OTT पर नई सरकार की गाइडलाइंस! दर्शकों के लिए और बेहतर कंटेंट का वादा? 2025

नमस्कार दोस्तों, OTT प्लेटफॉर्म्स को लेकर सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब डिजिटल दुनिया में कोई भी कंटेंट मनमाने ढंग से परोसा नहीं जा सकेगा। हाल ही में रणवीर इलाहाबादिया के विवादित बयान के बाद, यह साफ हो गया कि OTT पर लगाम लगाने का समय आ गया है। सरकार ने नए नियम लागू किए हैं, जिनके तहत अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानूनों का पूरी तरह पालन करना होगा।

इन नियमों के लागू होने से दर्शकों को भी एक नई तरह की डिजिटल दुनिया मिलेगी, जहां उन्हें जिम्मेदार और संतुलित कंटेंट देखने को मिलेगा। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ समय से OTT प्लेटफॉर्म्स पर अभद्र भाषा, हिंसा और आपत्तिजनक कंटेंट की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर काफी शिकायतें आ रही थीं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव डिजिटल कंटेंट की दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

अगर हम हालिया घटनाओं पर नजर डालें तो रणवीर इलाहाबादिया का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। उन पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगा, जिसके बाद एफआईआर दर्ज हुई और यह बहस छिड़ गई कि, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की स्वतंत्रता कितनी होनी चाहिए और इसकी सीमाएं क्या होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें Interim protection दिया लेकिन सरकार ने इस पूरे विवाद के मद्देनजर, OTT प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने की घोषणा कर दी। सरकार का यह निर्णय दर्शाता है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि इससे समाज में नैतिक मूल्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि डिजिटल मीडिया एक जिम्मेदार और नैतिक ढांचे के भीतर काम करे।

सरकार का कहना है कि अब OTT प्लेटफॉर्म्स को आईटी नियम 2021 के तहत तय दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। इसका मतलब यह है कि अब किसी भी कंटेंट को प्रकाशित करने से पहले प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह Indian Penal Code, पोस्को Act और Information Technology Act के अनुरूप हो।

अगर किसी कंटेंट में अश्लीलता, आपत्तिजनक या गैरकानूनी सामग्री पाई गई तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी। सरकार की इस नीति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर परोसा जाने वाला कंटेंट, समाज में किसी भी प्रकार की गलत प्रवृत्तियों को बढ़ावा न दे। यह कदम विशेष रूप से बच्चों और Teenagers को गलत प्रभाव से बचाने के लिए उठाया गया है।

सरकार की इस नई गाइडलाइंस के तहत अब OTT प्लेटफॉर्म्स को तीन-स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली अपनानी होगी। इसका अर्थ यह है कि अगर कोई कंटेंट विवादित है या दर्शकों को आपत्तिजनक लगता है तो वे, अपनी शिकायत सीधे संबंधित प्लेटफॉर्म से कर सकते हैं।

इसके बाद Self-regulatory body और फिर सरकार की ओर से बनाई गई समिति इस पर फैसला करेगी। यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि किसी भी प्रकार की अनुचित सामग्री को जल्दी से जल्दी हटाया जाए, और दर्शकों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। इस नई व्यवस्था के चलते अब OTT प्लेटफॉर्म्स को अपनी सामग्री को और अधिक सावधानीपूर्वक प्रकाशित करना होगा, ताकि किसी भी प्रकार की आपत्ति या कानूनी परेशानी से बचा जा सके।

यह कदम क्यों उठाया गया?

पिछले कुछ समय से OTT प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती अश्लीलता और अनुचित कंटेंट को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। संसद में भी कई सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर, बिना किसी सेंसरशिप के आपत्तिजनक कंटेंट आसानी से उपलब्ध हो रहा है, जिससे युवाओं और बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

यही वजह रही कि सरकार ने अब इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया और नए नियम लागू कर दिए। इस फैसले से स्पष्ट हो गया कि अब डिजिटल दुनिया में भी जवाबदेही तय की जाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि OTT कंटेंट केवल मनोरंजन का माध्यम न होकर समाज के नैतिक मूल्यों के अनुरूप भी हो

इसका समाज पर क्या असर होगा?

अब से OTT प्लेटफॉर्म्स पर आने वाले कंटेंट को पहले से ज्यादा सावधानी से बनाया जाएगा। निर्माताओं को यह ध्यान रखना होगा कि उनका कंटेंट किसी भी भारतीय कानून का उल्लंघन न करे। यह कहा जा सकता है कि रचनात्मक स्वतंत्रता पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इससे दर्शकों को अधिक संतुलित और जिम्मेदार कंटेंट देखने को मिलेगा। इससे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की ब्रांड छवि भी मजबूत होगी और वे लंबे समय तक दर्शकों का विश्वास बनाए रख सकेंगे। इससे निर्माता भी अधिक गुणवत्ता वाले कंटेंट पर ध्यान देंगे, जिससे दर्शकों को बेहतर मनोरंजन मिलेगा।

दर्शकों के लिए यह एक राहत की खबर भी हो सकती है। पहले कई ऐसे शो और फिल्में आईं, जिनमें खुलेआम अभद्र भाषा और अश्लीलता परोसी जा रही थी। इसे लेकर समाज में भी चिंता बढ़ रही थी कि OTT प्लेटफॉर्म्स को कोई नियंत्रण क्यों नहीं करता। सरकार के इस फैसले से अब यह साफ हो गया है कि डिजिटल दुनिया भी अब किसी नियम-कानून से परे नहीं रह सकती। यह नियम दर्शकों के हित में हैं और उनके मनोरंजन को और अधिक सुरक्षित और नैतिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

OTT प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय की गई है। सरकार का कहना है कि उसका मकसद कंटेंट को सेंसर करना नहीं बल्कि उसे अधिक जिम्मेदार बनाना है। हालांकि, कुछ फिल्मकारों और वेब सीरीज निर्माताओं को चिंता है कि इससे उनकी रचनात्मक स्वतंत्रता सीमित हो सकती है।

लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या डिजिटल स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी दिखाना उचित है? दर्शकों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को पारिवारिक और संतुलित कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए। यह फैसला इस बात की ओर संकेत करता है कि अब डिजिटल माध्यमों को भी, पारंपरिक मीडिया की तरह ही सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पालन करना होगा।

अगर कोई प्लेटफॉर्म इन नियमों का पालन नहीं करता तो क्या होगा?

सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कोई OTT प्लेटफॉर्म नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है तो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और जरूरत पड़ने पर संबंधित प्लेटफॉर्म को ब्लॉक भी किया जा सकता है।

साथ ही, अगर कोई कंटेंट भारतीय कानूनों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी प्लेटफॉर्म्स अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लें और समाज के प्रति अपनी भूमिका को समझें।

इस फैसले से OTT इंडस्ट्री में एक नया दौर शुरू होने जा रहा है। अब डिजिटल कंटेंट को और अधिक जिम्मेदार बनाना होगा और इसकी गुणवत्ता को बेहतर करने पर जोर देना होगा। वेब सीरीज और फिल्मों के निर्माताओं को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि, उनकी स्क्रिप्ट किसी भी तरह से भारतीय कानूनों और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ न जाए।

दर्शकों को भी अब एक नई तरह की OTT दुनिया देखने को मिलेगी। यह फैसला इस बात की गारंटी देगा कि अब ऑनलाइन मनोरंजन के नाम पर परोसी जाने वाली अश्लीलता और आपत्तिजनक कंटेंट पर रोक लगेगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करेगा कि डिजिटल माध्यमों पर दिखाया जाने वाला कंटेंट न केवल कानूनी रूप से सही हो, बल्कि सामाजिक रूप से भी स्वीकार्य हो।

Conclusion

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