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किरण मजूमदार शॉ: संघर्ष और सफलता की कहानी, 40 हजार करोड़ की कंपनी तक का सफर।

किरण मजूमदार-शॉ

नमस्कार दोस्तों, जब इंसान के पास अपने सपनों को साकार करने का जुनून हो और वह अपनी मेहनत से हर बाधा को पार करने का संकल्प ले ले, तो उसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती। इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं किरण मजूमदार शॉ, जिन्होंने बायोकॉन की स्थापना करके एक साधारण गैराज से अपने सफर की शुरुआत की, और उसे 40,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी में बदल दिया।

किरण मजूमदार शॉ का जीवन संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी है। उनकी शुरुआत साधारण थी, लेकिन उन्होंने दिखाया कि मजबूत इरादों और निरंतर प्रयास से कैसे बड़ी से बड़ी चुनौती को मात दी जा सकती है। आज वे भारत की सबसे सफल महिलाओं में से एक हैं, और फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल हैं। उनकी सफलता की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

सबसे पहले बात करते हैं कि शुरुआती जीवन में किरण मजूमदार-शॉ ने Science और अपने सपनों की ओर पहला कदम कैसे बढ़ाया? 23 मार्च 1953 को कर्नाटक के बेंगलुरु में जन्मी किरण मजूमदार शॉ एक साधारण परिवार से थीं। उन्होंने बचपन से ही Science में गहरी रुचि दिखाई और बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी से ‘मॉल्टिंग और ब्रूइंग’ में Higher education प्राप्त की। चार साल तक उन्होंने कार्लटन एंड यूनाइटेड ब्रुअरीज में एक ट्रेनी ब्रूवर के तौर पर काम किया। यह उनके करियर की शुरुआत थी, लेकिन जल्द ही उन्हें यह महसूस हुआ कि भारत में महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में आगे बढ़ना आसान नहीं होगा। वे कोलकाता की जूपिटर ब्रुअरीज लिमिटेड में Technical Advisor के तौर पर भी काम कर चुकी हैं, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा कुछ बड़ा करने की थी।

जब उन्होंने दिल्ली और बेंगलुरु में नौकरी के लिए आवेदन किया, तो उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि ब्रूवर का काम केवल पुरुषों के लिए है। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय इसे अपने लिए एक नई शुरुआत का मौका माना।

अब बात करते हैं कि आयरलैंड की यात्रा ने किरण मजूमदार-शॉ को बिजनेस की ओर पहला कदम उठाने के लिए कैसे प्रेरित किया?

किरण के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया, जब उनकी मुलाकात आयरिश Businessman लेस ऑचिंक्लॉस से हुई। ऑचिंक्लॉस ने उन्हें बिजनेस शुरू करने की सलाह दी। शुरुआत में किरण को यह विचार अनिश्चित लगा, लेकिन ऑचिंक्लॉस ने उन्हें बायोकॉन बायोकेमिकल्स में छह महीने की ट्रेनिंग का ऑफर दिया, और यह वादा किया कि अगर उन्हें बिजनेस पसंद नहीं आया, तो वे उन्हें नौकरी दिलाएंगे।

किरण ने आयरलैंड में ट्रेनिंग ली और वहां से बायोटेक्नोलॉजी का ज्ञान हासिल किया। कुछ समय बाद, जब वे भारत लौटीं, तो उन्होंने इस क्षेत्र में काम करने का फैसला किया। हालांकि, उस समय बायोटेक्नोलॉजी एक नया और अनजान क्षेत्र था, और महिलाओं का बिजनेस करना समाज में असामान्य माना जाता था। इन चुनौतियों के बावजूद किरण ने अपना आत्मविश्वास बनाए रखा और आगे बढ़ने का फैसला किया।

अब सवाल है कि किरण मजूमदार-शॉ ने 10 हजार रुपये और एक बड़े सपने के साथ गैराज से अपने बिजनेस की शुरुआत कैसे की?

1978 में किरण ने आयरलैंड की बायोकॉन बायोकेमिकल्स लिमिटेड के साथ मिलकर भारत में बायोकॉन की नींव रखी। उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत महज 10,000 रुपये की पूंजी से बेंगलुरु के एक छोटे से गैराज में की। यह एक साधारण शुरुआत थी, लेकिन उनकी सोच बड़ी थी।

कंपनी ने सबसे पहले पपीते के रस से एंजाइम बनाने का काम शुरू किया। यह प्रोडक्ट अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में Export हुआ, और कंपनी ने शुरुआती सालों में ही सफलता की ओर कदम बढ़ा दिए। इसके बाद बायोकॉन ने इसिंग्लास का निर्माण शुरू किया, जिसका उपयोग बीयर को साफ करने के लिए किया जाता है। उनकी यह शुरुआत दिखाती है कि किसी भी बड़े सपने की शुरुआत छोटे कदमों से होती है। अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, तो बाधाएं आपकी सफलता को रोक नहीं सकतीं।

अब सवाल है कि बायोकॉन भारत की सबसे बड़ी बायोफार्मा कंपनी कैसे बनी?

किरण मजूमदार शॉ की मेहनत और दूरदृष्टि ने बायोकॉन को बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में, भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बना दिया। आज बायोकॉन भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है, जिसका वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

कंपनी ने कैंसर, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं बनाईं, जो न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में उपलब्ध हैं। बायोकॉन ने बायोटेक्नोलॉजी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और भारत को इस क्षेत्र में global पहचान दिलाई।

उनकी यह यात्रा इस बात का सबूत है कि अगर आपके पास आत्मविश्वास और मेहनत करने का जज्बा है, तो आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

अब बात करते हैं कि किरण मजूमदार-शॉ ने सामाजिक बाधाओं का सामना करते हुए सफलता कैसे हासिल की?

किरण मजूमदार शॉ ने अपने करियर के दौरान कई सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना किया। उस दौर में महिलाओं का बिजनेस करना असामान्य माना जाता था, और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्र में तो इसकी संभावना और भी कम थी। लेकिन उन्होंने साबित किया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा सफलता की राह में रोड़ा नहीं बन सकती। उन्होंने न केवल खुद को एक सफल Entrepreneur के रूप में स्थापित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी जगह बना सकती हैं। उनकी यह यात्रा उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो समाज के पूर्वाग्रहों के खिलाफ लड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं।

अब सवाल है कि किरण मजूमदार-शॉ की विरासत, आज के युवाओं और उद्यमियों के लिए प्रेरणा कैसे बनी?

किरण मजूमदार शॉ की सफलता केवल उनकी कंपनी तक सीमित नहीं है। उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और साहस की कहानी है। उन्होंने न केवल बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत को Global Map पर स्थान दिलाया, बल्कि यह भी दिखाया कि अगर आप अपने सपनों के प्रति समर्पित हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।

उनके योगदान के लिए, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) से सम्मानित किया गया है। वे फोर्ब्स की दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल हैं, और टाइम पत्रिका के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक हैं। उनकी विरासत उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो व्यवसाय और Science के क्षेत्रों में अपना नाम बनाना चाहती हैं। उनकी यह यात्रा यह संदेश देती है कि असफलता केवल एक सीढ़ी है, जो हमें सफलता की ओर ले जाती है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, किरण मजूमदार शॉ की कहानी साहस, संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानी है। उन्होंने न केवल अपने लिए, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए भी एक मार्ग प्रशस्त किया, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।

उनकी यह यात्रा यह दिखाती है कि अगर आपके पास आत्मविश्वास और मेहनत करने का जज्बा है, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। उन्होंने यह साबित किया कि बड़ी सोच और छोटे कदमों के साथ आप किसी भी सपने को साकार कर सकते हैं।

किरण मजूमदार शॉ की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह कहानी साहस, संकल्प और आत्मविश्वास की मिसाल है। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

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