Long Term Capital Gains टैक्स का सच! शेयर बाजार में निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद या नुकसानदायक? 2025

नमस्कार दोस्तों, शेयर बाजार में मुनाफा कमाना जितना रोमांचक लगता है, उतना ही मुश्किल भी है। हर Investor यह सोचकर बाजार में पैसा लगाता है कि उसे लंबी अवधि में बड़ा लाभ मिलेगा, लेकिन क्या हो अगर आपके इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में कट जाए? भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में आई गिरावट के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण, Long Term Capital Gains टैक्स को माना जा रहा है।

Investors और experts के बीच यह बहस जोरों पर है कि क्या Long Term Capital Gain Tax को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए, ताकि भारतीय शेयर बाजार फिर से अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ सके। लेकिन यह समझना जरूरी है कि Long Term Capital Gains Tax आखिर क्या है और यह Investors के लिए इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गया है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

कैपिटल गेन टैक्स किसी संपत्ति को बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है और यह दो प्रकार का होता है—शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) और Long term capital gain (LTCG)। यदि कोई Investor किसी स्टॉक को 12 महीने से अधिक समय तक अपने पास रखता है और फिर उसे बेचता है, तो उस पर Long Term Capital Gain Tax लागू होता है। शेयर बाजार में Investment करने वाले अधिकांश लोग long term मुनाफे के उद्देश्य से स्टॉक्स खरीदते हैं, लेकिन इस टैक्स के कारण उन्हें अपने लाभ का एक हिस्सा सरकार को देना पड़ता है।

शेयर बाजार में जारी गिरावट का मुख्य कारण Long Term Capital Gain Tax को बताया जा रहा है। बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस टैक्स की दरों में बढ़ोतरी की, जिससे Investors में असंतोष बढ़ गया। सरकार ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया, जबकि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया। इसका सीधा असर उन Investors पर पड़ा, जिन्होंने Long term investment के उद्देश्य से शेयर बाजार में पैसा लगाया था।

सरकार ने Long Term Capital Gain Tax में बढ़ोतरी के साथ ही Investors को कुछ राहत भी दी। बजट 2025 में कैपिटल गेन टैक्स की छूट सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया। इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई Investor एक साल में 1.25 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाता है, तो उसे Long Term Capital Gain Tax नहीं देना होगा। हालांकि, जो बड़े Investor करोड़ों रुपये का लाभ कमाते हैं, उनके लिए यह राहत बहुत अधिक मायने नहीं रखती।

हालांकि, Long Term Capital Gain Tax का प्रभाव केवल भारतीय Investors तक सीमित नहीं है, बल्कि यह Foreign institutional investors (FII) पर भी लागू होता है। भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है, जो शेयर बाजार में Long term capital gain टैक्स वसूलते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और अन्य कई देशों में इस तरह के टैक्स या तो बहुत कम हैं, या फिर पूरी तरह से खत्म कर दिए गए हैं ताकि Foreign investors वहां Investment करने के लिए प्रोत्साहित हों। भारत में इस टैक्स की मौजूदगी से Foreign investors निराश हो रहे हैं, और वे अपना पैसा निकालकर ऐसे देशों में Investment करने लगे हैं जहां टैक्स कम है।

Investors और बाजार experts का मानना है कि Long Term Capital Gain Tax के कारण, शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों का मुनाफा काफी कम हो जाता है। इससे उन Investors पर अधिक दबाव पड़ता है, जो बड़ी पूंजी लगाकर Long term investment करना चाहते हैं। ऐसे Investors को अब शेयर बाजार में Investment करने से पहले टैक्स के प्रभाव को भी ध्यान में रखना पड़ता है, जिससे Investment की गति धीमी हो रही है।

शेयर बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यदि Long Term Capital Gain Tax को पूरी तरह से हटा दिया जाए, तो भारतीय शेयर बाजार में Foreign investors की वापसी हो सकती है। इससे बाजार में Liquidity बढ़ेगी और Investors का भरोसा मजबूत होगा। बाजार में Investment का प्रवाह जितना अधिक होगा, उतना ही बाजार में तेजी देखने को मिलेगी और इससे अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

लेकिन सरकार इस तर्क से पूरी तरह से सहमत नहीं है। सरकार का मानना है कि Long Term Capital Gain Tax अकेला ऐसा कारण नहीं है, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आई है। सरकार का कहना है कि वैश्विक बाजार में जारी अनिश्चितताएं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी और भारतीय बाजार में (Overvaluation) जैसी समस्याएं भी बाजार के लिए चुनौती बन रही हैं।

हालांकि, Investors का कहना है कि Long Term Capital Gain Tax हटाने से बाजार को तुरंत राहत मिलेगी। सरकार को भी यह समझना होगा कि अगर Foreign investors का भरोसा भारतीय बाजार पर बना रहेगा, तो इससे लंबी अवधि में (Revenue Collection) बढ़ेगा। जब बाजार में अधिक Investment होगा, तो कंपनियां तेजी से ग्रोथ करेंगी, जिससे सरकार को अन्य टैक्सों के माध्यम से अधिक Revenue प्राप्त होगा।

इसके अलावा, Long Term Capital Gain Tax का असर सिर्फ Investors तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शेयर बाजार की Liquidity और ग्रोथ पर भी असर डालता है। जब Investor यह देखते हैं कि उनके मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में जाएगा, तो वे बाजार में पैसा लगाने से पहले दो बार सोचते हैं। इससे बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम घटता है और Investment का प्रवाह धीमा हो जाता है।

अगर Long Term Capital Gain Tax को पूरी तरह से हटा दिया जाए, तो इसका सबसे अधिक फायदा रिटेल Investors को होगा। खासतौर पर वे छोटे Investor जो SIP के माध्यम से या सीधे शेयर बाजार में Investment कर रहे हैं, उन्हें इस टैक्स से सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।

इसके अलावा, Long Term Capital Gain Tax को हटाने से भारत में स्टार्टअप और नई कंपनियों को भी फायदा मिलेगा। जब Investors को लंबी अवधि में अधिक मुनाफा मिलेगा, तो वे स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों में भी Investment करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इससे उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और नए बिजनेस तेजी से ग्रोथ कर सकेंगे।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इतनी आसानी से Long Term Capital Gain Tax को हटा देगी? टैक्स हटाने से सरकार को हर साल हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिसे वह अन्य योजनाओं में Investment करती है। सरकार को यह संतुलन बनाना होगा कि कैसे Investors को राहत दी जाए और साथ ही Revenue में कमी न हो।

हालांकि, Long Term Capital Gain Tax को लेकर Investors की राय बंटी हुई है। कुछ Investors का मानना है कि यह टैक्स बाजार को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है और सरकार की आय में योगदान देता है। वहीं, कुछ Investors को यह टैक्स अनावश्यक बाधा लगता है, जो शेयर बाजार में Investment के प्रवाह को रोकता है।

अब देखना यह होगा कि सरकार Long Term Capital Gain Tax को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं। अगर इस टैक्स को हटाया जाता है, तो इससे शेयर बाजार में भारी तेजी आ सकती है। Foreign investors की वापसी होगी, नए Investor बाजार में पैसा लगाएंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई मजबूती मिलेगी।

Conclusion

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