नमस्कार दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) का हेडक्वार्टर पहले लंदन में हुआ करता था? क्या आपको अंदाजा है कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि क्रिकेट की सबसे बड़ी गवर्निंग बॉडी को लंदन से उठाकर दुबई ले जाना पड़ा? क्या ये सिर्फ खर्चा बचाने का मामला था या फिर इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक और आर्थिक खेल छिपा हुआ था? ICC की स्थापना 1909 में लंदन में की गई थी और करीब 96 साल तक इसका मुख्यालय लंदन में ही रहा।
लेकिन साल 2005 में अचानक यह फैसला लिया गया कि ICC का हेडक्वार्टर लंदन से हटाकर दुबई में शिफ्ट कर दिया जाएगा। यह फैसला क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। यह सिर्फ क्रिकेट प्रशासन का बदलाव नहीं था, बल्कि इससे क्रिकेट के पावर सेंटर का भी शिफ्ट होना तय हो गया।
इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ी भूमिका भारत और एशिया की बढ़ती ताकत की थी। भारत ने न सिर्फ क्रिकेट के खेल को बदला, बल्कि इसके पीछे की पूरी अर्थव्यवस्था को भी हिला कर रख दिया। तो आखिर ICC को क्यों लंदन से हटाकर दुबई ले जाना पड़ा? क्या भारत और एशिया की क्रिकेट शक्ति ने इस फैसले को प्रभावित किया था? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
ICC की स्थापना 1909 में इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस के रूप में हुई थी। शुरुआत में इसका उद्देश्य सिर्फ इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच क्रिकेट के नियमों को स्थापित करना था। उस समय क्रिकेट एक अभिजात वर्ग का खेल माना जाता था, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभाव वाले देशों का दबदबा था। 1965 में इसे इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस नाम दिया गया, जब भारत, पाकिस्तान और वेस्टइंडीज जैसे देशों को इसमें शामिल किया गया। 1987 में इसका नाम बदलकर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) कर दिया गया। लंदन में इसका हेडक्वार्टर होना स्वाभाविक था क्योंकि ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव क्रिकेट पर सबसे ज्यादा था।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, क्रिकेट का स्वरूप भी बदला। 1980 के दशक के अंत तक भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर होने लगा। 1983 में भारत ने कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीता, जिससे भारत में क्रिकेट का क्रेज नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक धर्म बन गया। 1990 के दशक तक आते-आते भारतीय क्रिकेट टीम मजबूत बन चुकी थी और भारतीय दर्शकों की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी थी। यही वह दौर था जब क्रिकेट के आर्थिक समीकरण भी बदलने लगे।
1991 के बाद भारत में आर्थिक सुधार हुए। ग्लोबलाइजेशन की वजह से भारतीय कंपनियों ने क्रिकेट में Investment करना शुरू किया। भारतीय दर्शकों की बढ़ती संख्या के कारण टीवी ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों ने क्रिकेट मैचों के प्रसारण अधिकार के लिए मोटी रकम देनी शुरू की। इसने क्रिकेट की पूरी आर्थिक व्यवस्था को बदलकर रख दिया। जहां पहले क्रिकेट के बड़े फैसले इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के दबदबे में लिए जाते थे, वहीं अब भारत ने धीरे-धीरे क्रिकेट के आर्थिक फैसलों पर अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी।
अब सवाल उठता है कि आखिर ICC के हेडक्वार्टर को लंदन से दुबई शिफ्ट करने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके पीछे तीन बड़े कारण थे – आर्थिक दबाव, टैक्स बचत और क्रिकेट के पावर सेंटर का एशिया में शिफ्ट होना।
पहला कारण आर्थिक दबाव था। लंदन में ICC का हेडक्वार्टर बनाए रखना महंगा सौदा बन चुका था। इंग्लैंड में ऑफिस स्पेस और कर्मचारियों की सैलरी पर भारी खर्च हो रहा था। इसके अलावा, इंग्लैंड के टैक्स नियमों के कारण ICC को अपने ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू और स्पॉन्सरशिप डील्स पर भारी टैक्स देना पड़ रहा था। उस समय ICC की इनकम का बड़ा हिस्सा टीवी ब्रॉडकास्टिंग से आता था। भारत में क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ICC की ज्यादातर कमाई भारतीय कंपनियों और भारतीय ब्रॉडकास्टर्स से हो रही थी। लेकिन इंग्लैंड के टैक्स कानूनों के कारण ICC को इस कमाई पर भारी टैक्स चुकाना पड़ता था।
दूसरा बड़ा कारण टैक्स बचत थी। दुबई एक टैक्स फ्री देश है। दुबई में इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है। ICC ने इस मौके को भुनाने का फैसला किया। अगर ICC का हेडक्वार्टर दुबई में शिफ्ट किया जाता, तो इसे अपने ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू और स्पॉन्सरशिप पर टैक्स नहीं देना पड़ता। इसके अलावा दुबई की भौगोलिक स्थिति भी फायदेमंद थी। दुबई एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बीच स्थित है, जिससे सभी क्रिकेट बोर्ड के लिए यहां आना और बैठकों का आयोजन करना आसान हो जाता।
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण क्रिकेट के पावर सेंटर का एशिया में शिफ्ट होना था। 2000 के बाद क्रिकेट का दबदबा एशिया में बढ़ गया था। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में क्रिकेट की लोकप्रियता चरम पर थी। भारत अकेले ही ICC की कुल इनकम में 60% का योगदान कर रहा था। आईपीएल की शुरुआत के बाद भारत में क्रिकेट का दबदबा और भी बढ़ गया। क्रिकेट की ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और स्पॉन्सरशिप से मोटी रकम आ रही थी। भारतीय कंपनियां और ब्रॉडकास्टर्स ICC के सबसे बड़े आर्थिक स्तंभ बन चुके थे। ऐसे में भारत ने ICC के आर्थिक मॉडल पर नियंत्रण बना लिया था।
2005 में ICC के चेयरमैन अहसान मनी और मुख्य कार्यकारी मैल्कम स्पीड ने फैसला किया कि ICC का हेडक्वार्टर लंदन से दुबई शिफ्ट कर दिया जाए। इस फैसले से ICC को हर साल करोड़ों रुपये की टैक्स बचत हुई। दुबई की भौगोलिक स्थिति के कारण क्रिकेट बोर्ड्स के लिए मीटिंग्स में शामिल होना आसान हो गया। दुबई के आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं ने भी इस फैसले को मजबूत बनाया।
इस फैसले के बाद क्रिकेट पर भारत का प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ गया। आज ICC की ज्यादातर इनकम भारत से ही आती है। आईपीएल दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग बन चुकी है। भारतीय कंपनियां ICC की स्पॉन्सरशिप डील्स में सबसे बड़ा हिस्सा रखती हैं। आज ICC के बड़े फैसले भारत के बिना संभव नहीं होते।
दुबई में हेडक्वार्टर शिफ्ट करने के बाद ICC ने वित्तीय मजबूती हासिल की। आज ICC के पास करीब 4 बिलियन डॉलर की नेटवर्थ है। ICC की इनकम का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय ब्रॉडकास्टिंग राइट्स और आईपीएल से आता है। भारत ने क्रिकेट के इस पूरे आर्थिक मॉडल को अपने पक्ष में कर लिया है।
तो सवाल यह है कि क्या अब क्रिकेट पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में आ चुका है? क्या भविष्य में भारत क्रिकेट के नियमों और टूर्नामेंट्स के स्वरूप को तय करेगा? एक बात तो तय है कि दुबई में ICC का हेडक्वार्टर शिफ्ट करने के बाद क्रिकेट का आर्थिक मॉडल पूरी तरह से बदल चुका है। भारत की आर्थिक ताकत ने क्रिकेट के पावर बैलेंस को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया है। क्रिकेट के इस खेल में भारत अब सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक किंगमेकर बन चुका है।
Conclusion
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