Larry Ellison की सफलता की अद्भुत कहानी – अनाथ से टेक वर्ल्ड के बादशाह बनने तक का सफर! 2025

नमस्कार दोस्तों, एक ऐसा बच्चा, जिसकी शुरुआत ज़िंदगी से नहीं, संघर्ष से हुई। एक मासूम, जिसने पैदा होते ही अपनी माँ की गोद को खो दिया और जिसे उसके असली पिता ने कभी अपनाया ही नहीं। एक ऐसा नवजात, जिसे जन्म के कुछ महीनों के भीतर निमोनिया ने घेर लिया और मौत का साया उसके सिर पर मंडराने लगा। डॉक्टरों ने कह दिया था – यह बच्चा शायद ज़िंदा न बचे। पर नियति को कुछ और ही मंज़ूर था।

क्या आपको यकीन होगा कि यही बच्चा आगे चलकर दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक का संस्थापक बनेगा? एक ऐसा इंसान, जिसने खुद को साबित करने के लिए न केवल दुनिया को बल्कि अपनी किस्मत को भी चुनौती दी। यह कहानी है Larry Ellison की – एक अनाथ से अरबपति बनने तक की, एक ऐसे इंसान की जिसने “नामुमकिन” शब्द को अपनी शब्दावली से ही निकाल दिया। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Larry Ellison का जन्म 17 अगस्त 1944 को न्यूयॉर्क सिटी के ब्रोंक्स इलाके में हुआ था। उनकी माँ, फ्लोरेंस स्पेलमैन, एक अविवाहित युवती थीं, जो आर्थिक रूप से बेहद कठिन स्थिति में थीं। उन्होंने मजबूरी में अपने बेटे को गोद देने का फैसला लिया। जब लैरी महज़ नौ महीने के थे, तब उनकी माँ ने उन्हें शिकागो में अपने चाचा-चाची को सौंप दिया। उनके पालक माता-पिता – लुई और लिलियन एलिसन – यहूदी समुदाय से थे और उन्होंने लैरी को अपने बेटे की तरह पाला। हालांकि उन्हें घर तो मिला, लेकिन प्यार और समर्थन उतना नहीं मिला, जितनी एक बच्चे को चाहिए होती है।

लैरी के सौतेले पिता, लुई एलिसन, पायलट बनने का सपना देखते थे, लेकिन बाद में सरकारी दफ्तर में एक मामूली क्लर्क बनकर रह गए। वे एक सख्त मिज़ाज इंसान थे। अक्सर लैरी को ताना देते रहते – “तू कुछ नहीं कर सकता”, “तेरे बस की बात नहीं है”, और “तू नाकाम रहेगा”। ये शब्द धीरे-धीरे लैरी की आत्मा में उतर गए – लेकिन इन्हें उसने कमजोरी नहीं, अपनी ताकत बना लिया। उसने तय कर लिया कि एक दिन वह खुद को ऐसा साबित करेगा कि दुनिया और उसके पिता – दोनों चौंक जाएं।

लैरी की स्कूली पढ़ाई सामान्य थी। वे कोई अव्वल दर्जे के छात्र नहीं थे, लेकिन उनकी सोच अलग थी। उन्हें Mathematics, Physics और कंप्यूटर जैसी चीज़ों में दिलचस्पी थी। वे घंटों लाइब्रेरी में बैठकर किताबें पढ़ा करते। उन्हें तकनीक में कुछ अलग ही आकर्षण लगता। लेकिन यह रुचि पारंपरिक शिक्षा से मेल नहीं खाती थी। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय में दाखिला लिया और कुछ समय तक वहाँ पढ़ाई की, लेकिन उनकी पालक माँ की मृत्यु ने उनकी ज़िंदगी को हिला कर रख दिया। वे इतने टूट गए कि उन्होंने पढ़ाई ही छोड़ दी।

इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में दाखिला लिया – यह कदम उनकी किस्मत को एक नई दिशा देने वाला था। हालांकि वहाँ भी उन्होंने डिग्री पूरी नहीं की, लेकिन उसी दौरान उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से खुद को जोड़ लिया। उन्होंने खुद से कोडिंग सीखी, UNIX सिस्टम को समझा, और खुद को तकनीक की दुनिया के लिए तैयार किया। ये वो समय था जब सिलिकॉन वैली की चिंगारी जल रही थी, और लैरी उसी चिंगारी में अपनी आग ढूंढ रहे थे।

1966 में Larry Ellison कैलिफोर्निया चले गए। वहाँ उन्होंने अलग-अलग कंपनियों में नौकरी की, जिनमें Amdahl Corporation और Ampex जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं शामिल थीं। अम्पेक्स में काम करते समय उन्होंने relational database की अवधारणा को गहराई से समझा। यहीं उन्हें inspiration मिला – एक ऐसा database सिस्टम बनाने का, जो पूरे डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर को ही बदल सकता था। और यही प्रेरणा उन्हें Oracle की ओर ले गई।

1977 में, Larry Ellison ने अपने दो साथियों – बॉब माइनर और एड ओट्स – के साथ मिलकर एक कंपनी की शुरुआत की। इस कंपनी का नाम रखा गया “Software Development Laboratories”। शुरुआती दिनों में लैरी ने अपने जेब से 1200 डॉलर लगाए – जिनमें से 800 डॉलर उनके खुद के थे। उनके पास न तो बड़ा ऑफिस था, न ही कोई Investor, सिर्फ एक आईडिया और ज़िद्द थी – दुनिया का सबसे तेज और स्मार्ट डेटाबेस सिस्टम बनाना।

इस नए डेटाबेस सॉफ्टवेयर का नाम रखा गया “Oracle” – जिसका मतलब होता है भविष्यवक्ता। और सच में, यह सॉफ्टवेयर भविष्य की कंपनियों की रीढ़ बनने वाला था। Oracle 1, उनका पहला प्रोडक्ट, खासतौर पर अमेरिकी सीआईए के लिए बनाया गया था। यह सिस्टम इतना एडवांस था कि बाकी कंपनियाँ पीछे रह गईं। लैरी की कंपनी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगी। 1982 में कंपनी का नाम बदलकर “Oracle Systems Corporation” कर दिया गया, और यहीं से एक नई गाथा की शुरुआत हुई।

लेकिन सफलता का रास्ता सीधा नहीं था। 1990 में Oracle एक गंभीर संकट में फंस गई। कंपनी ने तेज़ी से विस्तार किया था, और कई कर्मचारियों को ज्यादा वेतन पर भर्ती कर लिया था। खर्चा काबू से बाहर हो गया था। उन्हें मजबूरी में 80% स्टाफ को निकालना पड़ा। लेकिन लैरी डरे नहीं। उन्होंने खुद जिम्मेदारी ली, अपनी टीम को फिर से खड़ा किया, और कंपनी को घाटे से बाहर निकाला।

इसके बाद उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स को लगातार अपग्रेड किया। Oracle 7, Oracle 8, और फिर इंटरनेट के दौर में Oracle 9 i और 10 G जैसे शक्तिशाली प्लेटफॉर्म लांच किए गए। उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग की ओर भी कदम बढ़ाए और Oracle को एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी लीडर बना दिया। आज दुनिया की हर बड़ी कंपनी – चाहे वह बैंक हो, हेल्थकेयर कंपनी हो, या सरकारी संस्था – Oracle के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती है।

लैरी का जीवन सिर्फ कंप्यूटर तक सीमित नहीं रहा। वे जीवन को खुलकर जीने वाले इंसान थे। उन्होंने स्पोर्ट्स याटिंग में हिस्सा लिया, अमेरिका की टीम को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में विजेता बनाया। उन्हें हवाई जहाज उड़ाने का शौक था, और उन्होंने कई Private जेट खरीदे। 2012 में उन्होंने हवाई के “लनाई” नामक द्वीप को 300 मिलियन डॉलर में खरीद लिया। वहाँ उन्होंने एक sustainable और हेल्थ-केंद्रित समाज बसाने की योजना बनाई।

Larry Ellison की सबसे बड़ी प्रेरणा रही – प्रतिस्पर्धा। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट और बिल गेट्स को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी माना। उन्होंने एक बार कहा, “अगर तुम हार से डरते हो, तो तुम जीत के काबिल नहीं।” यही सोच उन्हें आगे बढ़ाती रही। उनके पास असाधारण नेतृत्व क्षमता थी। उन्होंने अपने कर्मचारियों से कहा था – “हमेशा सीखते रहो, असफलता से डरो मत, और नए प्रयोग करने से पीछे मत हटो।”

उनकी साफगोई और आत्मविश्वास उन्हें अलग बनाता है। वे दिखावे से दूर रहते हैं, लेकिन जब बोलते हैं तो सब सुनते हैं। वे कहते हैं – “मैंने कभी पैसे कमाने के लिए काम नहीं किया। मैंने हमेशा समस्याएं सुलझाने और कुछ नया करने के लिए काम किया, और पैसा अपने आप आता गया।” उनकी यही सोच आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है।

Oracle की सफलता के पीछे लैरी की दूरदृष्टि, तकनीकी समझ, और जोखिम उठाने की क्षमता है। उन्होंने कई बार असफलताओं का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उन्होंने सीखा, बदला, और आगे बढ़े। यही उनके जीवन का मंत्र रहा – “कभी मत रुको, कभी मत झुको, और कभी हार मत मानो।”

आज Larry Ellison की नेट वर्थ 100 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। वे ना सिर्फ एक बिजनेसमैन हैं, बल्कि एक समाज सुधारक, एक दूरदर्शी नेता और एक प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने दिखाया कि अनाथ होना कोई कमी नहीं, अगर आपके अंदर सपने देखने और उन्हें सच करने का साहस हो।

Larry Ellison की कहानी हमें यह सिखाती है कि हालात चाहे कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर आपमें जुनून है, दृष्टि है, और मेहनत करने की ताकत है, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता। यह कहानी उन लोगों के लिए है जो मानते हैं कि सफलता सिर्फ किताबों से नहीं, ज़िंदगी के सबक से मिलती है।

Conclusion

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