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Tech Companies के लिए नई चुनौती: ऑस्ट्रेलिया का मेटा और गूगल पर शिकंजा I 2024

Tech Companies

नमस्कार दोस्तों, ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने डिजिटल टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक ऐसा साहसी कदम उठाया है, जो न केवल मेटा और गूगल जैसी बड़ी Tech Companies के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, बल्कि यह परंपरागत मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच नए समीकरण की शुरुआत भी कर सकता है। ऑस्ट्रेलिया की Minister of Communications मिशेल रोलैंड, और Assistant Treasurer स्टीफन जोन्स ने घोषणा की है कि 1 जनवरी 2025 से, उन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर टैक्स लगाया जाएगा, जिनकी Annual Income 250 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर से अधिक है, और जो स्थानीय मीडिया संगठनों के साथ रेवेन्यू शेयर करने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार का यह कदम न केवल आर्थिक संतुलन को बेहतर बनाने की कोशिश है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि मीडिया संगठनों को उनकी मेहनत और योगदान का सही मुआवजा मिले। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Table of Contents

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डिजिटल कंपनियों के लिए ऑस्ट्रेलिया में चुनौतियां क्यों बड़ी हैं?

ऑस्ट्रेलिया का यह प्रस्ताव मेटा (फेसबुक), गूगल, और बाइटडांस (टिकटॉक) जैसी Tech Companies के लिए एक नई चुनौती है। ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म्स पर न्यूज पब्लिशर्स के कंटेंट का उपयोग करके भारी मुनाफा कमाती हैं, लेकिन पब्लिशर्स के साथ रेवेन्यू शेयर नहीं करतीं। सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर ये कंपनियां रेवेन्यू शेयर नहीं करती हैं, तो उन्हें भारी टैक्स चुकाना होगा। हालांकि अभी तक टैक्स की सटीक दर तय नहीं की गई है, लेकिन सरकार इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि, यह दर इतनी अधिक हो कि Tech Companies को रेवेन्यू शेयर करना ही बेहतर विकल्प लगे। यह कदम ऑस्ट्रेलिया की मीडिया इंडस्ट्री को मजबूती देने, और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती ताकत को संतुलित करने का प्रयास है।

News Media Bargaining Code का क्या उद्देश्य है?

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 2021 में News Media Bargaining Code नामक कानून लागू किया था। इस कानून का उद्देश्य न्यूज पब्लिशर्स और Tech Companies के बीच रेवेन्यू शेयरिंग का एक Transparent structure तैयार करना था। इस कोड के तहत, यदि कोई Tech Company स्थानीय न्यूज पब्लिशर्स के कंटेंट का उपयोग करती है, तो उसे इसके बदले Payment करना होगा। सरकार का मानना है कि Tech Companies पब्लिशर्स के कंटेंट का इस्तेमाल कर विज्ञापन और अन्य माध्यमों से मोटी कमाई कर रही हैं, जबकि न्यूज पब्लिशर्स को उनके कंटेंट के लिए कोई मुआवजा नहीं मिलता। इस कदम ने मीडिया और Tech Industry के बीच एक नई बहस को जन्म दिया।

मेटा ने ऑस्ट्रेलिया के इस कानून के खिलाफ विवादास्पद रुख क्यों अपनाया है?

मेटा ने इस कानून का खुलकर विरोध किया है। मेटा का कहना है कि उनके प्लेटफॉर्म पर आने वाले अधिकतर यूजर्स न्यूज पढ़ने के लिए नहीं आते, बल्कि मनोरंजन और सोशल इंटरैक्शन के लिए आते हैं। मेटा ने यह भी दावा किया कि न्यूज पब्लिशर्स अपनी मर्जी से उनके प्लेटफॉर्म पर कंटेंट पोस्ट करते हैं, जिससे उन्हें फायदा होता है। मेटा ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस कदम को “अमेरिकी Tech Companies के खिलाफ पक्षपातपूर्ण” करार दिया और कहा कि किसी एक इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरी इंडस्ट्री पर टैक्स लगाना गलत है। मेटा के इस रवैये ने सरकार और मीडिया इंडस्ट्री के बीच असहमति को और बढ़ा दिया है।

गूगल ने ऑस्ट्रेलिया के इस कानून के प्रति सकारात्मक रुख क्यों अपनाया है?

जहां मेटा ने इस कानून का विरोध किया, वहीं गूगल ने एक सकारात्मक और सहयोगात्मक रवैया अपनाया। गूगल ने पिछले तीन वर्षों में 80 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई न्यूज पब्लिशर्स के साथ रेवेन्यू शेयरिंग Agreements पर हस्ताक्षर किए हैं। गूगल ने यह भी कहा कि वह इन Agreements को Updated करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। गूगल का यह रवैया दिखाता है कि Tech Companies, सरकार और मीडिया संगठनों के साथ सहयोग करके अपने व्यापार मॉडल को सामंजस्यपूर्ण बना सकती हैं। यह कदम मेटा और अन्य Tech Companies के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा सकता है।

स्थानीय न्यूज पब्लिशर्स की इस कानून को लेकर क्या स्थिति है?

स्थानीय न्यूज पब्लिशर्स का कहना है कि उनके कंटेंट का उपयोग कर, Tech Companies भारी मुनाफा कमा रही हैं, जबकि पब्लिशर्स को इसका कोई सीधा लाभ नहीं मिल रहा। न्यूज पब्लिशर्स का यह भी तर्क है कि कंटेंट तैयार करने में न केवल समय और मेहनत लगती है, बल्कि इसे high quality का बनाने के लिए बड़े Investment की भी जरूरत होती है। सरकार के इस कदम को पब्लिशर्स ने अपने हितों की सुरक्षा और उनके योगदान की पहचान के रूप में देखा है। यह पहल न्यूज पब्लिशर्स के लिए आर्थिक स्थिरता और उनके काम की सराहना का एक बड़ा संकेत है।

इस कानून के तहत प्राप्त होने वाले टैक्स के उपयोग को लेकर सरकार की क्या योजना है?

सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि Tech Companies से वसूले गए टैक्स की राशि का उपयोग, स्थानीय मीडिया संगठनों को आर्थिक सहायता देने के लिए किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य न केवल पब्लिशर्स को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि उनकी स्वतंत्रता और सटीक रिपोर्टिंग को भी बढ़ावा देना है। सरकार का यह प्रयास यह भी सुनिश्चित करता है कि डिजिटल युग में, पारंपरिक मीडिया की Relevance और उसकी भूमिका को बनाए रखा जाए। यह कदम मीडिया और Tech Industry के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

ऑस्ट्रेलिया के इस कदम का global प्रभाव क्या होगा, और यह अन्य देशों के लिए क्या संकेत देता है?

ऑस्ट्रेलिया का यह कदम Global Level पर Tech Companies के लिए एक चेतावनी है। अगर यह मॉडल सफल रहता है, तो अन्य देश भी इसी तरह के कानून लागू कर सकते हैं। यह कदम यह दिखाता है कि सरकारें अब डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती ताकत को संतुलित करने, और पारंपरिक मीडिया को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार हैं। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों ने पहले ही ऑस्ट्रेलिया के इस मॉडल में दिलचस्पी दिखाई है। यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में मीडिया और टेक्नोलॉजी के बीच संबंधों को लेकर Global Scenario बदल सकता है।

ऑस्ट्रेलिया का यह कदम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए चुनौती क्यों है, और इससे उनके व्यापार मॉडल पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

ऑस्ट्रेलिया का यह कानून डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए एक नई चुनौती पेश करता है। अब तक ये कंपनियां बिना किसी जवाबदेही के न्यूज पब्लिशर्स का कंटेंट इस्तेमाल कर रही थीं। लेकिन अब उन्हें न केवल अपने व्यापार मॉडल को बदलना होगा, बल्कि स्थानीय पब्लिशर्स के साथ Partnership भी करनी होगी। यह बदलाव डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की Operating Cost को बढ़ा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करेगा कि पब्लिशर्स को उनकी मेहनत का सही मुआवजा मिले। यह कदम यह भी दिखाता है कि टेक्नोलॉजी और मीडिया का सह-अस्तित्व केवल पारस्परिक सहयोग के जरिए ही संभव है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, ऑस्ट्रेलिया का यह कदम डिजिटल और पारंपरिक मीडिया के बीच एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। यह दिखाता है कि सरकारें अब टेक्नोलॉजी कंपनियों की जिम्मेदारी तय करने और मीडिया संगठनों को सशक्त बनाने के लिए गंभीर हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि मेटा और गूगल जैसी कंपनियां इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं। गूगल का सकारात्मक रुख एक उदाहरण है कि Tech Companies सरकार और मीडिया संगठनों के साथ सहयोग कर सकती हैं। यह समय है कि Tech Companies पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को अपने व्यापार मॉडल में प्राथमिकता दें। यह कदम न केवल ऑस्ट्रेलिया के लिए, बल्कि global डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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