नमस्कार दोस्तों, जब भी दुनिया में मुस्लिम देशों की बात होती है, तो आपके मन में क्या छवि उभरती है? क्या वो देश जहां महिलाओं पर कड़े नियम लागू होते हैं? जहां बुर्का, पर्दा और पाबंदियों का साया हर वक्त महिलाओं पर मंडराता रहता है? जहां पुरुष प्रधान समाज की सोच महिलाओं की आजादी पर पहरा लगाती है?
लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि दुनिया में एक ऐसा मुस्लिम देश भी है, जहां महिलाएं पूरी तरह से स्वतंत्र हैं, जहां उनके अधिकार यूरोपीय देशों की तरह हैं, जहां वो अपनी मर्जी से जी सकती हैं, अपने फैसले खुद ले सकती हैं और यहां तक कि बिना शादी के भी मां बन सकती हैं? क्या आप इस पर यकीन करेंगे? ये वही देश है जो अपनी आर्थिक शक्ति और आधुनिक सोच के कारण पूरी दुनिया में एक मिसाल बन चुका है। Saudi Arabia। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
दुनिया में 1.8 बिलियन यानी करीब 180 करोड़ लोग इस्लाम को मानते हैं। लेकिन सभी मुस्लिम देश एक जैसे नहीं होते। कुछ देश बेहद Conservative हैं, जहां इस्लामी कानून महिलाओं और minorities पर सख्त नियंत्रण रखते हैं, तो वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं जो खुले विचारों वाले हैं, जो इस्लामी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बना चुके हैं।
ऐसे ही एक देश ने हाल ही में एक ऐसा कानून लागू किया, जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया। ये कानून महिलाओं को बिना शादी के भी मां बनने की इजाजत देता है, और बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर पिता के नाम की कोई जरूरत नहीं होती।
जिस मुस्लिम देश की हम बात कर रहे हैं, वो भारत के बेहद करीब है और अपनी आधुनिक सोच और आर्थिक ताकत के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है। इस देश का नाम है Saudi Arabia। जी हां, वही सऊदी अरब जिसे इस्लाम का गढ़ माना जाता है, जहां मक्का और मदीना जैसे पवित्र धार्मिक स्थल हैं, जहां तेल के भंडार पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चलाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि यही सऊदी अरब अब दुनिया का सबसे मॉडर्न मुस्लिम देश बन जाएगा? जहां महिलाओं को वो आजादी दी जाएगी जो कई पश्चिमी देशों में भी नहीं मिलती?
कुछ साल पहले Saudi Arabia ने एक नया कानून बनाया था, जिसे ‘फेडरल पर्सनल स्टेटस लॉ’ कहा जाता है। इस कानून के तहत वहां रहने वाली महिलाओं को कई नई आजादी दी गईं। यह कानून खासतौर पर वहां रहने वाले गैर-मुस्लिम नागरिकों के लिए लागू किया गया, लेकिन इसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ा।
इस कानून के तहत महिलाओं को बिना शादी के भी बच्चे पैदा करने की अनुमति दी गई और उन्हें इसके लिए बच्चे के पिता का नाम बताने की जरूरत नहीं होगी। यह पूरी तरह से एक क्रांतिकारी बदलाव था, क्योंकि इससे पहले किसी भी इस्लामिक देश में ऐसा संभव नहीं था।
इस कानून के लागू होने के बाद पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई। इसे यूरोपीय देशों के कानूनों की तरह देखा जाने लगा। इससे पहले तक मुस्लिम देशों में शादी से पहले संबंध बनाना या बिना शादी के बच्चे को जन्म देना अपराध माना जाता था। लेकिन Saudi Arabia ने इस धारणा को तोड़ दिया और यह दिखा दिया कि इस्लामी दुनिया भी बदल रही है। अब वहां की महिलाएं अपनी मर्जी से जीवन जी सकती हैं, अपने फैसले खुद ले सकती हैं और उन्हें सामाजिक बंधनों में नहीं बांधा जा सकता।
इसके अलावा, Saudi Arabia केवल इस कानून के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण भी मुस्लिम दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण देश बन चुका है। अगर आर्थिक ताकत की बात करें तो सऊदी अरब नॉमिनल जीडीपी के हिसाब से, दुनिया की 19वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और पर कैपिटा इनकम के आधार पर यह दुनिया का 34वां सबसे अमीर देश है।
यह मध्य पूर्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और मुस्लिम देशों में सबसे ज्यादा संपन्न है। यही वजह है कि Saudi Arabia न केवल अपने देश की जनता के लिए बल्कि दूसरे मुस्लिम देशों के लिए भी, आर्थिक मदद प्रदान करता है और वहां के विकास में योगदान देता है।
आज Saudi Arabia को सिर्फ तेल के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि वहां की आधुनिक नीतियों के कारण भी यह दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। जहां पहले महिलाओं को गाड़ी चलाने तक की अनुमति नहीं थी, वहीं अब उन्हें पूरी तरह से अपने फैसले खुद लेने की आजादी मिल रही है। यह बदलाव अचानक नहीं आया, बल्कि सऊदी अरब ने बीते कुछ वर्षों में खुद को एक मॉडर्न इस्लामिक स्टेट के रूप में स्थापित करने के लिए कई बड़े फैसले लिए।
अगर हम कुछ साल पीछे जाएं, तो Saudi Arabia की छवि एक कट्टरपंथी इस्लामिक देश के रूप में थी, जहां शरीयत कानून का पालन सख्ती से किया जाता था। वहां की महिलाएं बिना पुरुष अभिभावक के घर से बाहर नहीं जा सकती थीं।
सार्वजनिक जगहों पर पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग सेक्शन बनाए गए थे। मनोरंजन के साधन लगभग न के बराबर थे और वहां पश्चिमी सभ्यता का कोई प्रभाव नहीं था। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। सऊदी अरब ने धीरे-धीरे महिलाओं को अधिक अधिकार देना शुरू किया, उनकी शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाए, उन्हें ड्राइविंग की अनुमति दी और अब बिना शादी के मां बनने तक की आजादी दे दी।
इस बदलाव के पीछे Saudi Arabia के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने विजन 2030 के तहत देश में कई बड़े सुधार लागू किए हैं, जिनमें महिलाओं को स्वतंत्रता देना, पर्यटन को बढ़ावा देना और देश को तेल के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी आर्थिक रूप से मजबूत बनाना शामिल है। उनकी नीतियों के कारण ही आज सऊदी अरब दुनिया के सबसे मॉडर्न मुस्लिम देशों में से एक बन चुका है।
यह बदलाव सिर्फ सामाजिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि व्यापार और Investment के स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। Saudi Arabia अब पश्चिमी देशों के Investors को आकर्षित कर रहा है, वहां के बिजनेस हब्स को विकसित कर रहा है और इसे एक ग्लोबल आर्थिक पावरहाउस बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह नया Saudi Arabia उस पुरानी छवि से बिलकुल अलग है, जहां इस्लामिक कानूनों की सख्ती के कारण दुनिया के कई हिस्सों में इसकी आलोचना होती थी।
इस नए Saudi Arabia को देखने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या यह बदलाव स्थायी रहेगा? क्या अन्य मुस्लिम देश भी इस राह पर चलेंगे? क्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान जैसे देश भी अपनी महिलाओं को इतनी स्वतंत्रता देंगे? यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि सऊदी अरब ने इस्लामिक दुनिया में एक नई मिसाल कायम कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में यह बदलाव किस हद तक बाकी मुस्लिम देशों को प्रभावित करता है।
Saudi Arabia का यह नया कदम पूरी दुनिया के लिए एक संकेत है कि इस्लामिक दुनिया भी आधुनिकता की ओर बढ़ रही है। यह न केवल महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह पूरी दुनिया को यह संदेश भी देता है कि इस्लामी कानून और आधुनिकता साथ-साथ चल सकते हैं। अब यह देखना होगा कि इस बदलाव का आने वाले समय में मुस्लिम समाजों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्या अन्य देश भी इस राह पर आगे बढ़ते हैं या नहीं।
Conclusion
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