नमस्कार दोस्तों, भारत आज global platform पर अपनी एक नई पहचान बना रहा है। जहां एक ओर भारत के विकास को लेकर पहले केवल बातें होती थीं, वहीं अब यह देश वास्तविकता में प्रगति के नए आयाम छू रहा है। भारत का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान न केवल Domestic Industries को सशक्त कर रहा है, बल्कि विदेशी कंपनियों के लिए भी आकर्षण का बड़ा केंद्र बन गया है। इस पहल के तहत भारत ने अपने Industrial infrastructure को मजबूत किया है, और Global Investors के लिए एक स्थिर और सुरक्षित बाजार प्रस्तुत किया है। यही वजह है कि रूस जैसा मजबूत और शक्तिशाली देश भी अब, भारत में manufacturing plant यूनिट स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह कदम भारत को एक औद्योगिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की ओर एक बड़ा प्रयास साबित होगा। आज हम इसी article पर गहराई में चर्चा करेंगे।
अब नजर डालते हैं कि पुतिन ने ‘मेक इन इंडिया’ की तारीफ करते हुए क्या कुछ कहा?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की न केवल सराहना की, बल्कि इसे भारत और रूस के लिए एक सुनहरा अवसर बताया। 15वें वीटीबी रूस कॉलिंग इन्वेस्टमेंट फोरम में पुतिन ने अपने संबोधन के दौरान, भारत को Investment के लिए सबसे उपयुक्त स्थानों में से एक बताया। उन्होंने भारत के विशाल Consumer market, stable economy और मजबूत लोकतंत्र की प्रशंसा की। पुतिन ने कहा कि रूस भारत के साथ मिलकर manufacturing plant और Production sector में काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उनकी यह घोषणा केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह भारत और रूस के रिश्तों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
अब जान लेते हैं कि रूसी कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत में बड़े Investment का निर्णय क्यों लिया, और इसका energy sector और Bilateral Relations पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
रूस की प्रमुख तेल producer कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत में 20 अरब डॉलर का भारी Investment किया है। यह केवल एक Investment नहीं, बल्कि भारत और रूस के बीच गहराते हुए संबंधों का प्रमाण है। रोसनेफ्ट ने भारत को “रणनीतिक Partner” करार देते हुए यह स्पष्ट किया है कि वह भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर तेल और पेट्रोलियम Products के Production, refining और trade के लिए काम कर रहा है। इस Investment से न केवल भारत की energy सुरक्षा को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के हजारों नए अवसर भी पैदा होंगे। इसके अलावा, यह कदम भारत की तेल रिफाइनिंग क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा, और इसे energy के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ले जाएगा।
अब ध्यान देते हैं कि पुतिन की भारत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है, और इससे भारत-रूस संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले साल की शुरुआत में भारत यात्रा पर आ रहे हैं। यह यात्रा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उनकी पहली भारत यात्रा होगी, जो दोनों देशों के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण होगी। पुतिन की इस यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच trade, energy और Defence Sector में कई प्रमुख समझौतों पर चर्चा होने की संभावना है। क्रेमलिन ने इस यात्रा की तैयारियों को प्राथमिकता दी है, क्योंकि यह यात्रा भारत और रूस के बीच दशकों पुराने संबंधों को एक नई दिशा देने का अवसर प्रदान करेगी। यह भारत के लिए एक ऐसा समय होगा जब वह रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करते हुए, Global Platform पर अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करेगा।
अब गौर करते हैं कि भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंध कैसे विकसित हुए हैं, और इनका वर्तमान में क्या महत्व है?
भारत और रूस के बीच के संबंध हमेशा से ही गहरे और स्थायी रहे हैं। यह रिश्ता सोवियत संघ के समय से शुरू हुआ और आज तक मजबूत बना हुआ है। सोवियत संघ के विघटन के बाद भी, रूस ने भारत के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखा और उन्हें और सशक्त किया। दोनों देशों के बीच Defence, Technology, और Diplomatic sector में गहरा सहयोग है। भारत ने हमेशा रूस को एक भरोसेमंद Partner माना है। चाहे वह defense equipment की Supply हो, space Research में सहयोग हो, या energy sector में Partnership, रूस ने हर कदम पर भारत का साथ दिया है। यूक्रेन संघर्ष के दौरान भी भारत ने संतुलित रुख अपनाया और दोनों पक्षों से Diplomatic Solution की अपील की। यह संतुलन दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा बनाता है।
अब समझने का प्रयास करते हैं कि रूस से सस्ता तेल खरीदने पर, भारत को किन लाभों और पश्चिमी देशों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, जब पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए, भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी। भारत ने रूस से सस्ता तेल Import करना जारी रखा, जिससे उसे अपनी energy आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिली। आज रूस भारत के लिए सबसे बड़ा तेल Supplier बन गया है, जिसने इराक को भी पीछे छोड़ दिया है। भारतीय रिफाइनर सस्ते रूसी तेल का अधिकतम लाभ उठा रहे हैं, जिससे देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद मिली है। हालांकि, इस कदम से पश्चिमी देशों में नाराजगी हुई है, लेकिन भारत ने अपने हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस दिशा में काम किया। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
अब बात करते हैं कि भारत और रूस का 2030 तक व्यापार का लक्ष्य क्या है, और इसे प्राप्त करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?
भारत और रूस ने 2030 तक अपने द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 65 बिलियन डॉलर है, जिसे 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने की योजना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेल और energy sector में बड़े पैमाने पर सहयोग किया जाएगा। इसके अलावा, manufacturing, agriculture, और Technological Development जैसे क्षेत्रों में भी व्यापारिक Partnership बढ़ाने की योजना है। इस Partnership से न केवल दोनों देशों के आर्थिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि यह भारत को Global Trade के केंद्र में भी स्थापित करेगा। यह योजना भारत और रूस के बीच एक Permanent और Long Term Business Relationship की नींव रखने में मदद करेगी।
अब सवाल है कि रूस के साथ बढ़ते सहयोग से भारत को कौन-कौन से Strategic लाभ मिल सकते हैं, और ये उसके global प्रभाव को कैसे बढ़ा सकते हैं?
रूस का भारत में manufacturing plant यूनिट स्थापित करने का फैसला, भारत के लिए न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि Strategic Vision से भी एक बड़ा कदम है। इससे भारत के Industrial sector को नई दिशा मिलेगी और लाखों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ‘मेक इन इंडिया’ पहल को इससे बड़ी गति मिलेगी, जिससे भारत global manufacturing plant हब बनने की ओर तेजी से अग्रसर होगा। इसके अलावा, रूस का यह कदम चीन के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। रूस का झुकाव भारत की ओर होना चीन के लिए economic और Diplomatic असहजता का कारण बन सकता है। यह कदम रूस और भारत दोनों के लिए एक ‘विन-विन’ स्थिति है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।
Conclusion:-
तो दोस्तों, रूस का भारत में manufacturing plant लगाने का निर्णय भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता का बड़ा प्रमाण है। यह न केवल भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इसे Global Level पर एक नई पहचान भी दिलाएगा। यह कदम यह साबित करता है कि भारत अब केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण रणनीतिक Partner बन चुका है। आने वाले वर्षों में, भारत और रूस का यह सहयोग न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि, Diplomacy और Global Politics में भी दोनों देशों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह भारत के बढ़ते global प्रभाव का एक और बड़ा प्रमाण है। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
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