Tariff पर ट्रंप की नाराजगी या भारत की नई रणनीति? पीएम मोदी की कूटनीति से बदलेगा समीकरण! 2025

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, एक मंच पर दो ताकतवर नेता—एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अपने आक्रामक व्यापारिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं, और दूसरी तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनकी कूटनीतिक सूझबूझ ने भारत को global पटल पर मजबूत बनाया है। अब एक ऐसा समय आया है, जब इन दोनों नेताओं के बीच एक अहम मुलाकात होने जा रही है।

ट्रंप की नीतियों ने दुनिया के कई देशों को मुश्किल में डाल दिया, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। क्या पीएम मोदी ट्रंप की नाराजगी को दूर करने में सफल होंगे, या फिर यह मुलाकात एक नए व्यापारिक संघर्ष की शुरुआत होगी? क्या भारत ने ट्रंप की Tariff नीतियों के खिलाफ चुपचाप एक रणनीति तैयार कर ली है? यह जानना न सिर्फ भारतीय व्यापार के लिए बल्कि global अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद अहम होगा। आइए, इस पूरी कहानी की तह तक जाते हैं।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव क्यों बढ़ रहा है, और Tariff को लेकर नाराजगी के पीछे क्या कारण हैं?

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। अमेरिका को यह शिकायत रही है कि भारत अमेरिकी Products पर अत्यधिक Tariff लगाता है, जिससे व्यापार संतुलन अमेरिका के पक्ष में नहीं रहता। डोनाल्ड ट्रंप पहले भी इस नाराजगी को खुलकर जाहिर कर चुके हैं और यहां तक कि भारत को “टैरिफ किंग” भी कह चुके हैं।

अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के कारण भारत की स्थिति और भी महत्वपूर्ण हो गई है। जहां अमेरिका, चीन पर सख्त व्यापारिक नीतियां अपना रहा है, वहीं भारत को लेकर ट्रंप की रणनीति थोड़ी उलझी हुई रही है। भारत और अमेरिका दोनों ही global व्यापार के बड़े खिलाड़ी हैं, और इन दोनों के बीच व्यापारिक रिश्तों में सुधार न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी global अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है।

भारत ने डोनाल्ड ट्रंप को शांत करने के लिए कौन से बड़े कूटनीतिक कदम उठाए, और इसका द्विपक्षीय संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत ने पहले ही, अमेरिकी नाराजगी को दूर करने के लिए कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए आम बजट में कुछ खास Products पर Average import duty को 13% से घटाकर 11% कर दिया गया है। यह दिखाता है कि भारत अब अमेरिका को यह संदेश देना चाहता है कि, वह अपने व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के लिए कदम उठा रहा है।

इसके अलावा, भारत लग्जरी कारों, सोलर सेल, रसायनों और 30 से अधिक वस्तुओं पर Import duty की समीक्षा करने की योजना बना रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका से आने वाले कुछ Products पर भारतीय टैक्स घट सकता है, जिससे अमेरिकी Exporters को फायदा होगा। अगर भारत ने इस दिशा में कदम बढ़ाया, तो यह निश्चित रूप से ट्रंप की नाराजगी को कम करने में कारगर हो सकता है।

AIDC शुल्क में संभावित कटौती, भारत का बड़ा मास्टरस्ट्रोक कैसे साबित हो सकता है?

भारत की सरकार केवल Tariff को ही कम करने की योजना नहीं बना रही, बल्कि एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) को कम करने पर भी विचार कर रही है। AIDC एक वैकल्पिक Import duty है, जिसे सरकार विभिन्न उद्योगों के विकास और बुनियादी ढांचे में Investment के लिए एकत्र करती है। सरकार जल्द ही विभिन्न भारतीय उद्योगों से परामर्श कर सकती है, ताकि इस शुल्क में कमी की संभावनाओं का आकलन किया जा सके। यह अमेरिका को एक संकेत देने का प्रयास भी हो सकता है कि भारत अपने Import Policy को लचीला बनाने के लिए तैयार है।

Experts का मानना है कि अगर भारत AIDC को कम करता है, तो यह अमेरिकी व्यापारिक कंपनियों के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत होगा। इससे अमेरिकी Exporters को फायदा मिलेगा और ट्रंप की ओर से लगाई जा रही, संभावित Tariff की तलवार भारत के सिर से हट सकती है।

Tariff में छूट देने की भारत की रणनीति कितनी असरदार होगी, और इससे व्यापारिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

सरकार Tariff कटौती के लिए संभावित वस्तुओं की सूची तैयार कर रही है। इस सूची में लग्जरी कारें, सोलर सेल, स्पोर्ट्स वेसल्स, नौकाएं, सेमीकंडक्टर बनाने वाले उपकरण और अन्य मशीनरी जैसी 32 वस्तुएं शामिल हैं। इन सभी Products पर सरकार ने पहले बेसिक कस्टम ड्यूटी में छूट दी थी, लेकिन AIDC के चलते इनके Import पर 6.5% से 70% तक का शुल्क लगाना पड़ा था।

अगर भारत इन Products पर Tariff कम करने का फैसला लेता है, तो यह अमेरिकी Exporters और Investors को एक सकारात्मक संकेत दे सकता है। इसका मतलब यह भी होगा कि अमेरिका से भारत में अधिक Import होगा, जिससे ट्रंप के व्यापारिक एजेंडे को संतुष्ट किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत को इस Tariff कटौती से कोई नुकसान होगा? क्या घरेलू उद्योगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा? Experts का मानना है कि भारत इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा, ताकि भारतीय उद्योगों को ज्यादा नुकसान न हो।

इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कई देशों के खिलाफ Tariff बढ़ाने की नीति अपनाई थी। चीन के साथ उनका ट्रेड वॉर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। भारत भी ट्रंप के निशाने पर था, क्योंकि अमेरिका का मानना था कि भारत अमेरिकी Products पर अधिक tax लगाता है, और इसके कारण अमेरिका को व्यापार घाटा उठाना पड़ता है। ट्रंप ने यहां तक कहा था कि अगर भारत अपने Tariff कम नहीं करता, तो अमेरिका भी भारत के खिलाफ उसी तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लागू कर सकता है। हालांकि, भारत की नई रणनीति को देखते हुए यह संभावना है कि ट्रंप के लिए यह कदम उठाना अब थोड़ा मुश्किल होगा।

क्या पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार आएगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा चुका है। मोदी सरकार ने ट्रंप प्रशासन को यह दिखाने का प्रयास किया है कि भारत अमेरिका को एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार मानता है। इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप को यह समझाने का प्रयास कर सकते हैं कि, भारत global व्यापार को लेकर एक संतुलित नीति अपना रहा है। वे यह भी दिखा सकते हैं कि भारत पहले ही अपने Tariff को कम कर रहा है, और अमेरिका के साथ व्यापार संतुलन को सुधारने के लिए काम कर रहा है।

अगर यह वार्ता सफल रहती है, तो भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं। लेकिन अगर ट्रंप ने भारत की रणनीति को स्वीकार नहीं किया, तो यह व्यापारिक तनाव और भी बढ़ सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी दोनों ही अपने-अपने देशों के सबसे प्रभावशाली नेता हैं। जहां एक तरफ ट्रंप की व्यापारिक नीतियां अक्सर आक्रामक रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मोदी ने हमेशा कूटनीतिक तरीके से समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की है।

अब सवाल यह है कि क्या मोदी की यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को सुधारने में सफल होगी? क्या ट्रंप इस बात को स्वीकार करेंगे कि भारत अपने Tariff को पहले से कम कर रहा है? या फिर भारत को अभी और बदलाव करने की जरूरत होगी? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या भारत की नई नीति अमेरिका की नाराजगी को दूर कर पाएगी? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!

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