Legal Dispute: Helix पर Infosys और Cognizant के बीच कानूनी जंग: दो टेक दिग्गजों में से किसकी होगी जीत? 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि दो global टेक्नोलॉजी कंपनियां, जो सालों तक इंडस्ट्री में साथ-साथ Competition करती रही हैं, अचानक कोर्ट में आमने-सामने क्यों हैं? आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत की आईटी दिग्गज Infosys और अमेरिकी टेक कंपनी Cognizant अब कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं? इस विवाद का केंद्र बिंदु केवल एक हेल्थकेयर सॉफ्टवेयर है, या इसके पीछे कॉर्पोरेट दुनिया का एक बड़ा रहस्य छिपा है?

यह विवाद तब गहराया जब Infosys ने अमेरिका की टेक्सास कोर्ट में, Cognizant और उसके सीईओ रवि कुमार के खिलाफ मुकदमा दायर किया। आरोप गंभीर हैं – व्यापार रहस्यों की चोरी, Anti-competitive strategies, और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में बाधा डालना। Infosys का दावा है कि उसके पूर्व अधिकारी रवि कुमार ने सीईओ बनने के बाद जानबूझकर, संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया और हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म ‘Helix’ की प्रगति को नुकसान पहुंचाया।

लेकिन यह मामला केवल तकनीकी विवाद नहीं है। यह दो दिग्गज कंपनियों के बीच एक लंबे समय से चले आ रहे Competition और वर्चस्व की लड़ाई का संकेत देता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई यह नैतिकता का मुद्दा है, या सिर्फ बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Infosys और Cognizant के बीच विवाद कैसे शुरू हुआ, और दोनों कंपनियों के दावे क्या हैं?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब Infosys ने अमेरिकी अदालत में यह दावा किया कि Cognizant ने, जानबूझकर उनके हेल्थकेयर सॉफ़्टवेयर ‘Helix’ के विकास को बाधित करने की साजिश रची। Infosys का आरोप है कि उनके पूर्व सीनियर एग्जीक्यूटिव रवि कुमार ने कंपनी छोड़ने के बाद, Cognizant में शामिल होकर कंपनी की Competitive जानकारी साझा की। Infosys के अनुसार, 2019 में शुरू किया गया हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म Helix, अमेरिका के हेल्थकेयर सिस्टम को अधिक कुशल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। लेकिन जब रवि कुमार ने 2022 में Infosys छोड़कर Cognizant का सीईओ पद संभाला, तब उन्होंने Helix के लिए जरूरी संसाधनों और फंडिंग को रोक दिया। इससे प्रोजेक्ट में 18 महीनों की देरी हुई।

दूसरी ओर, Cognizant ने Infosys के आरोपों का जोरदार खंडन किया है। Cognizant का दावा है कि Infosys ने उनके TriZetto हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म से, गोपनीय व्यापारिक जानकारी चुराई और उसी आधार पर Helix सॉफ़्टवेयर विकसित किया। उन्होंने Infosys पर Confidentiality Agreements (NDA) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, और दावा किया कि उनके व्यापार रहस्यों का दुरुपयोग किया गया। दोनों कंपनियां एक-दूसरे पर व्यावसायिक नैतिकता के उल्लंघन और गोपनीय डेटा का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह मामला सिर्फ business competition का है, या वास्तव में किसी कंपनी ने अनैतिक रूप से डेटा का दुरुपयोग किया है?

Infosys ने रवि कुमार पर क्या आरोप लगाए हैं, और क्या उन्होंने कंपनी को धोखा दिया?

Infosys ने अपने मुकदमे में सीधे तौर पर रवि कुमार को निशाना बनाया है, जो अब Cognizant के सीईओ हैं। Infosys ने दावा किया कि जब रवि कुमार Infosys में वरिष्ठ अधिकारी थे, तब उन्होंने Helix प्रोजेक्ट को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन जब उन्होंने कंपनी छोड़ने का फैसला किया, तो अचानक इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग और रिसोर्सेस में कटौती की।

Infosys का दावा है कि रवि कुमार ने Helix सॉफ़्टवेयर की गोपनीय जानकारी को जानबूझकर दबाया और इसे कमजोर करने की कोशिश की। इसके अलावा, Infosys का आरोप है कि उन्होंने श्वेता अरोड़ा और रवि किरण कुचिभोटला जैसे कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रभावित किया, और उन्हें Cognizant में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

Infosys के अनुसार, ये कदम जानबूझकर उठाए गए ताकि Helix प्लेटफॉर्म को बाजार में पूरी तरह लॉन्च होने से पहले ही कमजोर किया जा सके। इसके अलावा, Infosys ने कोर्ट से रवि कुमार और Cognizant के Non-Disclosure Agreements (NDAs) को अमान्य घोषित करने और तीन गुना मुआवजा मांगने की अपील की है।

Cognizant ने Infosys के आरोपों का किस तरह बचाव किया है, और क्या Infosys के आरोप गलत हैं?

Cognizant ने Infosys के इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए दावा किया कि सच्चाई बिल्कुल अलग है। उनका कहना है कि TriZetto प्लेटफॉर्म, जो उनका हेल्थकेयर सॉफ्टवेयर है, पहले से ही बाजार में मौजूद था। उन्होंने आरोप लगाया कि Infosys ने इस सॉफ़्टवेयर के गोपनीय व्यापार रहस्यों का उपयोग करके Helix विकसित किया। Cognizant का कहना है कि उन्होंने Infosys के अधिकारियों से नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (NDA) पर हस्ताक्षर करवाए थे, जो गोपनीयता को बनाए रखने के लिए था। लेकिन Infosys ने इस समझौते का उल्लंघन किया और उनकी टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग किया। Cognizant ने यह भी तर्क दिया कि Infosys का दावा सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि बाजार में उनकी साख को खराब किया जा सके। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि Infosys के आरोपों को खारिज किया जाए और कंपनी को कानूनी खर्चों की भरपाई करने के लिए बाध्य किया जाए।

Infosys और Cognizant विवाद का टेक इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ सकता है?

यह विवाद सिर्फ दो कंपनियों के बीच कानूनी लड़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे ग्लोबल आईटी इंडस्ट्री पर पड़ सकता है। सबसे बड़ा असर विश्वास और गोपनीयता पर पड़ेगा। जब दो टेक्नोलॉजी दिग्गज, जो संवेदनशील हेल्थकेयर डेटा को संभालती हैं, इस तरह के विवाद में उलझती हैं, तो क्लाइंट्स का विश्वास कमजोर होता है। हेल्थकेयर जैसे संवेदनशील सेक्टर में डेटा सिक्योरिटी सबसे महत्वपूर्ण होती है। इसके अलावा, यह विवाद कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर भी सवाल खड़े करता है। क्या शीर्ष अधिकारियों को कंपनी बदलते समय व्यावसायिक नैतिकता का पालन नहीं करना चाहिए

Infosys और Cognizant का विवाद कोर्ट में किस स्थिति में है, और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?

फिलहाल यह मामला टेक्सास कोर्ट में विचाराधीन है। दोनों कंपनियों ने अपने-अपने पक्ष मजबूती से पेश किए हैं। यदि Infosys अपने दावों को साबित कर देती है, तो Cognizant को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है। साथ ही, उनकी ब्रांड वैल्यू और क्लाइंट ट्रस्ट को भी नुकसान होगा। वहीं, यदि Cognizant ने अपने बचाव को सही साबित किया, तो Infosys की प्रतिष्ठा को झटका लग सकता है और यह सवाल उठेगा कि क्या उन्होंने सच में व्यापार रहस्यों का दुरुपयोग किया है?

Conclusion

तो दोस्तों, Infosys बनाम Cognizant का यह विवाद केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं है। यह दिखाता है कि कैसे कॉर्पोरेट दुनिया में Competition, नैतिकता और गोपनीयता के मुद्दे तेजी से जटिल होते जा रहे हैं। अब कोर्ट का फैसला ही बताएगा कि क्या वाकई Infosys के आरोप सही हैं, या Cognizant इस लड़ाई में निर्दोष है। आप क्या सोचते हैं? क्या यह सिर्फ व्यापार की रणनीति है या कुछ बड़ा छिपा हुआ है? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताए I

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