नमस्कार दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि शेयर बाजार की ये लगातार गिरावट बस कुछ ही दिनों की मेहमान है? क्या सच में Investors के बुरे दिन अब खत्म होने वाले हैं? या फिर यह सिर्फ एक भ्रम है, जो जल्द ही टूट जाएगा? पिछले कुछ महीनों से Stock market में मंदी ने Investors की नींद उड़ा रखी है। एक दिन बाजार संभलता है तो अगले ही दिन फिर से गिरावट देखने को मिलती है। हर Investor के मन में यही सवाल है कि आखिर यह बुरा दौर कब खत्म होगा?
इसी बीच, हेलियोस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा ने एक बड़ी भविष्यवाणी की है। उनका कहना है कि अगले 1 से 2 महीने में बाजार बॉटम आउट कर जाएगा यानी बाजार की गिरावट का अंत हो जाएगा। इसके बाद बाजार में 5 से 10% की तेजी देखने को मिल सकती है।
लेकिन क्या ये सिर्फ एक आशा है या इसके पीछे कोई ठोस आधार है? दूसरी ओर, जीक्वांट इन्वेस्टेक के फाउंडर शंकर शर्मा ने इस भविष्यवाणी को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि बाजार की यह गिरावट अगले 4 से 5 साल तक बनी रह सकती है। आखिर सच क्या है – समीर अरोड़ा की उम्मीद या शंकर शर्मा की कड़वी सच्चाई? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
समीर अरोड़ा का मानना है कि Foreign institutional investors, (FII) की बिकवाली के कारण बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। पिछले कुछ महीनों से FII लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। इसका असर बाजार पर सीधा पड़ रहा है। अगर बाजार में Investment का प्रवाह कम हो जाता है, तो इसका नतीजा साफ तौर पर गिरावट के रूप में सामने आता है। समीर अरोड़ा का कहना है कि अगले 1 से 2 महीने में बाजार में जो गिरावट होनी है, वो पूरी हो जाएगी। इसके बाद बाजार संभलेगा और उसमें 5 से 10% की तेजी देखने को मिलेगी। लेकिन यह तेजी सिर्फ एक अस्थायी राहत होगी।
समीर अरोड़ा ने यह भी साफ किया है कि इस तेजी के बावजूद बाजार उस स्तर तक नहीं पहुंचेगा, जहां से बुल मार्केट की शुरुआत हुई थी। आमतौर पर बुल मार्केट की शुरुआत 2020 से मानी जाती है। यानी अगर बाजार में 5 से 10% की तेजी भी आती है, तो भी यह उस स्तर तक नहीं पहुंचेगा जहां से तेजी का दौर शुरू हुआ था। इसका मतलब यह हुआ कि Investors को बड़ी तेजी की उम्मीद करने से पहले सावधान रहना होगा।
लेकिन दूसरी ओर, शंकर शर्मा का नजरिया इससे बिल्कुल उलट है। शंकर शर्मा ने कहा है कि समीर अरोड़ा का यह दावा गलत साबित हो सकता है कि, बाजार अगले 1 से 2 महीने में बॉटम आउट कर जाएगा। उनका कहना है कि बाजार में सुधार होने में अभी 4 से 5 साल का समय लग सकता है। शंकर शर्मा के अनुसार, 2023 के सितंबर महीने से जो गिरावट का दौर शुरू हुआ है, वह अगले 4 से 5 साल तक जारी रह सकता है।
शंकर शर्मा ने यह भी कहा है कि इस दौरान बाजार में कुछ खास हलचल देखने को नहीं मिलेगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर भारत की जीडीपी के आंकड़े खराब आते हैं या Global बाजार में किसी बड़ी घटना का असर होता है, तो सेंसेक्स 73,000 से गिरकर 60,000 तक आ सकता है। हालांकि, इसके बाद भी बाजार फिर से उठकर 75,000 तक पहुंच सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बाजार में कोई स्थायी सुधार हो जाएगा।
शंकर शर्मा का कहना है कि इस दौरान Investors की दिलचस्पी बाजार में बनी रहेगी, लेकिन पॉजिटिव रिटर्न की उम्मीद कम है। उनका मानना है कि अगले 5 साल के भीतर बाजार से सकारात्मक रिटर्न की संभावना बेहद कम है। उन्होंने यहां तक कहा कि डॉलर के संदर्भ में भारतीय शेयर बाजार नेगेटिव रिटर्न भी दे सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीय Investors के लिए आने वाले साल भी चुनौतियों से भरे हो सकते हैं।
समीर अरोड़ा की बातों में एक आशा जरूर झलकती है। उनका मानना है कि बाजार की गिरावट अब अपने अंतिम चरण में है। अगर बाजार अगले 1 से 2 महीने में बॉटम आउट करता है, तो यह Investors के लिए एक अच्छा संकेत हो सकता है। लेकिन इस तेजी से कोई बड़ा फायदा मिलने की संभावना नहीं है। अगर 5 से 10% की तेजी आती भी है, तो बाजार उन स्तरों तक नहीं पहुंचेगा जहां से 2020 में तेजी का दौर शुरू हुआ था।
वहीं, शंकर शर्मा की बातों में हकीकत की झलक मिलती है। उन्होंने जिस तरह से Global economic conditions और बाजार के पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण किया है, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में स्थायी सुधार की उम्मीद अभी करना सही नहीं होगा। अगर Global अर्थव्यवस्था में सुधार होता है, तो बाजार जरूर उठेगा। लेकिन अगर Global अर्थव्यवस्था में मंदी जारी रहती है, तो भारतीय बाजार को उबरने में समय लगेगा।
इसके अलावा, Foreign institutional investors की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अगर Foreign investors भारतीय बाजार से पैसा निकालते रहेंगे, तो बाजार में तेजी आने की संभावना कम होगी। अगर Foreign investors फिर से भारतीय बाजार में पैसा लगाना शुरू करते हैं, तो बाजार को मजबूती मिल सकती है।
इसके अलावा, भारतीय बाजार के लिए एक और बड़ी चुनौती ब्याज दरें हो सकती हैं। अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरें लगातार बढ़ रही हैं। अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को और बढ़ाया, तो इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा। इससे foreign investors का पैसा भारतीय बाजार से निकल सकता है, जिससे बाजार में गिरावट का दौर फिर से शुरू हो सकता है।
बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए Investors को धैर्य से काम लेने की जरूरत है। अगर समीर अरोड़ा की बात सच होती है, तो अगले 1 से 2 महीने में बाजार संभल सकता है। लेकिन अगर शंकर शर्मा की बात सही साबित होती है, तो Investors को लंबी अवधि तक इंतजार करना पड़ सकता है।
समीर अरोड़ा और शंकर शर्मा – दोनों ही दिग्गज Investor हैं। उनके पास वर्षों का अनुभव है और वे बाजार के उतार-चढ़ाव को बारीकी से समझते हैं। ऐसे में Investors के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि वे किसकी बात पर भरोसा करें। बाजार में Investment का निर्णय लेने से पहले Investors को अपनी risk capacity और Long term goals पर ध्यान देना जरूरी है।
इस पूरे विवाद का निष्कर्ष यही है कि बाजार में स्थायी सुधार की संभावना अभी कमजोर है। अगले 1 से 2 महीने में अगर बाजार में 5 से 10% की तेजी आती भी है, तो भी वह ज्यादा समय तक टिकेगी, इसकी संभावना कम है। अगर Global अर्थव्यवस्था और ब्याज दरें स्थिर होती हैं, तो बाजार में तेजी आ सकती है। लेकिन अगर Global परिस्थितियां बिगड़ती हैं, तो बाजार में गिरावट का दौर अगले 4 से 5 साल तक बना रह सकता है।
Investors के लिए यह समय सतर्क रहने का है। बाजार के उतार-चढ़ाव पर नजर बनाए रखना जरूरी है। अगर आप Long term investor हैं, तो धैर्य बनाए रखें। अगर आप शॉर्ट टर्म इन्वेस्टर हैं, तो मुनाफा लेने का हर मौका न चूकें। क्योंकि बाजार का भविष्य अभी भी अनिश्चित है – और इसकी दिशा तय करेगी Global अर्थव्यवस्था, ब्याज दरें और foreign investors का रुख।
Conclusion
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