Health insurance claim reject होने की 4 बड़ी वजहें: जानिए कैसे बचें लाखों के नुकसान से !

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, आपके घर में अचानक एक बड़ी मेडिकल इमरजेंसी हो जाती है। किसी प्रियजन को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। लाखों रुपये का इलाज और मेडिकल खर्चा सामने आता है। राहत की बात यह है कि आपने पहले ही एक Health Insurance Policy ली हुई है, जिससे इन खर्चों को आसानी से कवर किया जा सकेगा। आप निश्चिंत होकर इंश्योरेंस क्लेम फाइल करते हैं, लेकिन फिर एक चौंकाने वाली खबर आती है — क्लेम रिजेक्ट हो गया! आपके हाथ-पांव फूल जाते हैं। इलाज का पूरा खर्च अपनी जेब से उठाना पड़ता है। तनाव, आर्थिक बोझ और असहायता का यह अनुभव कोई भी नहीं चाहता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि health insurance claim reject होने के पीछे कुछ ऐसी सामान्य गलतियां होती हैं, जिन्हें आसानी से टाला जा सकता है? आज हम बात करेंगे उन 4 प्रमुख कारणों की, जिनकी वजह से health insurance claim reject हो जाता है। अगर आपने भी Health Insurance लिया है या लेने की सोच रहे हैं, तो इस वीडियो को पूरा जरूर देखें, ताकि आप इन गलतियों से बच सकें और अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

1. वेटिंग पीरियड के दौरान क्लेम करना – एक बड़ी गलती।

Health Insurance Policy में वेटिंग पीरियड का एक महत्वपूर्ण नियम होता है, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। वेटिंग पीरियड का अर्थ है कि जब आप एक नई Health Insurance Policy खरीदते हैं, तो एक निश्चित अवधि तक आप क्लेम नहीं कर सकते। यह अवधि आमतौर पर 30 दिनों से 90 दिनों तक होती है, जबकि कुछ पॉलिसीज में यह 2 से 4 साल तक भी हो सकती है, खासतौर पर प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज (पहले से मौजूद बीमारियों) के लिए। यह नियम इसलिए लागू किया जाता है ताकि लोग पॉलिसी खरीदने के तुरंत बाद उसका दुरुपयोग न कर सकें। कई बार लोग बीमार पड़ने के बाद Health Insurance खरीदते हैं और तुरंत क्लेम फाइल करते हैं। लेकिन अगर आपने वेटिंग पीरियड को पूरा नहीं किया है, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। समाधान यह है कि जब भी आप Health Insurance खरीदें, तो वेटिंग पीरियड की शर्तों को ध्यान से पढ़ें। अगर आपकी कोई पुरानी बीमारी है, तो उसके लिए अलग वेटिंग पीरियड हो सकता है। इससे बचने के लिए कुछ कंपनियां क्लोजिंग वेटिंग पीरियड प्लान भी देती हैं, जो थोड़ी अधिक प्रीमियम में तुरंत कवरेज प्रदान करते हैं।

2. पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी छिपाना, जानबूझकर न करें ये गलती।

क्लेम रिजेक्ट होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, – Health Insurance खरीदते समय प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज यानी पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी छिपाना। अक्सर लोग यह सोचकर अपनी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी छिपा लेते हैं कि इससे उनका प्रीमियम कम रहेगा। लेकिन यह एक बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है। मान लीजिए, किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, लेकिन उसने पॉलिसी लेते समय इसका उल्लेख नहीं किया। कुछ महीनों बाद जब वह अस्पताल में भर्ती होता है और डायबिटीज संबंधित समस्या के लिए क्लेम करता है, तो कंपनी मेडिकल जांच के दौरान यह पता लगा लेती है कि यह बीमारी पहले से थी। ऐसे में कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर देती है, क्योंकि यह जानकारी पॉलिसी के समय छिपाई गई थी।

इंश्योरेंस कंपनियां स्वास्थ्य से जुड़ी हर जानकारी की गहन जांच करती हैं, इसलिए कभी भी मेडिकल हिस्ट्री छिपाने की गलती न करें। भले ही इससे प्रीमियम थोड़ा बढ़ जाए, लेकिन इससे आपको भविष्य में क्लेम रिजेक्शन जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। समाधान यह है कि जब भी आप Health Insurance खरीदें, अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री को सही-सही बताएं। इससे आपका क्लेम आसानी से Approved होगा और आपको मानसिक शांति मिलेगी।

3. लैप्स हो चुकी पॉलिसी पर क्लेम करना, समय पर Renovation न करना भारी पड़ सकता है।

क्लेम रिजेक्ट होने का तीसरा बड़ा कारण है – पॉलिसी लैप्स हो जाना। Health Insurance Policy को हर साल या Fixed period के अनुसार रिन्यू करवाना पड़ता है। अगर आपने समय पर अपनी पॉलिसी रिन्यू नहीं करवाई, तो आपकी पॉलिसी लैप्स हो जाती है। पॉलिसी लैप्स होने का अर्थ है कि आपकी कवरेज समाप्त हो गई है और अगर इस दौरान कोई मेडिकल इमरजेंसी हो जाती है, तो आप उस पॉलिसी पर क्लेम नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी 31 दिसंबर को खत्म हो रही है और आप 1 जनवरी को अस्पताल में भर्ती होते हैं, लेकिन पॉलिसी रिन्यू नहीं की गई है, तो क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा। पॉलिसी लैप्स होने की स्थिति में एक और समस्या आती है – अगर आप इसे फिर से रिन्यू करवाते हैं, तो वेटिंग पीरियड और प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज कवरेज फिर से शुरू हो सकता है।

समाधान यह है कि अपनी पॉलिसी को समय पर रिन्यू करवाएं। अधिकतर कंपनियां पॉलिसी एक्सपायर होने से पहले रिन्यूअल के लिए रिमाइंडर भेजती हैं। इसके अलावा, अब कई इंश्योरेंस कंपनियां ऑटो-डेबिट या ईएमआई मोड में रिन्यूअल की सुविधा भी देती हैं। समय पर पॉलिसी रिन्यू करवाकर आप क्लेम रिजेक्शन की इस सामान्य गलती से बच सकते हैं।

4. क्लेम करने में देरी करना – समयसीमा का पालन करना अनिवार्य है।

क्लेम रिजेक्ट होने का चौथा मुख्य कारण है – क्लेम फाइल करने में देरी करना। हर Health Insurance Policy में क्लेम फाइल करने की एक निश्चित समय-सीमा होती है। अगर आप इस निर्धारित समय के भीतर क्लेम फाइल नहीं करते हैं, तो आपका क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है।

आमतौर पर Health Insurance में दो तरह के क्लेम होते हैं:

1. कैशलेस क्लेम: जिसमें अस्पताल में एडमिशन के समय ही इंश्योरेंस कंपनी से अप्रूवल लिया जाता है।

2. रिम्बर्समेंट क्लेम: जहां पहले आप खर्च करते हैं और बाद में बिल और डॉक्यूमेंट्स जमा कर क्लेम फाइल करते हैं।

रिम्बर्समेंट क्लेम के मामले में, अक्सर लोग अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद महीनों तक क्लेम फाइल नहीं करते। कंपनियों की पॉलिसी के अनुसार, क्लेम फाइल करने के लिए 30 से 90 दिनों की समयसीमा होती है।

समाधान यह है कि जैसे ही आप अस्पताल में भर्ती होते हैं, तुरंत इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करें। डिस्चार्ज होने के तुरंत बाद सभी जरूरी दस्तावेज जैसे बिल, डिस्चार्ज समरी और मेडिकल रिपोर्ट्स जमा कर क्लेम फाइल करें। इससे आपका क्लेम समय पर प्रोसेस होगा और रिजेक्ट होने की संभावना कम हो जाएगी।

Conclusion

तो दोस्तों, health insurance claim reject होना एक गंभीर समस्या है, जो आपके पूरे फाइनेंशियल प्लान को हिला सकती है। आपने देखा कि वेटिंग पीरियड, पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी छिपाना, पॉलिसी लैप्स होना और क्लेम करने में देरी जैसी गलतियां आपके क्लेम को रिजेक्ट करवा सकती हैं। लेकिन अगर आप समय पर पॉलिसी रिन्यू करवाते हैं, अपनी मेडिकल हिस्ट्री को पूरी तरह से खुलासा करते हैं और समयसीमा का पालन करते हैं, तो आप इन गलतियों से बच सकते हैं। Health Insurance एक सुरक्षा कवच है, जो सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो आपके परिवार को आर्थिक संकट से बचा सकता है। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

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