नमस्कार दोस्तों, क्या 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाला वास्तव में अमीर है, या यह सिर्फ एक आंकड़ा है जो हकीकत से बहुत दूर है? अक्सर हम सोचते हैं कि 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाला व्यक्ति आर्थिक रूप से सुरक्षित होता होगा, लेकिन क्या यह सच है? ज़रा सोचिए, एक व्यक्ति जो हर महीने 80,000 रुपये कमाता है, क्या वह वास्तव में अमीर कहलाने के लायक है? यह सुनने में भले ही काफी लगे, लेकिन जब इस कमाई में से Income tax, inflation, education, health और दैनिक जीवन की अन्य ज़रूरतों का खर्च निकाला जाता है, तो हाथ में बचता ही क्या है? आज भारत का मध्यमवर्गीय परिवार, जिसे हम Middle class कहते हैं, गंभीर आर्थिक दबाव का सामना कर रहा है। उनकी कमाई तो बढ़ी नहीं, लेकिन जीवन यापन के खर्च और टैक्स का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार गरीबों और कॉरपोरेट्स के लिए तो कई योजनाएं लाती है, लेकिन मिडल क्लास की ओर शायद ही कभी उतना ध्यान दिया जाता है। 2025 का बजट आने वाला है, और एक बार फिर मिडल क्लास उम्मीद लगाए बैठा है कि इस बार उसे राहत मिलेगी। सवाल यह है कि क्या सरकार टैक्स सिस्टम में बदलाव लाएगी? क्या मिडल क्लास की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित किया जाएगा? या फिर यह वर्ग एक बार फिर उम्मीदों के साथ हाथ मलता रह जाएगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
Middle class की मौजूदा परिभाषा क्या है?
Middle class, यानी मध्यमवर्गीय परिवार, जो ना तो गरीब हैं और ना ही अमीरों की श्रेणी में आते हैं। भारत सरकार के मौजूदा मानकों के अनुसार, जिनकी Annual Income 3,10,000 रुपये से 10 लाख रुपये के बीच आती है, उन्हें मिडल क्लास में गिना जाता है। यानी यदि आपकी monthly income 80,000 रुपये तक है, तो आप सरकार के नजरिए में मध्यमवर्गीय कहलाते हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह परिभाषा आज के समय में Relevant है? देश में महंगाई दर लगातार बढ़ रही है। ज़रूरी Services और product महंगे होते जा रहे हैं। जिस व्यक्ति की Income 10 लाख रुपये सालाना है, क्या वह वास्तव में आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करता है? मेट्रो शहरों में रह रहे लोगों के लिए यह Income पर्याप्त नहीं है। उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आवास की लागत इतनी अधिक हो गई है कि ₹10 लाख सालाना की कमाई के बावजूद कई लोग कर्ज और आर्थिक तंगी में जी रहे हैं। Middle class को इस Income Group में समेटना गलत है, क्योंकि वास्तविकता में 10 लाख रुपये की Income वाले व्यक्ति का बड़ा हिस्सा टैक्स और आवश्यक खर्चों में ही चला जाता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि सरकार को मिडल क्लास की परिभाषा को अपडेट करने की सख्त ज़रूरत है।
बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत Middle class को कैसे प्रभावित कर रही है?
आज का मध्यमवर्गीय परिवार न सिर्फ बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है, बल्कि उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा बुनियादी ज़रूरतों में ही खत्म हो जाता है। 2023-24 के Household Consumption Expenditure Survey के अनुसार, एक औसत शहरी परिवार अपनी monthly income का लगभग 40% सिर्फ भोजन पर खर्च करता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भोजन जैसी बुनियादी आवश्यकता पर ही एक बड़ा खर्च हो जाता है। इसके बाद education, health, transport, fuel और अन्य आवश्यक खर्चों पर लगभग 25% खर्च हो जाता है। स्कूलों और कॉलेजों की फीस लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य सुविधाएं महंगी होती जा रही हैं, और अगर परिवार में कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, तो पूरी आर्थिक योजना तहस-नहस हो जाती है। इसके अलावा, रेंट, होम लोन, कार लोन जैसी वित्तीय देनदारियों ने Middle class की कमर तोड़ रखी है। रियल एस्टेट के दाम इतने अधिक हैं कि एक साधारण 2BHK फ्लैट खरीदना भी मिडल क्लास के लिए सपना बन गया है। इस स्थिति में जब 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले व्यक्ति की 65 से 70% कमाई खर्च हो जाती है, तो वह किस तरह से अमीर कहलाया जा सकता है?
उस भारी-भरकम टैक्स की, जो Middle class पर सीधा प्रहार करता है। वर्तमान में भारत में 10 लाख रुपये तक की Annual Income पर 20% इनकम टैक्स लगता है, साथ ही 4% हेल्थ और एजुकेशन सेस भी लागू है।
अगर किसी की Annual Income 10 लाख रुपये है, तो लगभग 1.3 लाख रुपये उसे सिर्फ इनकम टैक्स के रूप में चुकाने होते हैं। इसके अलावा, जीएसटी के रूप में भी हर रोज इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर अलग से टैक्स देना पड़ता है। लगभग रोज़मर्रा के product पर 12% से 18% GST लगाया जाता है। आम मध्यमवर्गीय परिवार पर यह दोहरा टैक्स भार है – एक तरफ इनकम टैक्स और दूसरी ओर जीएसटी। यह सिस्टम इस वर्ग की डिस्पोजेबल इनकम यानी खर्च करने योग्य Income को और कम कर देता है। इस टैक्स सिस्टम को देखकर तो यही लगता है कि मिडल क्लास व्यक्ति हर महीने सरकार के लिए कमाता है, न कि अपने परिवार के लिए।
Middle class आर्थिक रूप से कमजोर क्यों हो रहा है?
Middle class के आर्थिक रूप से कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है – बढ़ती महंगाई, कम salary वृद्धि और टैक्स का बोझ। महंगाई ने हर चीज की कीमत बढ़ा दी है। शिक्षा, स्वास्थ्य और रियल एस्टेट जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लागत इतनी बढ़ गई है कि, मिडल क्लास को या तो कर्ज लेना पड़ता है या अपनी बचत खत्म करनी पड़ती है। वहीं, सैलरी में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही। पिछले कुछ वर्षों में, मध्यमवर्गीय कर्मचारियों की salary में बढ़ोतरी उतनी तेज़ नहीं रही, जितनी महंगाई बढ़ी है। इसका सीधा असर उनकी जीवनशैली पर पड़ा है। टैक्स का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है। सरकार ने नई टैक्स प्रणाली लागू की है, लेकिन उसमें भी Middle class को राहत नहीं मिली है।
Middle class की स्थिति सुधारने के लिए क्या किया जा सकता है?
सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि सरकार टैक्स स्लैब को दोबारा परिभाषित करे। 10 लाख Annual Income वाले व्यक्ति पर 20% इनकम टैक्स वसूलना एक बड़ा बोझ है। इसे 10% या अधिकतम 15% किया जाना चाहिए। इसके अलावा, GST को भी आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कम किया जाना चाहिए। सरकार को सेविंग इंसेंटिव्स भी बढ़ाने चाहिए, जैसे PPF, EPF और अन्य सेविंग स्कीम्स पर टैक्स छूट बढ़ाई जाए। हेल्थ और एजुकेशन जैसी आवश्यक सेवाओं पर टैक्स में विशेष छूट मिलनी चाहिए।
Middle class सरकार से क्या अपील कर रहा है?
Middle class सरकार से कोई फ्री सुविधाएं नहीं चाहता। वह सिर्फ इतना चाहता है कि उसकी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में ना लिया जाए। सरकार को चाहिए कि वह 2025 के बजट में मिडल क्लास के लिए ठोस कदम उठाए। टैक्स स्लैब में सुधार, GST में राहत और मिडल क्लास की Income Limit को वास्तविक रूप में अपडेट करना अब जरूरी हो गया है।
Conclusion:-
तो दोस्तों, Middle class भारत की रीढ़ है। यह वर्ग सबसे ज्यादा टैक्स देता है, सबसे ज्यादा मेहनत करता है, लेकिन सबसे ज्यादा अनदेखा भी किया जाता है। 2025 के बजट में सरकार को मिडल क्लास की आवाज सुननी चाहिए। क्या इस बार सरकार इस वर्ग की उम्मीदों पर खरा उतरेगी? या Middle class एक बार फिर हाशिए पर चला जाएगा? यह तो बजट के बाद ही पता चलेगा। लेकिन अब वक्त आ गया है कि मिडल क्लास की परिभाषा को बदला जाए और टैक्स सिस्टम को इंसाफपूर्ण बनाया जाए। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
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