्र को 22 से घटाकर 18 साल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि युवा जल्द से जल्द शादी करें और परिवार बसाएं। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर China इस स्थिति तक पहुंचा कैसे? क्या इसकी जड़ें उसकी वन चाइल्ड पॉलिसी में छुपी हुई हैं, या फिर आधुनिक जीवनशैली और बदलते सामाजिक मूल्यों ने इसे और गहरा कर दिया है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
China में आज जो शादी का संकट खड़ा हुआ है, उसकी शुरुआत 1979 में लागू की गई “वन चाइल्ड पॉलिसी” से हुई थी। इस नीति का मकसद था कि चीन की तेजी से बढ़ती आबादी पर नियंत्रण पाया जा सके। लेकिन इस नीति ने China की जनसंख्या संरचना को पूरी तरह से बिगाड़ दिया। इस पॉलिसी के तहत माता पिता को केवल एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी।
इसके परिणामस्वरूप, बेटे को प्राथमिकता दी गई और भ्रूण लिंग जांच के बाद लड़कियों को गर्भ में ही मारने की घटनाएं बढ़ गईं। इस वजह से चीन में लिंग अनुपात बुरी तरह से बिगड़ गया। 2,000 के दशक में China में हर 100 लड़कियों पर 121 लड़के जन्म ले रहे थे। कुछ प्रांतों में तो यह अनुपात 130 लड़कों पर 100 लड़कियों तक पहुंच गया। अब नतीजा यह हुआ कि 1980 और 1990 के दशक में जन्मे लाखों चीनी पुरुषों के लिए शादी के लिए जीवनसाथी ढूंढना एक असंभव काम बन गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि China में लगभग 3 से 5 करोड़ पुरुषों के लिए शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलेंगी।
इस शादी संकट के चलते अब China के पुरुष शादी के लिए दूसरे देशों की ओर देख रहे हैं। म्यांमार, वियतनाम और दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों की गरीब महिलाओं को शादी के लिए तस्करी करके China लाया जा रहा है। तस्कर इन महिलाओं को अच्छी नौकरी और बेहतर जिंदगी का लालच देकर China लाते हैं, और फिर उन्हें शादी के लिए चीनी पुरुषों को बेच देते हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, इन महिलाओं को 3,000 से 13,000 डॉलर यानी करीब 2.5 लाख रुपये से लेकर 11 लाख रुपये तक में बेचा जाता है। ये महिलाएं शादी के बाद पूरी तरह से अपने पति और उनके परिवार की संपत्ति बन जाती हैं। इनमें से कई महिलाएं मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाएं या तो म्यांमार और वियतनाम के गरीब इलाकों से लाई जाती हैं, या फिर उन्हें गरीबी और मजबूरी की वजह से उनके परिवार ही बेच देते हैं।
तस्करी के इस पूरे खेल में सबसे ज्यादा नुकसान उन महिलाओं को हो रहा है, जिन्हें शादी के बाद घरेलू हिंसा, मानसिक शोषण और दासता जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इनमें से कई महिलाओं को शादी के तुरंत बाद गर्भवती होने के लिए मजबूर किया जाता है। उनका जीवन केवल एक संतान को जन्म देने तक ही सीमित हो जाता है।
कई महिलाएं तो शादी के बाद अपनी मूल पहचान तक खो बैठती हैं और उनसे उनके परिवार का संपर्क तक टूट जाता है। कई बार तस्करी करने वाले गिरोह इन महिलाओं को China ले जाने के बाद उन्हें एक के बाद एक कई पुरुषों के पास बेच देते हैं। 2020 में China में 6,000 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए थे, जिनमें महिलाओं को शादी के नाम पर तस्करी कर China लाया गया और बाद में उन्हें जबरन वेश्यावृत्ति और घरेलू कामों के लिए मजबूर किया गया।
China सरकार इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही है, लेकिन स्थिति इतनी जटिल हो चुकी है कि इसे हल कर पाना आसान नहीं है। मार्च 2024 में, चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय ने महिलाओं और बच्चों की सीमा पार तस्करी के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत कई तस्करों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन तस्करी का नेटवर्क इतना मजबूत है कि इसे पूरी तरह से नष्ट कर पाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। नवंबर 2024 में, दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो चीनी पुरुषों को सस्ती विदेशी पत्नियों का लालच देकर उन्हें महंगे विवाह टूर का हिस्सा बना रहे थे।
हालांकि, इस समस्या की जड़ें केवल वन चाइल्ड पॉलिसी तक ही सीमित नहीं हैं। China में युवा अब पारंपरिक शादी के विचार से दूर हो रहे हैं। खासतौर पर शहरी महिलाएं अब शादी और मां बनने को अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा नहीं मान रहीं। चीन के शहरी क्षेत्रों में शिक्षा और करियर की प्राथमिकता के कारण महिलाएं शादी को टाल रही हैं। इसके अलावा, चीन में शादी के बाद महिलाओं से पारंपरिक भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है, जिससे महिलाएं शादी से बचने की कोशिश कर रही हैं।
इस शादी संकट का सबसे खतरनाक पहलू अपराध और सामाजिक असंतुलन है। शोध बताते हैं कि जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम होती है, वहां अपराध और हिंसा बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। चीन में भी यही हो रहा है। 1990 के दशक के बाद से चीन में अपराध दर में 14% की बढ़ोतरी हुई है। भारत में भी ऐसे कई अध्ययन हुए हैं, जिनसे यह साबित होता है कि लिंग असंतुलन के कारण महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़ते हैं। चीन में अब यह खतरा बढ़ता जा रहा है।
चीन का यह शादी संकट अब एक Global समस्या का रूप ले रहा है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि महिलाओं की तस्करी को रोकने के लिए चीन को कठोर कदम उठाने होंगे। साथ ही, लिंग अनुपात को संतुलित करने के लिए Long term policy बनानी होगी। चीन सरकार को चाहिए कि वह महिलाओं को शादी के बाद कानूनी सुरक्षा दे और उनके शोषण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए। इसके अलावा, वन चाइल्ड पॉलिसी के प्रभावों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना भी जरूरी है।
चीन का यह शादी संकट अब केवल सामाजिक समस्या नहीं है, बल्कि यह चीन के आर्थिक और राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अगर इस समस्या का समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो आने वाले दशकों में चीन को इससे जुड़े कई और गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए चीन को न केवल अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा, बल्कि समाज के अंदर वैचारिक बदलाव भी लाना होगा। महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का माहौल बनाए बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।
Conclusion
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