नमस्कार दोस्तों, क्या आपको नहीं लगता कि हर साल महंगाई बढ़ रही है, लेकिन आपकी आमदनी वहीं की वहीं अटकी हुई है? क्या आपने महसूस किया है कि जहां कभी एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए पर्याप्त पैसा होता था, अब वही पैसा सिर्फ जरूरी खर्चों में खत्म हो जाता है? भारत एक तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है, लेकिन इस विकास का फायदा आखिर किसे मिल रहा है?
क्या Middle Class को, जो रोज़ अपनी कमाई का हिसाब-किताब लगाने में ही उलझी रहती है? या सिर्फ उन चंद लोगों को, जिनकी संपत्ति हर साल कई गुना बढ़ जाती है? आम आदमी के लिए महंगाई और खर्चे हर दिन नए रिकॉर्ड बना रहे हैं, लेकिन उनकी income में किसी चमत्कारी वृद्धि के कोई संकेत नहीं दिखते। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ये आर्थिक असमानता अब एक स्थायी समस्या बन चुकी है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
भारत में करीब 140 करोड़ लोग रहते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 100 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसी स्थिति में हैं कि, उनके पास सिर्फ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही पैसा बचता है, उससे आगे कुछ भी खरीदने की गुंजाइश नहीं होती। यानी हर महीने सैलरी आते ही किराया, बच्चों की पढ़ाई, दवाइयां और खाने-पीने का खर्च निकल जाए तो बचता कुछ भी नहीं।
और जिनके पास कुछ बचता भी है, वो इसे Investment करने की बजाय इमरजेंसी फंड में डाल देते हैं, क्योंकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में नौकरी जाना या अचानक बड़े खर्च का सामना करना कोई नई बात नहीं रही। अगर हम एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार को देखें, तो उनकी बचत अब 50 साल के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है।
Blume Ventures की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सिर्फ 13 से 14 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो जरूरी खर्चों के अलावा भी खरीदारी कर सकते हैं। यह संख्या उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या से भी कम है। और यह सिर्फ सामान खरीदने की क्षमता नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत में असली उपभोक्ता वर्ग कितना सीमित है। लगभग 30 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो धीरे-धीरे खर्च करने की आदत बना रहे हैं, लेकिन अभी भी उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वे खुलकर पैसा खर्च कर सकें।
अब सोचिए, जब इतने बड़े देश में सिर्फ एक छोटा तबका ही खुलकर खर्च कर सकता है, तो बाजार किस दिशा में बढ़ेगा? कंपनियां अब middle class और लोअर क्लास के लिए किफायती प्रोडक्ट्स बनाने के बजाय, अमीरों के लिए महंगे और प्रीमियम प्रोडक्ट्स बनाने पर ज़ोर दे रही हैं। महंगे अपार्टमेंट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है, लेकिन अफोर्डेबल घरों की हिस्सेदारी पिछले पांच सालों में 40% से घटकर 18% रह गई है।
मतलब, बिल्डरों को अब सस्ते घर बनाने का फायदा नहीं दिखता, क्योंकि उन्हें पता है कि गरीबों और middle class के पास खरीदने की ताकत नहीं है। यही हाल स्मार्टफोन्स का भी है – महंगे फोन धड़ाधड़ बिक रहे हैं, लेकिन सस्ते फोन लेने वाले ग्राहक कम हो रहे हैं। मॉल्स में महंगे ब्रांड्स की बिक्री बढ़ रही है, लेकिन छोटे दुकानदारों की बिक्री घटती जा रही है।
अब सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अमीर लोग और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं, लेकिन गरीबों की हालत जस की तस बनी हुई है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आर्थिक रिकवरी K-शेप्ड रही है।
इसका मतलब ये हुआ कि कोविड के बाद अमीरों के लिए अच्छे दिन आ गए, लेकिन गरीबों की मुश्किलें बढ़ गईं। अगर हम 1990 की बात करें, तो भारत के टॉप 10% अमीर लोग national income के 34% हिस्से के मालिक थे। लेकिन आज वही 10% लोग 58% national income पर कब्जा कर चुके हैं। जबकि, देश के सबसे गरीब 50% लोगों की आमदनी 22% से गिरकर सिर्फ 15% रह गई है। ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है।
अब यहां middle class का सबसे बड़ा सवाल उठता है – उनका क्या? गरीबों को राहत देने के लिए सरकार कई योजनाएं लाती है, और अमीरों को टैक्स में छूट मिलती है, लेकिन Middle class सबसे ज्यादा संघर्ष करता है। वे टैक्स भरते हैं, महंगाई झेलते हैं, और उनके लिए कोई खास सरकारी मदद नहीं होती। महंगाई तेजी से बढ़ रही है, लेकिन middle class की सैलरी उस रफ्तार से नहीं बढ़ रही। पिछले 10 सालों में, भारत के Middle class की इनकम लगभग स्थिर रही है।
महंगाई को ध्यान में रखते हुए देखें, तो असल में उनकी सैलरी आधी हो चुकी है। भारत में अब ऐसा समय आ गया है कि आम आदमी गाड़ी खरीदने से पहले 10 बार सोचता है, लेकिन अमीर लोग करोड़ों की गाड़ियां एक झटके में खरीद लेते हैं। लग्जरी घड़ियों, ब्रांडेड कपड़ों और महंगे गैजेट्स की बिक्री में बेतहाशा वृद्धि हुई है, लेकिन आम जनता को एक अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी भारी लगती हैं।
रिपोर्ट बताती हैं कि भारत की कुल संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा केवल 1% लोगों के पास केंद्रित है। और यह बढ़ती जा रही है। अमीर अब पहले से ज्यादा Investment कर रहे हैं, उनकी संपत्ति शेयर बाजार, रियल एस्टेट और बिजनेस में लग रही है।
लेकिन गरीबों के लिए नौकरी की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी चीजें भी महंगी होती जा रही हैं। सरकार चाहे किसी की भी हो, चुनाव चाहे किसी भी पार्टी के आएं, लेकिन सच्चाई यह है कि middle class हर बार परेशान होता है। सरकारें गरीबों के लिए योजनाएं लाती हैं, अमीरों को टैक्स बेनेफिट्स दिए जाते हैं, लेकिन middle class के लिए कोई खास राहत नहीं आती।
इसके अलावा, अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था दो ध्रुवों में बंट गई है – एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास Unlimited wealth है, और दूसरी तरफ वे लोग हैं जो अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच, जो सबसे ज्यादा दबाव में है, वह है Middle class। वह वर्ग जो देश की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा योगदान देता है,
टैक्स चुकाता है, नौकरियों का सबसे बड़ा हिस्सा भरता है, लेकिन इसके बावजूद उसे न तो सरकार से कोई विशेष राहत मिलती है और न ही उसका जीवन स्तर बेहतर हो पा रहा है। Middle class के लिए बचत करना अब एक सपना बन चुका है, क्योंकि हर महीने बढ़ते खर्चों के बीच वे किसी तरह अपनी जरूरतें पूरी कर पा रहे हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य, मकान, गाड़ी—हर चीज महंगी होती जा रही है, लेकिन उनकी सैलरी में कोई खास इजाफा नहीं हो रहा। इसी कारण अब कई लोग अपनी भविष्य की योजनाओं को टाल रहे हैं, घर खरीदना मुश्किल हो गया है, बच्चों की higher education का खर्च बढ़ता जा रहा है, और मेडिकल बिल्स उनकी पूरी बचत पर भारी पड़ रहे हैं। सरकारें बार-बार यह दावा करती हैं कि वे विकास की राह पर हैं, लेकिन जब तक यह विकास आम जनता तक नहीं पहुंचेगा, तब तक यह सिर्फ आंकड़ों में ही अच्छा दिखेगा।
अब सवाल यह उठता है कि इस समस्या का हल क्या है? क्या Middle class के लिए कोई राहत मिलेगी? क्या गरीबों के पास खर्च करने लायक पैसा आएगा? या भारत की अर्थव्यवस्था आगे भी अमीरों तक ही सीमित रहेगी? आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकारें इस असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाती हैं।
क्या Tax system को इस तरह बदला जाएगा कि middle class पर टैक्स का बोझ कम हो? क्या गरीबों की income बढ़ाने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाई जाएगी? या फिर यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा, जहां अमीर और अमीर बनते जाएंगे और गरीब और गरीब होते जाएंगे?
इस पूरे परिदृश्य को देखते हुए, एक आम आदमी को क्या करना चाहिए? क्या उसे अपनी बचत बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, या नए income के स्रोतों की तलाश करनी चाहिए? क्या उसे खर्च करने की आदतों में बदलाव लाना चाहिए, या सरकार से अपने हक की मांग करनी चाहिए? भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, और यहां संभावनाएं भी बहुत हैं।
लेकिन जब तक आम जनता को इस विकास का सही फायदा नहीं मिलेगा, तब तक यह ग्रोथ अधूरी ही रहेगी। क्या आने वाले सालों में हालात बदलेंगे? या फिर middle class की जेब खाली, अमीरों की तिजोरी भारी, और गरीबों की गरीबी यूं ही जारी रहेगी?
Conclusion
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