100 ML से ज्यादा पानी प्लेन में ले जाना क्यों मना है? जानिए इसके पीछे की सुरक्षा वजह और चौंकाने वाली कहानी!

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि हवाई जहाज में सिर्फ 100 ML से ज्यादा लिक्विड ले जाने की इजाजत क्यों नहीं दी जाती? अगर आप सोच रहे हैं कि यह सिर्फ एक सामान्य सुरक्षा नियम है, तो आप पूरी सच्चाई से अंजान हैं। इसके पीछे एक ऐसी खतरनाक घटना है, जिसने पूरी दुनिया की हवाई सुरक्षा व्यवस्था को हिला कर रख दिया था।

यह घटना 2006 की है, जब एक आतंकवादी ने अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए एक ऐसा तरीका अपनाया था, जो पूरी तरह से चौंकाने वाला था। वो तरीका इतना खतरनाक था कि अगर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क न होतीं, तो एक बड़ा हवाई हादसा हो सकता था। इस घटना के बाद से ही दुनिया के सभी एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा नियमों को लेकर कठोर बदलाव किए गए।

तभी से प्लेन में 100 ML से ज्यादा लिक्विड ले जाने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई। लेकिन आखिर वह घटना क्या थी? और क्यों इस नियम को आज तक सख्ती से लागू किया जा रहा है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि यह घटना ब्रिटेन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर अगस्त 2006 में घटी थी। ब्रिटिश एयरवेज की एक फ्लाइट लंदन से अमेरिका के लिए उड़ान भरने वाली थी। सभी यात्रियों की सामान्य सुरक्षा जांच चल रही थी। तभी सुरक्षा अधिकारियों ने कुछ यात्रियों के बैग में रखी पानी की बोतलों पर शक किया।

बोतलें देखने में साधारण लग रही थीं, लेकिन जब सुरक्षा अधिकारियों ने इनकी जांच की, तो उन्हें कुछ असामान्य महसूस हुआ। इन बोतलों में सिर्फ पानी नहीं था। जांच में पता चला कि इनमें एक विशेष प्रकार का विस्फोटक पदार्थ भरा हुआ था, जिसे देखने में बिल्कुल सामान्य पानी जैसा बनाया गया था। यह एक बड़ी आतंकी साजिश थी, जिसे अगर समय पर नहीं पकड़ा जाता, तो एक भयावह हादसा हो सकता था।

आतंकवादियों ने एक बेहद खतरनाक रणनीति अपनाई थी। उन्होंने पानी की बोतल में तरल विस्फोटक छिपाया था। योजना यह थी कि फ्लाइट के उड़ान भरने के बाद वे इस विस्फोटक को सक्रिय करेंगे, जिससे प्लेन के हवा में ही टुकड़े-टुकड़े होने की आशंका थी। लेकिन किस्मत से, सुरक्षा अधिकारियों ने सूझबूझ और सतर्कता से इस साजिश को नाकाम कर दिया। आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया और इस घटना ने दुनिया भर के सुरक्षा अधिकारियों को झकझोर कर रख दिया।

इस घटना के बाद इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) ने इसे बेहद गंभीरता से लिया। उन्होंने हवाई सुरक्षा से जुड़े नियमों की समीक्षा की और एक नया नियम लागू किया। अब कोई भी यात्री 100 ML से अधिक लिक्विड प्लेन में नहीं ले जा सकता। यह नियम इसलिए बनाया गया क्योंकि आतंकवादी तरल पदार्थों का इस्तेमाल विस्फोटक बनाने के लिए कर सकते थे।

इसके अलावा, इस नियम को लागू करने के पीछे एक ठोस वैज्ञानिक वजह भी है। अधिकतर विस्फोटक तरल पदार्थ एक विशेष रसायनिक प्रक्रिया के तहत तैयार किए जाते हैं। इन्हें अगर एक विशेष अनुपात में मिलाया जाए, तो ये बड़ी मात्रा में धमाका कर सकते हैं। लेकिन अगर इनकी मात्रा 100 ML से कम हो, तो इनका असर सीमित हो जाता है। इसलिए 100 ML की सीमा तय की गई। यह मात्रा इतनी कम होती है कि इससे बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।

इस नियम को लागू करने के लिए दुनिया के सभी एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया गया। अब एयरपोर्ट पर चेक-इन के दौरान यात्रियों के पास मौजूद हर प्रकार के तरल पदार्थ की जांच की जाती है। अगर कोई यात्री 100 ML से अधिक की पानी की बोतल या किसी अन्य प्रकार का लिक्विड लेकर आता है, तो उसे सिक्योरिटी होल्ड एरिया में ही रोक दिया जाता है। यहां तक कि अगर बोतल सील पैक भी हो, तो उसे अनुमति नहीं दी जाती।

कई लोगों को यह नियम गैर-जरूरी और असुविधाजनक लगता है। यात्रियों को लगता है कि अगर पानी की बोतल सील पैक है, तो उसमें खतरे की क्या बात हो सकती है? लेकिन समस्या यह है कि आतंकवादी इतने कुशल हो चुके हैं कि वे विस्फोटकों को साधारण पानी के रूप में तैयार कर सकते हैं। सील पैक बोतल में अगर किसी विशेष रसायन को छिपाया गया हो, तो उसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। इसलिए यह नियम कड़े तौर पर लागू किया जाता है।

इस घटना के बाद दुनियाभर के सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया गया। हवाई अड्डों पर तरल पदार्थों की जांच के लिए विशेष मशीनें लगाई गईं। इन मशीनों से किसी भी तरल पदार्थ की संरचना का पता लगाया जा सकता है। अगर कोई पदार्थ विस्फोटक जैसा महसूस होता है, तो उसे तुरंत जब्त कर लिया जाता है। यही वजह है कि आज भी हवाई अड्डों पर आपको 100 ML से अधिक लिक्विड ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती।

इस घटना का असर लंबे समय तक रहा। हीथ्रो एयरपोर्ट की इस आतंकी घटना के बाद सुरक्षा मानकों को लेकर पूरी दुनिया के एयरपोर्ट्स ने सख्ती दिखाई। अमेरिका, यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व के एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की चेकिंग को और अधिक सख्त कर दिया गया। इसके बावजूद आतंकवादियों ने कई बार नए-नए तरीकों से सुरक्षा को भेदने की कोशिश की।

इस घटना के बाद से कई अन्य हवाई हमलों की साजिश भी नाकाम की गई। 2009 में अमेरिकी एयरलाइंस की एक फ्लाइट में एक आतंकवादी ने अपने अंडरवियर में विस्फोटक छिपाकर हमला करने की कोशिश की थी। उस घटना के बाद से “फुल बॉडी स्कैनर” को एयरपोर्ट पर लगाया गया। लेकिन 2006 की हीथ्रो एयरपोर्ट की घटना ने हवाई सुरक्षा मानकों को पूरी तरह से बदल दिया।

आज भी एयरपोर्ट पर जब सुरक्षा अधिकारी आपको पानी की बोतल या अन्य तरल पदार्थ ले जाने से रोकते हैं, तो उसके पीछे यह गंभीर घटना है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि आतंकवादी किस हद तक जा सकते हैं और हमें अपनी सुरक्षा के लिए कितनी सावधानी बरतनी जरूरी है।

इस नियम के बावजूद, कुछ खास परिस्थितियों में छूट दी जाती है। उदाहरण के लिए, बच्चों के लिए दूध या किसी मरीज के लिए आवश्यक दवाओं को 100 ML से अधिक की मात्रा में ले जाने की अनुमति मिल सकती है, लेकिन इसके लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। इसके अलावा, एयरपोर्ट के अंदर मिलने वाले सामानों पर यह नियम लागू नहीं होता, क्योंकि वहां बेचे जाने वाले उत्पाद पहले से सुरक्षा जांच से गुजर चुके होते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या भविष्य में इस नियम में कोई बदलाव किया जा सकता है? security experts का मानना है कि फिलहाल इस नियम में कोई ढील देना संभव नहीं है। खतरा आज भी बरकरार है। आतंकवादी नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। इसलिए हवाई यात्रा की सुरक्षा के लिए यह नियम एक मजबूत रक्षा कवच है।

आने वाले समय में तकनीक के जरिए इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। नई स्कैनिंग तकनीकें विकसित की जा रही हैं, जो तरल पदार्थ की संरचना का विश्लेषण करके यह पता लगा सकती हैं कि वह खतरनाक है या नहीं। लेकिन जब तक यह तकनीक पूरी तरह से सफल नहीं हो जाती, तब तक हवाई यात्रा में 100 ML से अधिक लिक्विड ले जाने की अनुमति मिलने की संभावना बेहद कम है।

इसलिए अगली बार जब आप एयरपोर्ट पर अपनी पानी की बोतल को सिक्योरिटी गेट पर छोड़ने के लिए मजबूर हों, तो याद रखिए कि इसके पीछे एक ऐसी खतरनाक घटना की कहानी है, जिसने पूरी दुनिया की सुरक्षा को हमेशा के लिए बदल दिया।

Conclusion

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