Defense budget में बढ़ोतरी! China के फैसले से कौन होगा सबसे बड़ा फायदा, दुनिया के लिए कितनी बड़ी टेंशन? 2025

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि एक देश जो पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी Military Powers में से एक है, वह अचानक अपने Defense budget में भारी इजाफा कर देता है। वह देश पहले से ही अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है। उसकी सेना पहले से ही सबसे आधुनिक तकनीक और हथियारों से लैस है, और अब वह अपने Defense budget को इस स्तर तक बढ़ा रहा है कि यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है।

क्या आप सोच सकते हैं कि इससे दुनिया की Politics, global balance of power और सैन्य रणनीतियों पर कितना बड़ा असर पड़ सकता है? यह कोई काल्पनिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह हकीकत है। हम बात कर रहे हैं चीन की, जिसने हाल ही में अपने Defense budget में भारी बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। चीन का Defense budget अब 21.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

यह बढ़ोतरी केवल एक आर्थिक फैसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक और सामरिक संदेश छिपा हुआ है। सवाल यह है कि चीन के इस कदम से सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा और सबसे ज्यादा नुकसान किसे उठाना पड़ेगा? क्या अमेरिका इस फैसले के जवाब में कोई कड़ा कदम उठाएगा? क्या भारत पर इसका असर पड़ेगा? और सबसे बड़ी बात, क्या इससे Global tension और युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि चीन का यह फैसला अचानक नहीं आया है। बीते कुछ सालों से चीन ने अपनी Military Power को लगातार मजबूत किया है। उसने अपने Defense budget में हर साल इजाफा किया है। अगर हम पिछले आंकड़ों को देखें, तो 2021 में चीन का Defense budget करीब 16.56 लाख करोड़ रुपये था। इसके बाद 2022 में इसे 7.2% बढ़ाकर 19.9 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।

अब 2024 में यह बजट सीधे 21.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह किसी सामान्य वृद्धि से कहीं अधिक है। यह दिखाता है कि चीन अपनी Military Power को लेकर कितना गंभीर है। चीन का कहना है कि उसे अपनी Sovereignty और Territorial integrity की रक्षा के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में चीन को बाहरी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, या फिर यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि वह Global politics में एक बड़ा दबदबा बना सके?

चीन के इस फैसले का सबसे बड़ा असर अमेरिका पर पड़ सकता है। अमेरिका पहले से ही चीन को एक बड़े खतरे के रूप में देखता है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने चीन पर कई टैरिफ लगाए थे। अमेरिका ने चीन की व्यापारिक नीतियों को आक्रामक करार दिया था और उस पर Global बाजार को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।

चीन ने भी इसका जवाब दिया था। अब जब चीन ने अपने Defense budget में इतनी बड़ी बढ़ोतरी की है, तो इसका मतलब यह है कि वह Military level पर भी अमेरिका के सामने सीधी चुनौती पेश करने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका का Defense budget करीब 78 लाख करोड़ रुपये है, जो दुनिया में सबसे बड़ा है। लेकिन अब चीन जिस तेजी से अपनी Military Power बढ़ा रहा है, उससे अमेरिका को अपनी Military policy पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।

लेकिन केवल अमेरिका ही नहीं, चीन के इस कदम का असर भारत पर भी पड़ेगा। भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है। गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बहुत खराब हो चुके हैं। भारत का मौजूदा Defense budget 6.81 लाख करोड़ रुपये है, जो चीन के मुकाबले बहुत कम है। ऐसे में चीन के Defense budget में बढ़ोतरी भारत के लिए खतरे की घंटी है। चीन के पास पहले से ही सबसे आधुनिक मिसाइलें, लड़ाकू विमान, और Naval battleship हैं। अब अगर चीन अपने Defense budget से नई तकनीकों का विकास करता है, तो यह सीधे तौर पर भारत के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

भारत को भी इस स्थिति से निपटने के लिए अपनी Military policy पर दोबारा विचार करना होगा। भारत ने पहले ही “मेक इन इंडिया” के तहत स्वदेशी हथियार निर्माण पर जोर दिया है। भारत अब अपने रक्षा उपकरणों का निर्माण खुद करने पर जोर दे रहा है। रूस और अमेरिका जैसे देशों से हथियार खरीदने के बजाय भारत स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान दे रहा है। लेकिन चीन की इस बढ़ोतरी के बाद भारत को अपनी Military policy को और मजबूत बनाना होगा। भारत को अपनी थल सेना, वायु सेना और नौसेना के आधुनिकीकरण पर अधिक जोर देना होगा।

अब सवाल यह है कि चीन के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा? इसका सीधा फायदा अमेरिका को मिल सकता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार बनाने वाली कंपनियां अमेरिका की हैं। लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, रेथियॉन और नॉर्थ्रोप ग्रुमैन जैसी अमेरिकी कंपनियां पहले से ही दुनिया को सबसे ज्यादा हथियार बेच रही हैं। चीन के Defense budget बढ़ाने के बाद अन्य देश भी अपने सैन्य खर्च को बढ़ाएंगे। इससे हथियारों की मांग बढ़ेगी और अमेरिकी कंपनियों को इसका सीधा फायदा होगा।

इसके अलावा, भारत को भी इस स्थिति का फायदा मिल सकता है। भारत अब अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस या अमेरिका पर पूरी तरह से निर्भर नहीं है। भारत अब खुद के हथियार बना रहा है और उन्हें दूसरे देशों को बेच रहा है। भारत अब 85 से अधिक देशों को अपने हथियार Export कर रहा है। भारत का हथियार Export पिछले कुछ वर्षों में 1,000% तक बढ़ गया है। भारत ने हाल ही में अपनी स्वदेशी मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और युद्धपोतों का सफल परीक्षण किया है। ऐसे में चीन के इस फैसले से भारत को अपनी Military Power को मजबूत करने का एक नया अवसर मिल सकता है।

चीन के इस फैसले का एक और असर एशिया के अन्य देशों पर भी पड़ेगा। जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान पहले से ही चीन के सैन्य दबदबे से चिंतित हैं। अगर चीन अपनी Military Power को और बढ़ाता है, तो इन देशों को भी अपने सैन्य खर्च को बढ़ाना पड़ेगा। इससे Asia-Pacific region में Military tension और बढ़ सकता है। South China Sea में पहले से ही चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। अमेरिका और जापान ने इस क्षेत्र में चीन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अगर चीन अपनी Military Power को और मजबूत करता है, तो यह तनाव और गहरा सकता है।

इसके अलावा, चीन के इस फैसले का एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। चीन ने यह दिखा दिया है कि वह अमेरिका की अपील को नजरअंदाज करने के लिए तैयार है। डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से रक्षा खर्च कम करने की अपील की थी, लेकिन चीन ने इसे ठुकरा दिया। इससे यह साफ है कि चीन अपनी रणनीति के तहत आगे बढ़ रहा है। शी जिनपिंग ने पहले ही कह दिया है कि चीन अपनी Sovereignty की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

चीन के इस फैसले से साफ है कि global level पर Military tension बढ़ सकता है। इससे हथियारों की होड़ तेज होगी। दुनिया के बाकी देश भी अपने सैन्य खर्च को बढ़ा सकते हैं। इसका सीधा असर Global अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। चीन का यह कदम न सिर्फ सैन्य संतुलन को बिगाड़ेगा, बल्कि Global राजनीति को भी एक नई दिशा देगा। यह आने वाले समय में बड़े सैन्य टकराव की भूमिका तैयार कर सकता है।

Conclusion

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