सोचिए, आप अपने फोन पर एक AI ऐप खोलते हैं। उसमें अपनी एक सिंपल सी फोटो अपलोड करते हैं। और फिर कुछ ही सेकेंड्स में आपका चेहरा एक सुंदर, मासूम और कलरफुल Ghibli स्टाइल कार्टून में बदल जाता है। आप मुस्कुराते हैं, उस तस्वीर को अपने सोशल मीडिया पर डालते हैं, लाइक्स की बौछार होती है, और आपको लगता है – वाह! मज़ा आ गया। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि वो तस्वीर सिर्फ एक “मज़ेदार फिल्टर” नहीं थी, बल्कि एक ऐसी चाल थी, जिसके ज़रिए आपका चेहरा चुपचाप चुरा लिया गया? और अब वही चेहरा बिकने वाला है – अरबों डॉलर के बाजार में, बिना आपकी इजाज़त के।
आज फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हर दूसरा यूज़र Ghibli स्टाइल में अपनी तस्वीरें शेयर कर रहा है। यह एक ट्रेंड बन गया है – एक फेशन। और इसी फेशन में लोग अपने चेहरे, अपने बच्चों के चेहरे, और अपने पूरे परिवार की तस्वीरें बिना सोचे-समझे अपलोड कर रहे हैं। लेकिन ज़रा रुकिए। जो आप “फन” समझ रहे हैं, वो असल में एक ऐसा जाल है जो आपके चेहरे को डिजिटल दुनिया का सबसे कीमती डेटा बना रहा है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
हम बात कर रहे हैं Facial Recognition Technology की, यानी चेहरा पहचानने वाली तकनीक की। हर बार जब आप अपना चेहरा किसी AI ऐप में डालते हैं, वो ऐप आपके चेहरे की गहराई, उसकी बनावट, उसकी हड्डियों के एंगल, आपकी आंखों की दूरी, होंठों की रेखा, सब कुछ स्कैन करता है। और यह डेटा सिर्फ एक तस्वीर नहीं होता, यह होता है आपका बायोमेट्रिक पासवर्ड—जो कभी बदला नहीं जा सकता।
हमारी सबसे बड़ी भूल यही है कि हम इसे मज़ाक में ले लेते हैं। सोचते हैं – “अरे एक फोटो ही तो है।” लेकिन वही फोटो जब आपकी पहचान बन जाए, आपकी लोकेशन से जुड़ जाए, आपकी पहचान किसी फर्जी नाम से इस्तेमाल होने लगे, तो क्या होगा? फिर क्या आप कह पाएंगे कि “एक फोटो ही तो थी”?
असलियत ये है कि हम रोजाना अपना चेहरा इन AI कंपनियों को दे रहे हैं – चाहे वह फोन अनलॉक करने के लिए हो, सोशल मीडिया पर किसी दोस्त के साथ टैग करने के लिए हो या फिर किसी नई सर्विस को एक्सेस करने के लिए। धीरे-धीरे हमारी पहचान इन कंपनियों के डेटाबेस में एक स्थायी जगह बना चुकी है। और वो भी हमारी मर्जी के बिना।
जब आप किसी AI फोटो जनरेटर को अपनी इमेज भेजते हैं, तो आप सिर्फ उसका “output” नहीं ले रहे होते। आप उसे अधिकार दे रहे होते हैं – आपके चेहरे की नक्शानवीसी करने का, उसे सहेजने का, और शायद भविष्य में किसी ऐसे मकसद के लिए इस्तेमाल करने का जिसके बारे में आपको खुद अंदाज़ा नहीं।
अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ एक अंदेशा है, तो Clear view AI का उदाहरण आपके सामने है। ये कंपनी अमेरिका की थी, और उस पर आरोप लगा कि उसने बिना इजाज़त के सोशल मीडिया, न्यूज़ साइट्स, और पब्लिक रिकॉर्ड्स से तीन अरब तस्वीरें इकट्ठी कर लीं। ये तस्वीरें बाद में पुलिस और प्राइवेट कंपनियों को बेच दी गईं। सोचिए, आपकी एक प्रोफाइल फोटो, किसी और की गिरफ्तारी का कारण बन सकती है।
और ये खतरा सिर्फ विदेशों तक सीमित नहीं है। मई 2024 में ऑस्ट्रेलिया की Outabox कंपनी का डाटा लीक हुआ, जिसमें 1 मिलियन लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए। हैकर्स ने इस डेटा को ‘Have I Been Outaboxed’ नामक साइट पर डाल दिया। उस लीक के बाद लोगों की पहचान चुराई गई, उनके नाम से फर्जी अकाउंट खोले गए, और उन्हें सामाजिक और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ये सब दिखाता है कि हमारे चेहरे का डेटा किसी भी पासवर्ड से कहीं ज़्यादा कीमती और खतरनाक है। क्योंकि पासवर्ड बदला जा सकता है, चेहरा नहीं। और अब सवाल ये नहीं रह गया है कि “क्या आपका चेहरा चुराया जा सकता है?”, बल्कि सवाल ये है कि “आपका चेहरा अब तक कितनी बार चुराया जा चुका है?”
यहां एक और नाम आता है—PimEyes। यह एक सर्च इंजन है, जो किसी भी फोटो को अपलोड कर उससे मिलती-जुलती तस्वीरें इंटरनेट पर खोज निकालता है। यानी कोई अजनबी भी आपकी एक तस्वीर से जान सकता है कि आपने कौन-कौन सी वेबसाइट्स पर अपनी फोटो डाली है, और कहां-कहां आप देखे जा सकते हैं। इसका मतलब है, स्टॉकिंग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
अब सोचिए, जब टेक्नोलॉजी इस स्तर तक पहुंच चुकी है, तो कंपनियां इसका फायदा क्यों नहीं उठाएंगी? Statista की रिपोर्ट के अनुसार, Facial Recognition Technology का बाजार 2025 तक 5.73 अरब डॉलर का हो सकता है और 2031 तक ये 14.55 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यानी आपके चेहरे से जुड़ा डेटा एक बिज़नेस है, एक कमोडिटी है, और सबसे ज़्यादा बिकने वाली चीज़ है।
मेटा (Facebook) और गूगल जैसी कंपनियों पर भी ये आरोप लगते रहे हैं कि वो, अपने यूज़र्स की फोटोज़ को अपने AI मॉडल्स को ट्रेन करने के लिए इस्तेमाल करती हैं। लेकिन इन कंपनियों की पॉलिसी इतनी जटिल होती हैं कि आम इंसान समझ ही नहीं पाता कि वो कब, क्या सहमति दे रहा है।
सबसे खतरनाक बात ये है कि ये सब आपकी आंखों के सामने हो रहा है – पर आप देख नहीं पा रहे। ये चेहरा चुराने की प्रक्रिया इतनी सहज, इतनी धीमी और इतनी मासूमियत से की जा रही है कि आपको इसका एहसास ही नहीं होता।
अब सवाल ये उठता है कि इस खतरे से बचा कैसे जाए? क्या हम AI का इस्तेमाल बंद कर दें? क्या हम सोशल मीडिया से हट जाएं? क्या हम टेक्नोलॉजी से डरकर पीछे हट जाएं? नहीं। इसका हल डर नहीं है, बल्कि जागरूकता है।
सबसे पहले, Ghibli स्टाइल या किसी भी AI फोटो जनरेटर के पीछे छिपी पॉलिसी को समझिए। बिना पढ़े, बिना सोचे किसी भी ऐप को अपना कैमरा एक्सेस न दीजिए। कोई भी फोटो अपलोड करने से पहले सोचिए कि क्या वो जरूरी है? सोशल मीडिया पर हाई-रिज़ॉल्यूशन फोटोज़ अपलोड करने से बचिए, क्योंकि इन्हें स्कैन करना और क्लोन बनाना आसान होता है।
फेस अनलॉक का इस्तेमाल बंद कीजिए और उसकी जगह पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करिए। कोशिश करिए कि अपने बच्चों की तस्वीरें इंटरनेट पर न डालें, खासकर उनके चेहरे के क्लोज़-अप। इसके अलावा, सरकार और कंपनियों पर दबाव बनाया जाना चाहिए कि वो पारदर्शिता रखें। लोगों को बताया जाए कि उनका बायोमेट्रिक डेटा कहां, कैसे और किस मकसद से इस्तेमाल हो रहा है।
लेकिन याद रखिए, ये सारे उपाय अस्थायी हैं। जब तक कोई सख्त कानून नहीं बनेगा, जब तक AI कंपनियों पर निगरानी रखने वाली स्वतंत्र एजेंसी नहीं होगी, तब तक आपका चेहरा इसी तरह चुपचाप चुराया जाता रहेगा।
अब वक़्त आ गया है कि हम अपने बायोमेट्रिक डेटा को उतनी ही गंभीरता से लें, जितना एक पासवर्ड या बैंक अकाउंट नंबर को लेते हैं। क्योंकि आने वाला कल डिजिटल है, और उस डिजिटल दुनिया में आपकी सबसे बड़ी पहचान आपका चेहरा ही होगा।
तो अगली बार जब कोई AI ऐप आपसे कहे – “अपनी तस्वीर भेजिए और देखिए Ghibli अवतार में कैसा दिखते हैं आप”… तो एक पल रुकिए। सोचिए, क्या वो सिर्फ आपका चेहरा मांग रहा है? या आपकी पहचान, आपका वजूद, आपका अधिकार… सब कुछ?
Conclusion
अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”