New change: Swiggy की नई रणनीति! क्या भारत का फूड डिलीवरी बाजार बदलने वाला है? 2025

नमस्कार दोस्तों, एक रात के अंधेरे में, एक मशहूर रेस्टोरेंट का मालिक अपने ऑफिस के कोने में बैठा हुआ था। उसके सामने ढेर सारे कागजात बिखरे पड़े थे—पिछले कुछ महीनों के ऑर्डर, कमीशन चार्ट, और फूड डिलीवरी एप्स के साथ हुए समझौते। वह बार-बार अपने मोबाइल स्क्रीन को देखता, जोमैटो और स्विगी से आने वाले ऑर्डर्स की संख्या लगातार कम होती जा रही थी। लेकिन इसके पीछे वजह क्या थी? उसके ग्राहक कहां जा रहे थे? अ

चानक उसका ध्यान एक न्यूज आर्टिकल पर गया—”Swiggy और Zomato ने लॉन्च किए अपने खुद के ब्रांडेड फूड डिलीवरी सर्विसेज!” उसे एहसास हुआ कि जिन कंपनियों पर वह सालों से निर्भर था, वे अब उसके ही खिलाफ खड़ी हो गई थीं। क्या यह भारत के रेस्तरां उद्योग का एक नया युग था, या फिर छोटे और मध्यम रेस्टोरेंट्स के लिए संकट की शुरुआत? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे

फूड डिलीवरी के क्षेत्र में Swiggy और Zomato ने पिछले कुछ वर्षों में अपना दबदबा कायम किया है। इन कंपनियों ने करोड़ों उपभोक्ताओं तक खाना पहुंचाने का सिस्टम विकसित किया, और इसमें कोई संदेह नहीं कि इन्होंने रेस्टोरेंट इंडस्ट्री को एक नया प्लेटफॉर्म दिया। लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीजें बदल गई हैं। Swiggy ने ‘Snac’ और Zomato ने ‘Bistro’ नाम से नए ऐप लॉन्च किए हैं, जो 10 मिनट में फूड डिलीवरी का दावा करते हैं। यह कदम पहली नज़र में ग्राहकों के लिए फायदेमंद लग सकता है, लेकिन रेस्टोरेंट मालिकों के लिए यह एक नई चुनौती बनकर सामने आया है।

नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के अनुसार, ये कंपनियां अब सिर्फ फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म नहीं रही हैं, बल्कि वे खुद रेस्तरां की भूमिका में आ गई हैं। उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद डेटा का इस्तेमाल कर, ग्राहकों की पसंद-नापसंद का विश्लेषण किया और फिर उसी आधार पर अपने ब्रांडेड फूड आइटम लॉन्च कर दिए। यह न केवल रेस्तरां मालिकों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह बाजार में एक नई तरह की Competition को जन्म दे रहा है, जहां रेस्तरां को अपने ही डेटा के खिलाफ लड़ना पड़ रहा है।

NRAI के अध्यक्ष सागर दरयानी का कहना है कि (Quick Commerce) से किसी को कोई समस्या नहीं है, लेकिन Zomato और Swiggy अब खुद अपने ब्रांड बना रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने वर्षों से रेस्तरां द्वारा इकट्ठा किए गए उपभोक्ता डेटा का इस्तेमाल किया है, जिसे वे रेस्तरां के साथ साझा नहीं कर रहे हैं। जब ये कंपनियां केवल डिलीवरी पार्टनर थीं, तब रेस्तरां को उनसे फायदा होता था। लेकिन अब जब वे खुद खाना बना और बेच रही हैं, तो यह पारंपरिक रेस्तरां बिजनेस के लिए सीधा खतरा बन गया है।

Swiggy और Zomato की इस रणनीति का सबसे बड़ा असर छोटे और मध्यम आकार के रेस्टोरेंट्स पर पड़ रहा है। बड़े ब्रांड्स जैसे McDonald’s, Domino’s, और KFC जैसी कंपनियां खुद के डिलीवरी नेटवर्क पर भी काम कर रही हैं, लेकिन स्थानीय रेस्टोरेंट्स पूरी तरह Swiggy और Zomato पर निर्भर हैं। अगर ग्राहक Swiggy और Zomato के ही ब्रांडेड फूड को ज्यादा पसंद करने लगेंगे, तो इन छोटे व्यवसायों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

इस बीच, बाजार में एक और बड़ा खिलाड़ी उभर रहा है—Zepto Café। Zepto, जो पहले किराने की Quick delivery के लिए जाना जाता था, अब फूड इंडस्ट्री में भी प्रवेश कर रहा है। Zepto Café ने 2024 में अपना ऑपरेशन शुरू किया और 2026 तक इसका 1000 करोड़ रुपये का टर्नओवर होने की उम्मीद है। Swiggy और Zomato अब Zepto Café के साथ Competition कर रहे हैं और इसी वजह से, वे अपनी नई डाइन-इन सर्विस और खुद के ब्रांडेड फूड आइटम्स पर ध्यान दे रहे हैं।

Zomato के CEO दीपिंदर गोयल का कहना है कि तेज़ डिलीवरी समय से रेस्तरां के खाने की मांग बढ़ जाती है। पहले जब रेस्तरां खुद डिलीवरी करते थे, तब ऑर्डर डिलीवरी का समय 45 मिनट था, जिसे घटाकर 30 मिनट कर दिया गया था। इससे ग्राहकों की संख्या बढ़ी थी। अब जब 10 से 15 मिनट में डिलीवरी होगी, तो बाजार में और भी तेजी आएगी। Zomato ने बिस्ट्रो को इसी उद्देश्य के साथ लॉन्च किया है। हालांकि, यह सर्विस हर जगह नहीं मिलेगी, बल्कि चुनिंदा रेस्तरां में इसे शुरू किया गया है।

इसके अलावा, Swiggy ने भी हाल ही में ‘Snac’ नामक सर्विस लॉन्च की है, जो फिलहाल बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में उपलब्ध है। इस सर्विस में 128 से अधिक फूड आइटम्स उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 200 रुपये से कम रखी गई है। अगर ऑर्डर 100 रुपये से अधिक का होता है, तो कोई डिलीवरी चार्ज नहीं लिया जाता। इसके अलावा, Swiggy ने ‘Bolt’ नाम की एक नई सर्विस भी शुरू की है, जिसमें कुछ विशेष रेस्तरां से 15 मिनट के भीतर ऑर्डर डिलीवर किया जाता है।

Swiggy के MD और CEO श्रीहर्ष मजेटी का कहना है कि नई 10 मिनट डिलीवरी सर्विस ने Quick Commerce में नए बदलाव लाए हैं। Swiggy की फूड डिलीवरी ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू  में fiscal year 2024-25 की तीसरी तिमाही में 19% की वृद्धि हुई, जिससे यह 7,436 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। खासकर ‘Bolt’ सर्विस ने कुल फूड डिलीवरी में 9% का योगदान दिया है।

लेकिन इस विकास के पीछे एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता है—क्या Swiggy और Zomato द्वारा उठाए गए ये कदम छोटे और मध्यम आकार के रेस्टोरेंट्स को खत्म करने की ओर ले जा रहे हैं? इस समय Swiggy और Zomato औसतन 16% से 30% कमीशन ले रहे हैं, जो अलग-अलग रेस्टोरेंट्स के लिए अलग-अलग हो सकता है। स्विगी का मानना है कि उसके आउट-ऑफ-होम consumption category का औसत ऑर्डर मूल्य, लगभग 3,000 रुपये है, जबकि फूड डिलीवरी का औसत ऑर्डर मूल्य 420 से 430 रुपये है।

इसके अलावा, कुछ रेस्टोरेंट्स में टेबल बुकिंग और बिल भुगतान के दौरान 15 से 20% की छूट दी जाती है, जो ग्राहकों को आकर्षित करती है। Swiggy और Zomato इस छूट को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि लोग अधिक से अधिक ऑर्डर करें। यह डिलीवरी बैंकिंग साझेदारों और रेस्तरां दोनों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इसमें बड़ा ऑर्डर होने पर पैकेजिंग आदि की लागत बचती है।

हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम का असली प्रभाव रेस्तरां मालिकों और ग्राहकों पर क्या पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। क्या यह नई Competition केवल बड़ी फूड डिलीवरी कंपनियों के पक्ष में जाएगी, या फिर रेस्तरां इंडस्ट्री खुद को बचाने के लिए कोई नई रणनीति अपनाएगी?

फिलहाल, एक बात तो तय है—भारत में फूड डिलीवरी बिजनेस तेजी से बदल रहा है, और आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ग्राहक को बेहतर सर्विस मिलना स्वाभाविक है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव भारत के छोटे रेस्तरां व्यवसायों के लिए घातक साबित होगा? क्या ये नई रणनीतियां उनके अस्तित्व को खत्म कर देंगी, या फिर वे भी इस बदलाव का हिस्सा बनकर खुद को बचाने में कामयाब होंगे? समय ही इसका उत्तर देगा।

Conclusion

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