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Tenant चुनने में बरतें सावधानी! सही किरायेदार से मिलेगी सुरक्षा और बिना झंझट की आय। 2025

Tenant

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन आप अपनी प्रॉपर्टी को किराये पर देंगे और अचानक से आपका Tenant उस घर पर हक जताने लगे? सोचिए, आपने कड़ी मेहनत से कमाई करके एक शानदार मकान खरीदा, लेकिन कुछ साल बाद वही मकान आपका न होकर Tenant का बन जाए। शायद आपको ये कहानी किसी फिल्म जैसी लगे, लेकिन यह हकीकत है।

देशभर में कई मकान मालिक ऐसे मामलों का सामना कर चुके हैं, जहां Tenant ने मकान पर कब्जा जमा लिया और मकान मालिक को कानूनी लड़ाई में उलझा दिया। ऐसे मामलों में कई बार मकान मालिक को वर्षों तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं और फिर भी मकान खाली कराने में असफल रहते हैं। इस तरह की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब मकान मालिक Tenant को बिना पूरी जांच-पड़ताल के, या बिना किसी लिखित समझौते के मकान किराये पर दे देते हैं। अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी को किराये पर देने की सोच रहे हैं, तो सावधानी जरूरी है।

किराये पर घर देने से पहले कुछ महत्वपूर्ण नियम और शर्तों का पालन करना न सिर्फ आपकी प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखेगा, बल्कि भविष्य में होने वाली कानूनी उलझनों से भी बचाएगा। इस वीडियो में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि किराये पर घर देने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आप अपनी प्रॉपर्टी को सुरक्षित रख सकें और Tenant से किसी भी प्रकार की परेशानी से बच सकें। वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज की चर्चा शुरू करते हैं!

आजकल, प्रॉपर्टी में Investment करना एक बहुत ही समझदारी भरा कदम माना जाता है। रियल एस्टेट में Investment से न केवल आपको अपनी संपत्ति की कीमत में बढ़ोतरी का फायदा मिलता है, बल्कि किराये से नियमित income का जरिया भी मिल जाता है। यही कारण है कि आजकल कई लोग अतिरिक्त मकान खरीदकर उसे किराये पर देने का विचार कर रहे हैं।

खासतौर पर मेट्रो सिटीज में किराये के मकानों की मांग लगातार बढ़ रही है। बड़ी संख्या में लोग नौकरी, पढ़ाई या व्यवसाय के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं और किराये के मकानों की मांग हमेशा बनी रहती है। ऐसे में अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी को किराये पर देना चाहते हैं, तो इससे आपको Regular monthly income मिल सकती है। लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब मकान मालिक Tenant के साथ स्पष्ट नियम और शर्तों के बिना ही समझौता कर लेते हैं।

बिना लिखित एग्रीमेंट के Tenant को घर किराये पर देने से भविष्य में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। कई बार Tenant समय पर किराया नहीं देते, घर को नुकसान पहुंचाते हैं या फिर मकान खाली करने से इनकार कर देते हैं। इसलिए, अगर आप किराये पर घर देने जा रहे हैं, तो आपको हर कदम पर सतर्क रहने की जरूरत है।

सबसे पहली और सबसे जरूरी बात यह है कि आप किरायेदार की पूरी जानकारी लें। अक्सर मकान मालिक Tenant से सिर्फ आधार कार्ड या पहचान पत्र की कॉपी लेकर संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन यह काफी नहीं है। आपको Tenant के पूरे बैकग्राउंड की जांच करनी चाहिए। उसका पिछला किरायेदारी का इतिहास, पुलिस वेरिफिकेशन और बैंक स्टेटमेंट जैसी जानकारियां लेना बहुत जरूरी है।

अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को किराये पर घर दे रहे हैं, जो पहले किसी विवाद में शामिल रहा है या जिस पर आपराधिक मामला दर्ज है, तो इससे आपको गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, अगर आप किसी छात्र या कामकाजी व्यक्ति को घर किराये पर दे रहे हैं, तो उसके माता-पिता या गार्जियन की भी जानकारी लेनी जरूरी है।

अगर Tenant किसी कंपनी में काम कर रहा है, तो उसके जॉब की डिटेल, कंपनी का नाम और वहां के एचआर विभाग से भी संपर्क करना एक समझदारी भरा कदम होगा। इससे आपको यह सुनिश्चित हो जाएगा कि Tenant की income का स्रोत क्या है और वह समय पर किराया दे सकेगा या नहीं।

इसके अलावा, पुलिस वेरिफिकेशन करवाना एक ऐसा कदम है, जिसे ज्यादातर मकान मालिक नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह एक कानूनी सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन कराने से आपको यह सुनिश्चित हो जाएगा कि वह व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं है।

इसके अलावा, अगर भविष्य में कोई समस्या आती है, तो पुलिस वेरिफिकेशन की रिपोर्ट आपके लिए कानूनी दस्तावेज के रूप में काम करेगी। आपको किरायेदार के पहचान पत्र की कॉपी और पुलिस वेरिफिकेशन की रिपोर्ट को स्थानीय थाने में जमा करानी चाहिए। कई बार मकान मालिक इस प्रक्रिया को झंझट मानकर टाल देते हैं, लेकिन याद रखें कि एक बार पुलिस वेरिफिकेशन करवाने के बाद आपको भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी सुरक्षा मिल जाएगी।

इसके अलावा, Tenant के साथ एक लिखित रेंट एग्रीमेंट करना भी बहुत जरूरी है। कई बार लोग बिना किसी लिखित समझौते के Tenant को घर दे देते हैं, जिससे बाद में विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। रेंट एग्रीमेंट में किराये की राशि, भुगतान की तिथि, बिजली-पानी के बिल की जिम्मेदारी, मकान के रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी, किराये की अवधि और किराये में वृद्धि की शर्तों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।

इसके अलावा, मकान के किसी भी नुकसान की स्थिति में जिम्मेदारी किसकी होगी, यह भी रेंट एग्रीमेंट में साफ-साफ लिखा होना चाहिए। रेंट एग्रीमेंट को स्टांप पेपर पर नोटरी से प्रमाणित कराना जरूरी है। एग्रीमेंट की एक कॉपी अपने पास रखें और एक कॉपी Tenant को दें।

इसके अलावा, सिक्योरिटी डिपॉजिट एक ऐसा उपाय है, जो मकान मालिक के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। किरायेदार को घर देने से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में एक से तीन महीने के किराये के बराबर राशि लेना जरूरी है। यह राशि मकान के नुकसान या किराये के भुगतान में देरी होने की स्थिति में आपके लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी। लेकिन सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि और उसकी वापसी की शर्तें रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति से बचा जा सके।

इसके अलावा, कई बार किरायेदार मकान खाली करने से इनकार कर देते हैं। इस स्थिति में आपको कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी। भारतीय कानून के अनुसार, यदि कोई किरायेदार 12 साल तक किसी संपत्ति पर कब्जा बनाए रखता है और इस दौरान उसने संपत्ति का टैक्स, बिजली-पानी के बिल का भुगतान किया है, तो वह उस संपत्ति पर कानूनी अधिकार का दावा कर सकता है। इसलिए मकान मालिक को अपनी संपत्ति की समय-समय पर जांच करते रहना चाहिए।

इसलिए, यदि आप प्रॉपर्टी में Investment कर रहे हैं और उसे किराये पर देने की योजना बना रहे हैं, तो सावधानी बरतना जरूरी है। सही किरायेदार का चुनाव, लिखित रेंट एग्रीमेंट, पुलिस वेरिफिकेशन और सिक्योरिटी डिपॉजिट जैसे उपाय आपको भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद और आर्थिक नुकसान से बचा सकते हैं। एक समझदार मकान मालिक वही होता है, जो किरायेदार को चुनते समय सावधानी बरतता है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करता है। याद रखें, सही जानकारी और सावधानी ही आपकी प्रॉपर्टी को सुरक्षित रख सकती है।

Conclusion

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