कल्पना कीजिए, एक ऐसा नेता जो मंच पर खड़ा होकर खुलेआम चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बताता है, चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसता है, उनके ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है। और फिर वही नेता एक दिन एक चीनी ऐप की तारीफों के पुल बांधने लगता है, यहां तक कहता है कि उसका दिल उस ऐप के लिए खास जगह रखता है।
यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हकीकत है। कभी TikTok को अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा बताने वाले ट्रंप आज उसी TikTok के लिए रास्ता निकालने में लगे हैं। सवाल यह है कि आखिर यह बदलाव क्यों आया? क्या इसके पीछे कोई रणनीति है या ट्रंप भी TikTok के जादू में फंस चुके हैं? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
ट्रंप और TikTok का रिश्ता बड़ा दिलचस्प रहा है। पहले वो इस चीनी ऐप को अमेरिका से पूरी तरह बैन करना चाहते थे। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान TikTok और वीचैट जैसे ऐप्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। उनके मुताबिक, चीन की सरकार इन ऐप्स के जरिए अमेरिकी डेटा चुरा रही थी और जनमत को प्रभावित कर रही थी। इसलिए उन्होंने एक नया कानून बनवाया, जिसके तहत किसी भी चीनी ऐप को अमेरिका में काम करने के लिए अपने स्वामित्व का नियंत्रण छोड़ना होगा। यही कारण था कि TikTok को मजबूर किया गया कि वह अपने चीनी मालिक बाइटडांस से अलग हो, और किसी अमेरिकी कंपनी को बेच दिया जाए।
लेकिन ट्रंप की सोच में बड़ा बदलाव तब आया जब उन्हें एहसास हुआ कि TikTok, सिर्फ एक ऐप नहीं बल्कि अमेरिका के युवाओं के दिल की धड़कन बन चुका है। उन्होंने यह भी महसूस किया कि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने TikTok के माध्यम से युवाओं से गहरा जुड़ाव बनाया था। उनके फॉलोअर्स की संख्या TikTok पर लाखों में पहुंच गई थी। जब एक नेता को पता चले कि कोई मंच उसे सीधे तौर पर जनता के एक बड़े हिस्से तक पहुंचने में मदद कर रहा है, तो उसे खोना शायद ही कोई रणनीतिक विकल्प हो। ट्रंप ने भी शायद यही सोचा।
बदलते हालातों के बीच ट्रंप ने अपने रुख में नरमी दिखाई। उन्होंने साफ संकेत दिए कि अगर बाइटडांस TikTok को किसी अमेरिकी कंपनी को बेच दे, तो वह चीन पर लगे कुछ टैरिफ में छूट दे सकते हैं। यह एक बड़ा ऑफर था, जो दर्शाता है कि ट्रंप TikTok को लेकर अब कितने गंभीर हो चुके हैं। लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वह TikTok पर अपनी स्थिति पहले ही साफ कर चुका है, और इस तरह के दबाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इससे पहले 19 जनवरी को, यानी ट्रंप के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले, वह कानून लागू हो गया था जो TikTok को अमेरिका में अस्थायी रूप से बंद कर देता है। ऐप स्टोर से TikTok को हटा दिया गया और लाखों अमेरिकी यूजर्स अचानक इस ऐप से कट गए। लेकिन ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद इस डेडलाइन को ढाई महीने के लिए बढ़ा दिया। इसके तुरंत बाद TikTok ने दोबारा अपनी सेवाएं अमेरिका में शुरू कर दीं और फरवरी में वह फिर से एप्पल और गूगल के ऐप स्टोर पर उपलब्ध हो गया।
अब पूरा मामला 5 अप्रैल की तारीख पर आकर अटक गया है। ट्रंप द्वारा दी गई छूट की अवधि 5 अप्रैल को समाप्त हो रही है। अगर इस समय तक की मालिक कंपनी बाइटडांस किसी अमेरिकी कंपनी को यह ऐप नहीं बेचती है, तो अमेरिका में TikTok पर पूरी तरह से बैन लग सकता है। हालांकि, बतौर राष्ट्रपति ट्रंप के पास यह अधिकार है कि वे इस छूट की अवधि को और आगे बढ़ा सकते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप क्या फैसला लेते हैं। क्या वे अपनी पुरानी नीतियों पर कायम रहते हैं या अब TikTok के बढ़ते प्रभाव को देखकर रणनीति बदल देते हैं?
ट्रंप के मन में TikTok के लिए बदला हुआ नजरिया तब और भी साफ हुआ जब उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “मेरे दिल में TikTok के लिए एक खास जगह है।” उन्होंने यह भी कहा कि TikTok का असर चुनावों में महसूस किया गया है। युवा मतदाता बड़ी संख्या में TikTok पर मौजूद हैं और यह प्लेटफॉर्म उन्हें सीधे जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। जाहिर है कि ट्रंप अब इस मंच को खोना नहीं चाहते। उनके अनुसार, TikTok पर उनकी लोकप्रियता और फॉलोअर्स की संख्या एक ऐसा कारक है, जो उन्हें दोबारा सत्ता में ला सकता है।
यह पूरा घटनाक्रम सिर्फ ट्रंप और TikTok की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें अमेरिका की राजनीति, वैश्विक रणनीति और डिजिटल पावर का गहरा कनेक्शन है। एक तरफ अमेरिका का कानून और सुरक्षा एजेंसियां TikTok को खतरा मानती हैं, वहीं दूसरी ओर एक शीर्ष नेता इसे अपने राजनीतिक अस्तित्व से जोड़कर देख रहा है। यह द्वंद्व अमेरिका के अंदर भी बहस का मुद्दा बना हुआ है। एक वर्ग का मानना है कि TikTok को लेकर ट्रंप का रुख केवल उनके राजनीतिक फायदे के कारण बदला है। वहीं दूसरा वर्ग कहता है कि ट्रंप व्यावहारिक नेता हैं और वो जानते हैं कि किस मोर्चे पर कब झुकना है।
एक सवाल यह भी है कि क्या ट्रंप वाकई TikTok को बचाना चाहते हैं या वे सिर्फ एक रणनीतिक खेल खेल रहे हैं, जिसमें चीन से व्यापारिक फायदे भी निकाले जा सकें और राजनीतिक जमीन भी मजबूत की जा सके? चीन पर टैरिफ कम करने का प्रस्ताव देना इस बात का इशारा करता है कि ट्रंप इस मुद्दे को सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के चश्मे से नहीं देख रहे, बल्कि यह भी देख रहे हैं कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। यानी अगर TikTok अमेरिकी कंपनी के हाथ में चला जाता है तो इससे ट्रंप को न केवल युवाओं का समर्थन मिलेगा, बल्कि उन्हें चीन के खिलाफ एक और ‘जीत’ भी मिलेगी।
ट्रंप और TikTok की इस प्रेम कहानी में सबसे रोचक बात यह है कि ट्रंप अब उसी ऐप के पक्ष में खड़े हैं, जिसे कभी उन्होंने ‘खतरनाक’ कहा था। यह बदलाव केवल निजी स्तर पर नहीं, बल्कि अमेरिका की नीतियों में भी दरार दिखा रहा है। TikTok को लेकर कोर्ट में केस, कानून में संशोधन और अब ट्रंप का बदला रुख—यह सब बताता है कि डिजिटल दुनिया अब केवल मनोरंजन का साधन नहीं रह गई है, बल्कि यह राजनीति और कूटनीति का अहम औजार बन चुकी है।
अब आगे का रास्ता ट्रंप के फैसले पर निर्भर करता है। अगर वो TikTok को और छूट देते हैं, तो यह उनके राजनीतिक समीकरणों को मजबूत करेगा, लेकिन इससे अमेरिका के कानून और सुरक्षा एजेंसियों की साख को भी झटका लग सकता है। वहीं अगर वो TikTok पर बैन लगाते हैं, तो लाखों युवा उनसे नाराज हो सकते हैं, जो अगले चुनाव में उन्हें भारी पड़ सकता है।
इस पूरी कहानी से एक बात तो साफ हो जाती है—राजनीति में न तो कोई स्थायी दुश्मन होता है और न ही कोई स्थायी प्रेम। ट्रंप जैसे नेता कभी चीन को आंखें दिखाते हैं और कभी उसी चीन के ऐप को बचाने के लिए कूटनीतिक खेल खेलते हैं। TikTok और ट्रंप की यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि आधुनिक राजनीति में सोशल मीडिया का प्रभाव कितना गहरा हो चुका है। अब नेता भाषणों से नहीं, बल्कि वीडियो रील्स और ट्रेंड्स से जनता का दिल जीतते हैं।
तो अगली बार जब आप TikTok पर ट्रंप का कोई वीडियो देखें, तो याद रखिएगा—यह सिर्फ एक वीडियो नहीं, एक रणनीति है, एक सोच है, और शायद सत्ता की ओर बढ़ता हुआ एक कदम भी।
Conclusion:-
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