Women आर्थिक रूप से हो रही हैं मजबूत, जानिए लोन लेकर कहां कर रही हैं स्मार्ट इन्वेस्टमेंट! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि बैंकिंग और फाइनेंस की दुनिया में Women कितनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं? पहले जहां महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, वहीं अब वे बैंकों से जमकर लोन ले रही हैं और इसे अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल कर रही हैं। नीति आयोग की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि भारतीय Women अब सिर्फ बचत करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे बड़ी संख्या में लोन भी ले रही हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पांच वर्षों में 22 फीसदी की सालाना दर से बढ़ी है। इसका मतलब यह है कि हर साल करोड़ों Women फाइनेंशियल फैसले लेने में अधिक स्वतंत्र हो रही हैं। पहले जहां Women लोन लेने से हिचकिचाती थीं, वहीं अब वे इसे अपने उपभोग, घर खरीदने और गोल्ड लोन के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं ने बिजनेस के लिए अपेक्षाकृत कम लोन लिया है। रिपोर्ट बताती है कि महज तीन फीसदी महिलाओं ने बिजनेस के लिए लोन लिया, जबकि 42 फीसदी महिलाओं ने पर्सनल लोन, कंज्यूमर लोन और होम लोन लिया। यह इस बात का संकेत है कि महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता की सोच बढ़ रही है, लेकिन वे अभी भी अपनी फाइनेंशियल पावर को पूरी तरह से उद्यमिता में परिवर्तित नहीं कर रही हैं।

रिपोर्ट से यह भी पता चला कि गोल्ड लोन भारतीय महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा आकर्षक विकल्प बना हुआ है। 38 फीसदी महिलाओं ने सोना गिरवी रखकर लोन लिया। यह स्पष्ट करता है कि सोना सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि एक मजबूत Financial security का साधन भी है, जिसका उपयोग Women अपनी जरूरतों के अनुसार कर रही हैं।

लोन लेने की प्रवृत्ति में सबसे बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि महिलाओं के लोन अकाउंट्स में पिछले पांच वर्षों में 4.6 गुना वृद्धि हुई है। 2019 में जहां बहुत कम Women बिजनेस के इरादे से लोन ले रही थीं, वहीं 2024 में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। हालांकि, यह अभी भी कुल लोन का सिर्फ तीन प्रतिशत है, जो बताता है कि महिलाओं के बीच उद्यमिता को लेकर अभी भी जागरूकता और अवसरों की जरूरत है।

रिपोर्ट में एक और दिलचस्प पहलू सामने आया कि महिलाओं ने अपने क्रेडिट स्कोर को लेकर भी ज्यादा जागरूकता दिखाई है। 2024 के अंत तक करीब 2.7 करोड़ Women अपने लोन और क्रेडिट स्कोर पर नजर रख रही थीं। यह इस बात का संकेत है कि अब Women सिर्फ लोन लेने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अपने फाइनेंशियल हेल्थ को भी सुधारने पर ध्यान दे रही हैं।

इसके अलावा, अगर हम लोन लेने वाली महिलाओं के Geographical distribution पर नजर डालें, तो रिपोर्ट बताती है कि 60 प्रतिशत Women कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। यह डेटा बहुत अहम है, क्योंकि यह दिखाता है कि फाइनेंशियल फैसलों में महिलाओं की भागीदारी अब सिर्फ शहरी इलाकों तक सीमित नहीं रही। Women अब छोटे शहरों और गांवों में भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं और अपने Financial फैसले खुद ले रही हैं।

उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में यह ट्रेंड और भी ज्यादा मजबूत देखने को मिला, जहां महिलाओं ने पुरुषों से भी ज्यादा लोन लिया। यह इस बात का संकेत है कि बैंक और फाइनेंस कंपनियों के पास महिलाओं को लोन देने, और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने इस रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि बैंक और Financial institutions, महिलाओं को और अधिक कर्ज देने के लिए विशेष योजनाएं तैयार करें।

Women लोन लेकर अपनी फाइनेंशियल पावर को मजबूत करना चाहती हैं, लेकिन इसमें अभी भी कुछ बाधाएं हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि महिलाओं के लिए लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया अभी भी कई मामलों में कठिन बनी हुई है। कई बार उन्हें High interest rates का सामना करना पड़ता है, या फिर उन्हें कोलैटरल के रूप में सोना या संपत्ति गिरवी रखने की जरूरत पड़ती है।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) कंपनियों के आगमन से यह प्रक्रिया आसान हुई है। कई डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स अब महिलाओं के लिए बिना कोलैटरल के लोन ऑफर कर रहे हैं, जिससे वे बिना किसी अतिरिक्त संपत्ति को गिरवी रखे पैसे उधार ले सकती हैं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है, जिसने महिलाओं को Financial independence की ओर बढ़ाने में मदद की है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिलाओं द्वारा लिए गए लोन में शिक्षा और स्वास्थ्य खर्चों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल है। कई महिलाओं ने लोन का उपयोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए किया, जबकि कुछ ने इसे मेडिकल इमरजेंसी के दौरान इस्तेमाल किया। यह दिखाता है कि Women Financial रूप से और अधिक जिम्मेदार हो रही हैं, और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

इसके अलावा, महिलाओं के लिए बढ़ती लोन प्रवृत्ति का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे घरेलू निर्णयों में उनकी भागीदारी भी बढ़ रही है। पहले जहां पुरुष ही मुख्य रूप से Financial महिलाएं भी कर्ज लेने, Investment करने और बजट तैयार करने जैसे फैसले ले रही हैं।

बैंकों और Financial institutions को अब यह समझना होगा कि Women सिर्फ कंज्यूमर नहीं हैं, बल्कि वे फाइनेंशियल सेक्टर की एक मजबूत भागीदार भी बन रही हैं। यह बदलाव न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि यह देश की कुल आर्थिक वृद्धि में भी योगदान दे रहा है।

अगर महिलाओं को लोन लेने और Financial फैसले लेने में और अधिक सुविधा दी जाए, तो यह भारत की आर्थिक स्थिति को और मजबूत कर सकता है। छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं और कम ब्याज दरों वाले लोन की पेशकश की जा सकती है।

अब जब Women क्रेडिट स्कोर को लेकर अधिक जागरूक हो रही हैं और बैंकों के प्रति उनकी भागीदारी बढ़ रही है, तो यह निश्चित रूप से Financial क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। आने वाले वर्षों में, अगर यह प्रवृत्ति इसी तरह बढ़ती रही, तो भारत में महिलाओं की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी और वे पुरुषों के समान स्तर पर आर्थिक निर्णय लेने में सक्षम हो सकेंगी।

महिलाओं की यह बढ़ती Financial भागीदारी न केवल उनके खुद के लिए, बल्कि पूरे समाज और देश की आर्थिक समृद्धि के लिए एक बड़ा कदम है। अगर इस प्रवृत्ति को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए, तो यह आने वाले समय में भारत को एक मजबूत और आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। अब देखना यह होगा कि सरकार और Financial institution इस मौके को कैसे भुनाते हैं, और महिलाओं को Financial Empowerment की और ऊंचाइयों तक कैसे पहुंचाते हैं।

Conclusion:-

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