नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपने दोस्तों के साथ WhatsApp या Telegram पर जो बातें करते हैं, वे किसी की नजरों में आ सकती हैं? क्या कोई आपकी चैट्स को पढ़ सकता है और आपके निजी संदेशों की जांच कर सकता है? अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और सोशल मीडिया पर स्टॉक्स से जुड़ी कोई भी जानकारी पढ़ते या शेयर करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है।
Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने सरकार से यह मांग की है कि उसे WhatsApp, Telegram और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखने और संदिग्ध ग्रुप्स की निगरानी करने का अधिकार दिया जाए। SEBI का कहना है कि बिना लाइसेंस के Investment की सलाह देने वाले लोग, Investors को गुमराह कर रहे हैं और शेयर बाजार में हेरफेर कर रहे हैं।
आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि, SEBI आखिर क्यों आपकी चैट्स तक पहुंचना चाहता है और इसके पीछे असली वजह क्या है।
SEBI सोशल मीडिया डेटा क्यों मांग रहा है, और इसका उद्देश्य क्या है?
बीते कुछ वर्षों में Telegram और WhatsApp पर शेयर बाजार से जुड़े हजारों ग्रुप्स बन चुके हैं, जहां लोग एक-दूसरे को स्टॉक्स में Investment करने की सलाह देते हैं। इनमें से कुछ ग्रुप्स legal होते हैं, लेकिन बहुत सारे ऐसे भी हैं जो Illegal trading activities में लिप्त होते हैं। SEBI के मुताबिक, कई Financial Influencers सोशल मीडिया पर, खुद को एक्सपर्ट बताकर Investors को गुमराह करते हैं। वे बिना किसी लाइसेंस के स्टॉक्स से जुड़े टिप्स देते हैं, जिससे आम Investor बिना जांच-पड़ताल किए गलत फैसले ले बैठते हैं और अपना पैसा गंवा देते हैं।
इसके अलावा, SEBI को यह भी शक है कि कुछ लोग पैसे लेकर शेयर बाजार से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक कर रहे हैं। इन गतिविधियों में शामिल कुछ लोग Front Running और Insider Trading जैसी गैरकानूनी हरकतों में संलिप्त हो सकते हैं। SEBI का मानना है कि अगर उसे WhatsApp और Telegram पर हो रही बातचीत की जांच करने का अधिकार मिल जाता है, तो वह शेयर बाजार में हो रही अनियमितताओं को रोक सकता है और Investors को सुरक्षित रख सकता है। लेकिन क्या सरकार इस मांग को मंजूरी देगी?
हालांकि, SEBI ने पहली बार 2022 में सरकार से इस तरह का अधिकार मांगा था, लेकिन तब सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। उस समय सरकार का तर्क था कि निजी चैट्स की निगरानी करना लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता के खिलाफ हो सकता है। अब SEBI ने दोबारा यह मांग की है और सरकार से अनुरोध किया है कि उसे सोशल मीडिया डेटा और कॉल रिकॉर्ड्स तक पहुंचने की अनुमति दी जाए। लेकिन WhatsApp और Telegram जैसी कंपनियों ने SEBI की इस मांग का कड़ा विरोध किया है।
WhatsApp और Telegram ने SEBI को डेटा देने से इनकार क्यों किया?
WhatsApp, Telegram और Meta जैसी कंपनियां इस मामले में SEBI के साथ सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हैं। SEBI ने कहा कि WhatsApp और Telegram ने उसे सोशल मीडिया ग्रुप चैट्स तक एक्सेस देने से साफ इनकार कर दिया है। कानूनी रूप से, मौजूदा आईटी कानूनों के तहत SEBI को “Authorized Agency का दर्जा नहीं मिला है। इसका मतलब यह है कि Telegram और WhatsApp जैसी कंपनियां SEBI को डेटा देने के लिए बाध्य नहीं हैं।
हालांकि, Telegram ने हाल ही में एक बयान में कहा कि वह SEBI के साथ काम कर रहा है और सभी Legitimate requests को प्रोसेस कर रहा है। लेकिन कंपनी ने यह भी साफ कर दिया कि तकनीकी कारणों से कॉल डेटा उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। यानी SEBI को सोशल मीडिया कंपनियों का समर्थन नहीं मिल रहा है, लेकिन फिर भी वह सरकार से इस बारे में लगातार बातचीत कर रहा है।
अगर सरकार SEBI को यह अधिकार देती है, तो क्या इसका मतलब यह होगा कि आपकी निजी चैट्स को भी पढ़ा जा सकता है? SEBI का कहना है कि उसका मकसद सिर्फ उन अवैध ग्रुप्स और व्यक्तियों की जांच करना है जो शेयर बाजार में हेरफेर कर रहे हैं। लेकिन अगर SEBI को यह अधिकार मिलता है, तो इससे आम लोगों की प्राइवेसी भी खतरे में आ सकती है।
Experts का मानना है कि अगर SEBI को WhatsApp और Telegram पर नजर रखने की अनुमति दी जाती है, तो इसका इस्तेमाल भविष्य में अन्य चीजों की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। इससे निजी चैट्स की गोपनीयता पर असर पड़ सकता है और यह एक बड़े, Government Surveillance System की शुरुआत हो सकती है।
शेयर बाजार में हेरफेर को रोकने के लिए और क्या किया जा सकता है?
अगर सरकार SEBI को WhatsApp और Telegram पर नजर रखने का अधिकार नहीं देती, तो फिर शेयर बाजार में हो रही इन अनियमितताओं को कैसे रोका जा सकता है? इसका एक तरीका यह है कि सरकार सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर ऐसे ग्रुप्स और अकाउंट्स को बैन करे, जो अवैध रूप से Investment की सलाह देते हैं। इसके अलावा, SEBI उन लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई कर सकता है जो बिना लाइसेंस के शेयर बाजार में Investment की सलाह देते हैं। कई विकसित देशों में भी सरकारें सोशल मीडिया पोस्ट को सीधे हटाने का अधिकार नहीं देतीं, लेकिन वे भ्रामक और गलत जानकारी फैलाने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करती हैं।
आजकल सोशल मीडिया पर Financial Influencers की बाढ़ आ गई है। YouTube, Instagram, Telegram और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कई लोग खुद को शेयर बाजार का एक्सपर्ट बताकर Investors को गलत जानकारी देते हैं। SEBI का कहना है कि ऐसे फिनफ्लूएंसर लोगों को गुमराह कर सकते हैं और बाजार में हेरफेर कर सकते हैं। यही वजह है कि SEBI इन पर कड़ी नजर रखना चाहता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर फिनफ्लूएंसर गलत होता है। कई अच्छे फिनफ्लूएंसर भी हैं जो लाइसेंस लेकर सही जानकारी देते हैं। SEBI को गैरकानूनी फिनफ्लूएंसर पर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन आम Investors की प्राइवेसी की रक्षा भी करनी चाहिए।
Conclusion
तो दोस्तों, SEBI की इस मांग पर सरकार अभी विचार कर रही है। अगर यह मांग मंजूर हो जाती है, तो यह शेयर बाजार में हेरफेर करने वालों के खिलाफ एक कड़ा कदम होगा। लेकिन इससे आम लोगों की प्राइवेसी पर भी असर पड़ सकता है। आपका इस मामले पर क्या सोचना है? क्या SEBI को WhatsApp और Telegram पर नजर रखने का अधिकार मिलना चाहिए, या यह आपकी प्राइवेसी के खिलाफ है? हमें अपनी राय कमेंट करें !
अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”