Corporate Stress: Mental Health कॉरपोरेट कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर संकट, 90% कर्मचारी क्यों झेल रहे हैं तनाव और समाधान के उपाय I

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, आप एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। वहां सबकुछ है—आधुनिक ऑफिस, अच्छा वेतन, और करियर में ग्रोथ के कई मौके। लेकिन इसके साथ एक अदृश्य दबाव भी है। हर दिन ऑफिस में घंटों काम करने के बाद, घर लौटकर आपको ऐसा महसूस होता है कि आपके पास अपने लिए समय नहीं है। आप हर दिन काम के बोझ और तनाव में डूबते जा रहे हैं। ‘स्टेट ऑफ इमोशनल वेल-बिइंग रिपोर्ट 2024’ ने इसी हकीकत को सामने रखा है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले 90% कर्मचारी Mental stress से जूझ रहे हैं। 25 वर्ष से कम उम्र के युवा इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित हैं। महिलाओं के लिए स्थिति और भी अधिक गंभीर है। यह समस्या केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज और Work Culture के लिए एक चुनौती बन गई है। आखिर क्यों हमारी Work Culture इतनी असंवेदनशील हो गई है? क्या इसे बदला जा सकता है? आइए, इस जटिल समस्या को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

90% कर्मचारी तनाव में क्यों हैं? यह एक गंभीर समस्या क्यों बन रही है?

‘स्टेट ऑफ इमोशनल वेल-बिइंग रिपोर्ट 2024’ ने जो आंकड़े पेश किए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। 90% कर्मचारी, यानी हर 10 में से 9 लोग, Mental stress का सामना कर रहे हैं। यह केवल तनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी वजह से उनकी Productivity, रिश्ते और जीवन की quality भी प्रभावित हो रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, 25 वर्ष से कम उम्र के कर्मचारियों में Mental Health संकट सबसे ज्यादा है। 45 वर्ष से अधिक आयु के 67% कर्मचारी भी तनाव में हैं। इस समस्या का एक और चिंताजनक पहलू यह है कि 2023 में आत्महत्या का Risk 19% था, जो 2024 में बढ़कर 22% हो गया है। यह दर्शाता है कि Mental Health का मुद्दा कितना गहरा हो चुका है।

हालांकि, युवाओं के लिए कॉरपोरेट जीवन में कदम रखना एक बड़ा बदलाव होता है। लेकिन यह बदलाव उनके Mental Health पर भारी पड़ रहा है। 12-12 घंटे की शिफ्ट, लगातार प्रदर्शन की उम्मीदें, और सपोर्ट सिस्टम की कमी, इन सबने युवाओं को Mental Pressure में डाल दिया है। 21 वर्षीय एक बीकॉम ग्रेजुएट, जिसने एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी शुरू की थी, ने केवल दो महीने के भीतर नौकरी छोड़ दी।

उसने बताया, “काम के घंटे बहुत लंबे थे, और मेरे पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं था। यह सब संभालना मेरे लिए मुश्किल हो गया।” एक अन्य युवा कर्मचारी पल्लवी, जो एक स्टार्टअप में काम कर रही हैं, ने कहा, “वर्क फ्रॉम होम के बाद ऑफिस कल्चर में वापस आना बहुत चुनौतीपूर्ण है। लगातार लोगों के बीच रहना और सामाजिक बने रहना मेरी चिंता को बढ़ा देता है।”

महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर क्या-क्या चुनौतियां हैं?

महिलाओं के लिए कॉरपोरेट सेक्टर में Mental Health का संकट और भी अधिक जटिल है। Patriarchal सोच और असमानता उनके तनाव का बड़ा कारण है। 23 वर्षीय मार्केटिंग कंसल्टेंट मेलिसा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “अगर कोई महिला समय पर काम पूरा करने की बात करे, तो उसे कठोर समझा जाता है।

लेकिन जब यही बात कोई पुरुष कहता है, तो उसे प्रोफेशनल माना जाता है।” वरिष्ठ पदों पर होने के बावजूद, महिलाओं से यह उम्मीद की जाती है कि वे Polite और Subordinates बनी रहें। अगर वे अपने अधिकारों का प्रयोग करती हैं, तो उन्हें असभ्य कहा जाता है। यह दोहरा मापदंड महिलाओं के आत्मविश्वास और Mental Health को कमजोर करता है।

आपको बता दें कि Psychologist इस समस्या को बेहद गंभीर मानते हैं। क्लिनिकल Psychologist मुनिस्वामी केएस का कहना है कि, जीवन के नए चरण में प्रवेश करते समय तनाव का अनुभव करना सामान्य है। लेकिन जब यह तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो यह Mental और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

उनका मानना है कि इस दौरान एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम होना बेहद जरूरी है। Psychologist जोसिली एच मैथ्यू का कहना है कि कई कंपनियां Mental Health को प्राथमिकता नहीं देतीं। उन्होंने बताया, “कई बार कंपनियां वर्क-लाइफ बैलेंस की बातें करती हैं, लेकिन वास्तव में इसे लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।”

आखिर तनाव क्यों बढ़ रहा है?

कॉरपोरेट सेक्टर में Work Culture भी Mental Health पर गहरा असर डालती है। लंबी वर्किंग आवर्स, लगातार High Performance की अपेक्षा, और कर्मचारियों पर भारी काम का बोझ, इन सबने कार्यस्थल को एक तनावपूर्ण जगह बना दिया है।
कई कंपनियां केवल काम के परिणामों पर ध्यान देती हैं, लेकिन कर्मचारियों की मानसिक स्थिति को नजरअंदाज कर देती हैं।

एक Psychologist ने साझा किया, “एक बार एक कंपनी ने मुझसे कहा कि कर्मचारियों को यह समझाएं कि वर्क-लाइफ बैलेंस संभव नहीं है।” यह रवैया दर्शाता है कि कई कंपनियां कर्मचारियों को केवल संसाधन के रूप में देखती हैं, न कि इंसान के रूप में।

इसके अलावा, रिपोर्ट में आत्महत्या के बढ़ते खतरे को भी उजागर किया गया है। 2023 में आत्महत्या का Risk 19% था, जो 2024 में बढ़कर 22% हो गया है। यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि Mental Health पर ध्यान देना अब समय की सबसे बड़ी मांग है।

अगर इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह कॉरपोरेट सेक्टर के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। Experts का मानना है कि आत्महत्या के इस खतरे को कम करने के लिए, कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए काउंसलिंग सेवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए एक सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए।

कंपनियों को कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता क्यों देनी चाहिए?

कंपनियों को यह समझने की जरूरत है कि उनके कर्मचारियों का Mental Health, उनकी Productivity और सफलता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए काउंसलिंग सेवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए। नियमित रूप से वर्कशॉप्स और सेशंस आयोजित किए जाने चाहिए, जहां कर्मचारी अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें।

वर्क-लाइफ बैलेंस को केवल नारा बनाने के बजाय, इसे वास्तविकता में लागू किया जाना चाहिए। कंपनियों को अपने वर्क कल्चर में बदलाव लाना चाहिए और कर्मचारियों को एक सुरक्षित और सहयोगी माहौल प्रदान करना चाहिए।

इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि Mental Health के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई जाए। समाज में Mental Health से जुड़े टैबू को खत्म करना और इसे सामान्य बातचीत का हिस्सा बनाना समय की मांग है। सरकार और कंपनियों को मिलकर Mental Health को प्राथमिकता देने वाले कार्यक्रम चलाने चाहिए। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में जागरूकता अभियान शुरू किए जा सकते हैं।

Conclusion

तो दोस्तों, कॉरपोरेट सेक्टर में 90% कर्मचारियों का Mental Health संकट में होना केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह पूरे समाज और Work Culture के लिए एक चेतावनी है। यह समस्या दिखाती है कि Mental Health को प्राथमिकता देना अब केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता बन चुकी है।

कंपनियों को यह समझना होगा कि स्वस्थ और खुशहाल कर्मचारी ही उनकी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। आप इस गंभीर मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या कंपनियों को Mental Health को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करना चाहिए?

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