Premananda Ji Maharaj का चौंकाने वाला बयान: कितनी संपत्ति के मालिक हैं, जानिए उनके शब्दों में! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि जो व्यक्ति लाखों-करोड़ों भक्तों के दिलों में बसे हैं, जिनकी कथाओं में हजारों की भीड़ उमड़ती है, जिनकी साधना और भक्ति का प्रभाव देशभर में फैला हुआ है, उनके पास कितनी संपत्ति होगी? क्या उनके पास करोड़ों रुपये का बैंक बैलेंस है? क्या वे आलीशान बंगले में रहते हैं और महंगी गाड़ियों में सफर करते हैं?

जब भी किसी प्रसिद्ध संत या कथावाचक की बात होती है, तो लोग उनकी संपत्ति को लेकर कई तरह के सवाल उठाते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि वे अत्यधिक धनी हैं, जबकि कुछ कहते हैं कि वे त्याग और साधना के पथ पर चलने वाले सच्चे संत हैं। लेकिन जब Premananda Ji Maharaj से उनकी संपत्ति के बारे में पूछा गया, तो उनका जवाब चौंकाने वाला था। उन्होंने खुद खुलकर इस पर बात की और बताया कि उनके पास ना तो कोई बैंक बैलेंस है, ना कोई जमीन, ना कोई आलीशान मकान और ना ही कोई व्यक्तिगत संपत्ति।

तो फिर लोग उन्हें महंगी गाड़ियों में कैसे देखते हैं? क्या सच में उनके पास कोई संपत्ति नहीं है? क्या उनके भक्त उनके लिए सारी व्यवस्थाएं करते हैं? आज हम इस वीडियो में आपको Premananda Ji Maharaj की संपत्ति से जुड़े हर सवाल का जवाब देंगे, वो भी खुद उनके ही शब्दों में।

Premananda Ji Maharaj की कुल संपत्ति कितनी है, और इसका स्रोत क्या है?

कई बार किसी संत को महंगी कारों में यात्रा करते देख लोग यह मान लेते हैं कि वे अत्यधिक धनी होंगे। Premananda Ji Maharaj के बारे में भी कई लोगों ने ऐसा ही सोचा। लेकिन उन्होंने खुद इस पर पूरी सच्चाई बताई। प्रेमानंद जी महाराज ने साफ शब्दों में कहा कि उनके पास कोई भी निजी संपत्ति नहीं है। न उनके नाम पर कोई बैंक खाता है, न कोई फ्लैट, न कोई बंगला और न ही कोई जमीन। वे पूर्ण रूप से एक त्यागी और सन्यासी जीवन जीते हैं। उनकी दिनचर्या ईश्वर की भक्ति, कथा वाचन और सेवा कार्यों में बीतती है।

उनका कहना है कि अगर कोई उनसे सिर्फ 10 रुपये भी मांगे, तो वे उसे देने में असमर्थ होंगे, क्योंकि उनके पास खुद के नाम पर कुछ भी नहीं है। उनके खाने-पीने, रहने और सफर की सारी व्यवस्थाएं उनके भक्त और सेवक करते हैं। वे यह भी कहते हैं कि धन, गाड़ियां और भौतिक संपत्ति किसी भी संत का असली मूल्य नहीं होती। असली संपत्ति तो भक्ति और सेवा है, जो इंसान को सच्ची शांति और संतोष देती है।

Premananda Ji Maharaj कहां रहते हैं?

कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि जब Premananda Ji Maharaj के पास कोई निजी संपत्ति नहीं है, तो वे रहते कहां हैं? क्या उनके पास कोई आश्रम या महलनुमा घर है? इसका उत्तर भी उन्होंने खुद दिया। प्रेमानंद जी महाराज किसी भी निजी मकान के मालिक नहीं हैं। वे किसी एक जगह पर स्थायी रूप से नहीं रहते, बल्कि जहां उनके भक्त उन्हें ठहरने के लिए स्थान देते हैं, वहीं वे रहते हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, वे एक भक्त के फ्लैट में रहते हैं, जहां उनकी सारी व्यवस्थाएं भक्तों द्वारा की जाती हैं। बिजली का बिल, पानी का खर्च, भोजन और अन्य जरूरतें भक्तों की सेवा भावना से पूरी होती हैं। इसका मतलब यह है कि वे स्वयं के लिए किसी भी प्रकार की संपत्ति नहीं रखते और पूरी तरह से भक्तों और सेवकों के सहयोग पर निर्भर रहते हैं। उनका कहना है कि “असली सुख संपत्ति में नहीं, बल्कि भक्ति, सेवा और साधना में है।” वे मानते हैं कि भौतिक चीजें मनुष्य को सच्ची शांति नहीं दे सकतीं।

अब तक आपने देखा कि Premananda Ji Maharaj के पास कोई व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है, लेकिन लोग अक्सर उन्हें महंगी गाड़ियों में यात्रा करते हुए देखते हैं। कई बार उन्हें ऑडी, मर्सिडीज और फॉर्च्यूनर जैसी कारों में सफर करते हुए देखा गया है। तो क्या ये गाड़ियां उनकी हैं? इस सवाल का भी जवाब उन्होंने खुद दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये गाड़ियां उनकी नहीं हैं, बल्कि उनके भक्तों और सेवकों की हैं। जब वे किसी स्थान पर कथा करने जाते हैं, तो उनके भक्त उनकी सुविधा के लिए अपनी कारें उपलब्ध कराते हैं, जिससे वे आसानी से यात्रा कर सकें।

वे कहते हैं कि “मेरा किसी भी भौतिक संपत्ति से कोई लगाव नहीं है। न मेरे नाम पर कोई कार है, न कोई बैंक खाता और न ही कोई व्यक्तिगत मकान। मैं केवल ईश्वर की भक्ति और सेवा में लीन रहना चाहता हूं।” उनका मानना है कि सच्ची खुशी किसी भी ऐशो-आराम की चीज़ में नहीं, बल्कि ईश्वर की भक्ति और परोपकार में है।

Premananda Ji Maharaj का जीवन कैसा रहा, और उनके प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?

Premananda Ji Maharaj का जीवन पूरी तरह से साधुता और भक्ति मार्ग पर आधारित है। वे सांसारिक चीजों से पूरी तरह अलग रहते हैं और केवल आध्यात्मिकता को ही अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि त्याग, सेवा और भक्ति ही सबसे बड़ी संपत्ति है। जहां दुनिया धन, संपत्ति और शक्ति के पीछे भाग रही है, वहीं वे हमें यह सिखाते हैं कि असली शांति और आनंद भक्ति में है, न कि भौतिक सुख-सुविधाओं में।

वे कहते हैं कि “अगर कोई धन-संपत्ति से ही खुश होता, तो दुनिया के अमीर लोग सबसे ज्यादा खुश होते। लेकिन सच्चाई यह है कि असली संतोष और आनंद केवल भक्ति और सेवा से ही मिलता है।”

इसके अलावा, कुछ लोग यह सवाल उठाते हैं कि जब Premananda Ji Maharaj खुद के नाम पर कुछ नहीं रखते, तो वे भक्तों की सेवा पर निर्भर क्यों रहते हैं? इसका उत्तर बहुत सरल है। सन्यास और त्याग का जीवन जीने वाले संत अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए कभी किसी से कुछ नहीं मांगते, लेकिन उनके भक्त उनकी सेवा करना अपना सौभाग्य समझते हैं।

हिन्दू संस्कृति में संतों की सेवा को पुण्य कार्य माना जाता है। भक्तों का यह मानना होता है कि अगर वे संतों की सेवा करते हैं, तो उन्हें आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है। Premananda Ji Maharaj स्वयं भी यह मानते हैं कि “भक्तों की सेवा से जो पुण्य मिलता है, वह केवल ईश्वर की कृपा से संभव है।” इसलिए भक्त स्वेच्छा से उनकी सेवा करते हैं और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हैं।

उनका जीवन हमें सिखाता है कि धन और संपत्ति से अधिक मूल्यवान चीजें हैं – भक्ति, सेवा और त्याग। आज की दुनिया में जहां लोग पैसे और ऐशो-आराम के पीछे भागते हैं, वहां Premananda Ji Maharaj यह सिखाते हैं कि सच्ची खुशी भौतिक चीजों में नहीं, बल्कि अध्यात्म और भक्ति में है। उनकी जीवनशैली हमें यह भी सिखाती है कि धन का महत्व केवल जरूरतों को पूरा करने तक ही है, लेकिन अगर हम सेवा और भक्ति के मार्ग पर चलें, तो असली आनंद और शांति प्राप्त कर सकते हैं।

Conclusion

तो दोस्तों, Premananda Ji Maharaj की संपत्ति में कोई बैंक बैलेंस नहीं, कोई कार नहीं, कोई घर नहीं – सिर्फ भक्ति, सेवा और साधना है। उनका जीवन यह साबित करता है कि संपत्ति केवल धन और गाड़ियों में नहीं होती, बल्कि त्याग, सेवा और आध्यात्मिक ज्ञान में भी होती है। अब आपके लिए सवाल – क्या आप मानते हैं कि सच्ची संपत्ति धन से अधिक भक्ति और सेवा है? कमेंट में अपनी राय बताएं!

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