नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है जब आपने अपने जीवन भर की कमाई शेयर बाजार में लगा दी हो और देखते ही देखते सब कुछ डूबने लगे? क्या आपने कभी अपने पोर्टफोलियो को देखकर ऐसा महसूस किया है कि अब कुछ नहीं बचा? क्या आपने कभी ऐसी रातें बिताई हैं जब आपको यह सोचकर नींद नहीं आई हो कि अगर बाजार कल और गिरा तो क्या होगा? सुमित की कहानी ऐसी ही है।
सुमित ने छह महीने पहले बड़े सपनों के साथ शेयर बाजार में कदम रखा था। उसने सुना था कि बाजार में पैसा लगाने से रातों-रात अमीर बना जा सकता है। उसने मल्टीबैगर स्टॉक्स की तलाश शुरू की, जो कम समय में कई गुना रिटर्न दे सकते थे। शुरू में किस्मत ने उसका साथ दिया, कुछ Shares से उसे अच्छा मुनाफा हुआ। सुमित को लगा कि उसने बाजार को समझ लिया है। उसने अपना आत्मविश्वास बढ़ा लिया और इस बार उसने कुछ ऐसे Shares खरीद लिए जो फंडामेंटली मजबूत नहीं थे।
लेकिन फिर बाजार ने ऐसी करवट ली कि सुमित का सपना बुरे सपने में बदल गया। बाजार में छह महीने की गिरावट ने उसकी सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया। उसके पोर्टफोलियो में रखे Shares के दाम आधे से भी कम हो गए। अब सुमित परेशान है। वह सोच रहा है कि आखिर उसने ऐसा कौन सा गलत फैसला लिया जिसकी वजह से वह इस स्थिति में आ गया। वह कहता है, “मैं तो बर्बाद हो गया हूं… अब इन Shares का क्या करूं?” आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे
शेयर बाजार में गिरावट नई बात नहीं है, लेकिन इस बार जो स्थिति बनी है, उसने लाखों छोटे Investors को बुरी तरह हिला दिया है। मार्च के महीने की शुरुआत में ही बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली थी। निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई से करीब 15 फीसदी नीचे आ गया था। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स तो 20 फीसदी से ज्यादा टूट चुके थे।
जिन Investors ने सही समय पर मुनाफा बुक कर लिया, वे बच गए, लेकिन जो लोग बाजार के अगले मूवमेंट का इंतजार करते रह गए, उनके पोर्टफोलियो का बुरा हाल हो गया। सुमित भी उन्हीं में से एक है। उसे लगा था कि गिरावट अस्थायी है और जल्द ही बाजार रिकवरी करेगा, लेकिन बाजार की हालत लगातार खराब होती चली गई। अब सुमित सोच रहा है कि जिन Shares की कीमत 50-60 फीसदी तक गिर गई है, क्या वे कभी अपने पुराने स्तर पर लौटेंगे? या फिर उसे इन्हें बेचकर नुकसान उठाना चाहिए?
सुमित की कहानी अकेली नहीं है। देश के लाखों नए Investor, जो कोविड के बाद बाजार में उतरे थे, वे सभी इसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। कोविड के बाद जब बाजार तेजी से बढ़ा, तब हर कोई शेयर बाजार में Investment करने के लिए उत्सुक था। यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पर लोगों को बताया जा रहा था कि यह पैसा कमाने का सही समय है। लोग बिना फंडामेंटल्स को समझे शेयर खरीदने लगे। सुमित ने भी यही किया।
उसने दोस्तों की सलाह पर शेयर खरीदे, इंटरनेट पर दिए गए टिप्स को फॉलो किया और कुछ मल्टीबैगर स्टॉक्स पर दांव लगा दिया। शुरुआती बढ़त से उसे लगा कि वह सही रास्ते पर है, लेकिन बाजार की गिरावट ने उसकी उम्मीदों को तोड़ दिया। अब सुमित सोच रहा है कि क्या उसने गलती की है? क्या उसने गलत कंपनियों के शेयर खरीद लिए हैं? क्या अब उसे इन Shares को बेच देना चाहिए या फिर इंतजार करना चाहिए?
experts का मानना है कि बाजार में गिरावट का दौर हमेशा नहीं चलता। लेकिन यह भी सच है कि कमजोर Shares की रिकवरी में लंबा समय लग सकता है। मजबूत कंपनियां बाजार में रिकवरी के साथ ही तेजी पकड़ लेती हैं, लेकिन कमजोर कंपनियों के शेयर कभी-कभी दोबारा पुराने स्तर तक लौट ही नहीं पाते। यही सुमित की सबसे बड़ी समस्या है।
उसके पोर्टफोलियो में कई मजबूत कंपनियों के शेयर भी हैं, लेकिन कुछ शेयर ऐसे हैं जिनके फंडामेंटल्स कमजोर हैं और जो अभी भी गिर रहे हैं। सुमित सोच रहा है कि क्या उसे इन कमजोर Shares को अभी ही बेच देना चाहिए या फिर और इंतजार करना चाहिए। समस्या यह है कि अगर वह अभी बेचता है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन अगर वह और इंतजार करता है तो इसमें और गिरावट आ सकती है।
सुमित की हालत उन Investors से अलग नहीं है, जिन्होंने बिना रिसर्च के सिर्फ दूसरों के कहने पर शेयर खरीदे थे। बाजार के अच्छे दौर में कमजोर शेयर भी भागते हैं, लेकिन जब गिरावट शुरू होती है तो ये शेयर सबसे पहले गिरते हैं और सबसे आखिर में रिकवरी करते हैं। सुमित के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अगर बाजार अगले कुछ महीनों तक कमजोर बना रहता है, तो क्या उसके पोर्टफोलियो में रखे ये कमजोर शेयर किसी काम आएंगे या फिर उसका सारा Investment डूब जाएगा?
experts का कहना है कि बाजार में रिकवरी आती है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर शेयर उस रिकवरी में तेजी से उभरे। मजबूत कंपनियों के शेयर सबसे पहले बढ़ते हैं, जबकि कमजोर कंपनियों के शेयर लंबे समय तक नीचे ही बने रहते हैं।
अब सवाल यह है कि सुमित को क्या करना चाहिए? experts की राय है कि ऐसे समय में जल्दबाजी करना सही नहीं होगा। सबसे पहले उसे अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी होगी। उसे यह देखना होगा कि कौन से शेयर फंडामेंटली मजबूत हैं और कौन से कमजोर।
जिन कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत है, जिनकी सेल्स और प्रॉफिट ग्रोथ लगातार अच्छी है, उन पर सुमित को भरोसा बनाए रखना चाहिए। लेकिन जिन कंपनियों के फंडामेंटल्स कमजोर हैं, जिनकी बैलेंस शीट में कर्ज ज्यादा है, जिनकी सेल्स और प्रॉफिट ग्रोथ में गिरावट आ रही है, उन कंपनियों के Shares से धीरे-धीरे बाहर निकलना चाहिए।
अगर सुमित को भारी नुकसान हो रहा है, तो उसे धीरे-धीरे अपनी पोजीशन को कम करना चाहिए। हर गिरावट में नुकसान को सीमित करने की रणनीति अपनानी चाहिए। उसे लॉर्ज कैप कंपनियों पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए। लॉर्ज कैप कंपनियां बाजार में जल्दी रिकवरी करती हैं।
साथ ही उसे अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करना चाहिए। सिर्फ एक सेक्टर पर निर्भर रहने के बजाय अलग-अलग सेक्टर्स में Investment करना चाहिए। इससे Risk कम होगा और रिकवरी की संभावना बढ़ेगी।
शेयर बाजार में हर Investor को धैर्य रखने की जरूरत होती है। बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। गिरावट के दौर में घबराकर गलत फैसले लेने से बचना चाहिए। सुमित की स्थिति से सबक लेते हुए दूसरे Investors को भी सतर्क रहना चाहिए। शेयर बाजार में Investment से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स को समझना जरूरी है। बिना रिसर्च के सिर्फ दूसरों के कहने पर Shares खरीदना नुकसानदायक हो सकता है।
सुमित की कहानी से यही सीख मिलती है कि शेयर बाजार में सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। बाजार में टिके रहने के लिए धैर्य, अनुशासन और रिसर्च जरूरी है। अगर आप सही कंपनी के Shares को पकड़कर रखते हैं, तो बाजार में रिकवरी के साथ ही मुनाफा मिलेगा। लेकिन कमजोर कंपनियों के Shares से समय रहते निकलना ही समझदारी है।
Conclusion
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