Travel ban पर अमेरिका का बड़ा कदम, कई मुस्लिम देशों पर लगेगा प्रतिबंध! 2025

नमस्कार दोस्तों, सोचिए, अगर कल की सुबह आप यह खबर सुनें कि अमेरिका ने पाकिस्तान, सीरिया, अफगानिस्तान और कई अन्य मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूरी तरह से Travel ban लगा दिया है। आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या आप सोच सकते हैं कि इस फैसले के पीछे क्या वजह हो सकती है? क्या यह किसी खास रणनीति का हिस्सा है या फिर यह सुरक्षा से जुड़ा एक ठोस कदम है?

यह खबर न सिर्फ अमेरिका और इन मुस्लिम देशों के रिश्तों पर असर डालेगी, बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति पर इसका असर देखने को मिलेगा। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन एक बार फिर से सख्त रुख अपनाते हुए ऐसे कदम उठाने की तैयारी में है, जिससे global level पर हलचल मच सकती है। ट्रंप ने पहले कार्यकाल के दौरान भी सात मुस्लिम बहुल देशों पर Travel Ban लगाया था, जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

अब अगर नए Travel Ban लागू होते हैं, तो यह कई देशों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। सवाल यह है कि आखिर इस फैसले के पीछे असली मकसद क्या है? क्या यह सिर्फ national security का मामला है या इसके पीछे कोई और छिपा हुआ एजेंडा है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने जब राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तभी से उनके फैसले आक्रामक और सख्त माने जा रहे थे। अमेरिका में Illegal immigrants के खिलाफ उन्होंने कड़ा रुख अपनाया और सीमा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए कई कड़े फैसले लिए। लेकिन अब मामला इससे भी आगे बढ़ चुका है।

अब ट्रंप प्रशासन उन देशों पर Travel Ban लगाने की तैयारी में है, जिनके नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश के दौरान national security के लिए खतरा माना जा रहा है। इस संभावित प्रतिबंध की खबर सबसे पहले रॉयटर्स ने रिपोर्ट की थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस नए Travel Ban का असर वीज़ा प्रक्रिया पर सबसे ज्यादा पड़ सकता है। अगर यह प्रतिबंध लागू हुआ, तो कई देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन देशों से आने वाले नागरिक अमेरिका की national security के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इसी वजह से जनवरी में ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें अमेरिका में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों की जांच को और ज्यादा सख्त बनाने का निर्देश दिया गया था।

इस आदेश के तहत अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को 21 मार्च तक उन देशों की सूची तैयार करने को कहा गया था, जिनकी यात्रा पर रोक लगाना जरूरी समझा जा रहा है। इस लिस्ट को तैयार करने में national security और खुफिया एजेंसियों की भूमिका अहम रही है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि इन देशों की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है, जिसकी वजह से अमेरिका में आतंकवादी गतिविधियों का खतरा बढ़ सकता है।

अमेरिका की national security के लिए खतरा

इस सूची में 41 देशों को तीन अलग-अलग समूहों में बांटा गया है। पहले समूह में अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, क्यूबा और उत्तर कोरिया जैसे 10 देश शामिल हैं। इन देशों के नागरिकों को वीज़ा जारी करने पर पूरी तरह से Travel Ban लगाया जा सकता है। दूसरे समूह में पांच देश शामिल हैं, जिनमें इरिट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार और दक्षिण सूडान आते हैं।

इन देशों पर आंशिक Travel Ban लगाया जाएगा, जिसका असर पर्यटक और छात्र वीज़ा पर पड़ेगा। तीसरे समूह में बेलारूस, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे 26 देश शामिल हैं। अगर ये देश 60 दिनों के भीतर अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और खुफिया जानकारी साझा करने में विफल रहते हैं, तो इन पर भी आंशिक रूप से वीज़ा प्रतिबंध लागू किया जा सकता है।

ट्रंप प्रशासन के इस कदम को अमेरिका के राष्ट्रहित से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, कई Expert इस फैसले को ट्रंप की मुस्लिम विरोधी नीति का हिस्सा मान रहे हैं। यह Travel Ban बिल्कुल वैसा ही है, जैसा कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर लगाया था।

उस समय इस प्रतिबंध को लेकर अमेरिका में काफी विरोध हुआ था। ट्रंप की इस नीति को नस्लीय और धार्मिक भेदभाव के रूप में भी देखा गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस प्रतिबंध को बरकरार रखा था। अब अगर नए Travel Ban लागू होते हैं, तो इसका असर अमेरिका और मुस्लिम देशों के रिश्तों पर गहरा असर डाल सकता है।

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का असर पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों पर सबसे ज्यादा पड़ सकता है। पाकिस्तान पहले से ही अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर संघर्ष कर रहा है। अमेरिका ने पहले ही पाकिस्तान की आर्थिक सहायता में कटौती की थी। इसके पीछे कारण यह बताया गया था कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठा रहा है। अब अगर पाकिस्तान के नागरिकों पर वीज़ा Travel Ban लगाया जाता है, तो इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और वहां के लोगों के भविष्य पर पड़ सकता है।

सीरिया और अफगानिस्तान के मामले में स्थिति और भी जटिल है। इन दोनों देशों में लंबे समय से गृहयुद्ध और आतंकवादी गतिविधियां चल रही हैं। ऐसे में इन देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश पर Travel Ban लगाने का मतलब होगा कि वे वहां शरण के लिए भी आवेदन नहीं कर पाएंगे। इस फैसले से इन देशों के शरणार्थियों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।

एक अमेरिकी अधिकारी ने यह भी कहा है कि यह सूची अंतिम नहीं है। इसमें बदलाव संभव है और इसे लेकर अभी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि, अगर यह Travel Ban लागू होता है, तो इसका असर न सिर्फ अमेरिका पर, बल्कि Global politics पर भी देखने को मिलेगा। अमेरिका हमेशा से ही global level पर एक महाशक्ति रहा है। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले से अन्य पश्चिमी देश भी प्रभावित हो सकते हैं। यूरोपीय संघ पहले ही शरणार्थियों को लेकर सख्त नीति अपना चुका है। अगर अमेरिका ने इस दिशा में कदम बढ़ाया, तो अन्य देश भी इसी राह पर चल सकते हैं।

हालांकि, ट्रंप के इस फैसले के पीछे असली मकसद क्या है, इसे लेकर अब भी सवाल बने हुए हैं। क्या यह फैसला अमेरिका की national security के लिए जरूरी है या फिर इसके पीछे ट्रंप की राजनीतिक रणनीति छिपी है? ट्रंप प्रशासन का मानना है कि अमेरिका में बीते वर्षों में हुए कई आतंकी हमलों के पीछे इन्हीं देशों से आए नागरिकों का हाथ रहा है। ऐसे में इन देशों के नागरिकों पर Travel Ban लगाना जरूरी हो गया है। लेकिन इस फैसले से उन हजारों निर्दोष लोगों पर भी असर पड़ेगा, जो अमेरिका में रोजगार, शिक्षा या बेहतर जीवन की तलाश में आना चाहते हैं।

अगर यह Travel Ban लागू होता है, तो इसका सबसे बड़ा असर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के युवाओं पर पड़ेगा। अमेरिका में पढ़ाई के लिए हर साल हजारों पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी छात्र आवेदन करते हैं। अगर वीज़ा Travel Ban लागू होता है, तो उनके लिए अमेरिका में पढ़ाई का सपना अधूरा रह जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका में रह रहे प्रवासी समुदायों पर भी इसका असर पड़ेगा।

इसके अलावा, ट्रंप के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। मुस्लिम देशों के संगठन ने पहले ही अमेरिका की इस नीति की आलोचना की है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठन भी इस फैसले पर सवाल उठा सकते हैं। ट्रंप ने कहा है कि उनकी नीति का उद्देश्य अमेरिका को सुरक्षित बनाना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस नीति से अमेरिका वाकई सुरक्षित बनेगा या फिर इससे नए तनाव और टकराव के हालात पैदा होंगे? अब देखना यह होगा कि ट्रंप का यह फैसला दुनिया को किस दिशा में ले जाता है।

Conclusion

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