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Exclusive Residency: Gold Card Visa अमीरों के लिए सुनहरा मौका क्या बनेगा ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का नया ट्रेंड? 2025

Gold Card Visa

नमस्कार दोस्तों, अमेरिका की राजनीति में जब भी कोई बड़ा कदम उठाया जाता है, तो उसकी चर्चा सिर्फ वॉशिंगटन तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि दुनिया भर में इसकी गूंज सुनाई देती है। खासतौर पर जब कदम उठाने वाला व्यक्ति डोनाल्ड ट्रंप हों, तो मामला और भी दिलचस्प हो जाता है। ट्रंप, जो अपनी आक्रामक नीतियों और बड़े-बड़े दावों के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में एक ऐसी योजना का ऐलान किया है, जिसे सुनकर दुनियाभर के Investors और उद्योगपतियों के कान खड़े हो गए।

यह योजना अमीर लोगों को अमेरिका की ओर आकर्षित करने के लिए बनाई गई है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों के लिए इसे लाया गया है, वही इसे अपनाने से इनकार कर रहे हैं। सवाल यह है कि आखिर ट्रंप की इस नई ‘Gold Card Visa’ योजना में ऐसा क्या है, जो अरबपति इससे दूरी बना रहे हैं?

क्या यह योजना पहले से मौजूद विकल्पों की तुलना में कमजोर है? या फिर इसके पीछे कुछ और ही खेल चल रहा है? क्या ट्रंप का यह बड़ा दांव असफल साबित होगा? या फिर इसमें कोई छिपी रणनीति है जो आगे चलकर सबको चौंका सकती है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप की नई योजना ‘Gold Card Visa’ के तहत कोई भी व्यक्ति 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 41 करोड़ रुपये का भुगतान करके अमेरिका में स्थायी निवास और काम करने की अनुमति प्राप्त कर सकता है। ट्रंप का दावा है कि यह योजना दुनियाभर के अरबपतियों को आकर्षित करेगी और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को एक नई मजबूती देगी। उनका मानना है कि यदि एक मिलियन लोग भी इस वीजा को खरीद लेते हैं, तो अमेरिका को लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी मिलेगी, जिससे देश के आर्थिक संकट को हल करने में मदद मिलेगी।

लेकिन क्या वास्तव में यह योजना इतनी कारगर होगी, जितना ट्रंप सोच रहे हैं? अगर इस योजना से अमेरिका की अर्थव्यवस्था को इतनी बड़ी रकम मिल सकती है, तो फिर अरबपति इससे मुंह क्यों मोड़ रहे हैं? क्या वे अमेरिका के टैक्स सिस्टम से घबराए हुए हैं या फिर उन्हें लगता है कि यह एक फालतू Investment है? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हमें अरबपतियों की प्रतिक्रिया को समझना होगा।

दिग्गज मैगजीन फोर्ब्स ने इस योजना की पड़ताल की और 18 अरबपतियों से बात की। परिणाम चौंकाने वाले थे— इनमें से 13 लोगों ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें इस Gold Card Visa में कोई दिलचस्पी नहीं है। बाकी 5 में से 3 अभी इस पर विचार कर रहे हैं और केवल 2 ने ही इसे खरीदने की संभावना जताई है। यानी जो लोग इस योजना के मुख्य लक्ष्य थे, वही इसे अपनाने से इनकार कर रहे हैं। यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि ट्रंप ने सोचा था कि अमीर लोग इस मौके पर झपट पड़ेंगे, लेकिन असल में ऐसा नहीं हुआ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये अरबपति इस योजना में रुचि क्यों नहीं दिखा रहे? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण अमेरिका का टैक्स सिस्टम है। अमेरिका में कोई भी व्यक्ति यदि नागरिक बन जाता है या स्थायी निवास प्राप्त कर लेता है, तो उसे अपनी पूरी ग्लोबल इनकम पर टैक्स देना पड़ता है, चाहे वह कहीं भी कमाई करे।

अरबपतियों के लिए यह एक बड़ा सिरदर्द है क्योंकि उनकी income कई देशों में फैली होती है, और वे नहीं चाहते कि अमेरिका की tax नीति उनकी कमाई पर भारी पड़े। हालांकि, ट्रंप ने यह वादा किया है कि गोल्ड कार्ड धारकों को अमेरिका के बाहर की कमाई पर टैक्स में छूट दी जाएगी, लेकिन अरबपतियों को इस वादे पर भरोसा नहीं है। वे जानते हैं कि अमेरिकी संसद में इस तरह के बदलाव आसानी से पारित नहीं होते, और यह योजना बाद में उनके लिए आर्थिक रूप से नुकसानदायक साबित हो सकती है।

इसके अलावा, अरबपतियों के पास पहले से ही अमेरिका में आने के कई विकल्प उपलब्ध हैं। जो लोग अमेरिका में व्यवसाय करना चाहते हैं, वे मौजूदा EB-5 वीजा प्रोग्राम के तहत Investment करके पहले से ही स्थायी निवास प्राप्त कर सकते हैं। EB-5 वीजा के तहत Investor अमेरिकी बिजनेस में Investment करके ग्रीन कार्ड हासिल कर सकते हैं, जो Gold Card Visa की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद और प्रभावी तरीका है।

अरबपतियों के पास यह भी विकल्प है कि वे किसी अमेरिकी नागरिक से शादी कर लें, जिससे उन्हें ग्रीन कार्ड मिल सकता है। इसके अलावा, कुछ अरबपति अमेरिका में सीधे ही बड़ी कंपनियों में Investment करके स्थायी निवास के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब पहले से इतने विकल्प मौजूद हैं, तो आखिर कोई अरबपति 41 करोड़ रुपये देकर सिर्फ एक वीजा क्यों खरीदेगा?

एक रूसी अरबपति ने इस योजना को पूरी तरह से बेकार बताया। उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति बिजनेस करना चाहता है, वो मौजूदा समय में सस्ते और आसान तरीकों से अमेरिका में ऐसा कर सकता है, तो फिर 41 करोड़ रुपये खर्च करने की क्या जरूरत है?” इसी तरह, भारत के मशहूर बिजनेसमैन अभय सोई ने इस प्रस्ताव को नकारते हुए कहा, “मैं भारत छोड़कर कहीं और की नागरिकता लेने की सोच भी नहीं सकता। मेरा देश ही मेरी पहचान है।”

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कनाडा और यूरोप के भी कई अरबपतियों ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं। एक कनाडाई अरबपति ने कहा, “अरबपतियों को इस तरह की योजना की जरूरत ही नहीं है। हमारे पास पहले से ही बेहतर विकल्प मौजूद हैं।” कई अरबपति इस योजना को लेकर इसलिए भी संशय में हैं क्योंकि अमेरिका में स्थायी निवास लेने से उन्हें, अतिरिक्त कानूनी और वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।

इसके अलावा, इस योजना की सबसे बड़ी आलोचना यह भी हो रही है कि यह अरबपतियों को आकर्षित करने के लिए है, लेकिन अमेरिका की अर्थव्यवस्था को वास्तव में इससे कितना फायदा होगा, इस पर संदेह है। ट्रंप का दावा है कि अगर 10 लाख लोग इस योजना के तहत वीजा लेते हैं, तो अमेरिका को 5 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी मिल सकती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में इतनी बड़ी संख्या में लोग इस योजना का हिस्सा बनेंगे?

इसके अलावा, कई experts का मानना है कि इस योजना को लागू करना कानूनी रूप से भी मुश्किल होगा। अमेरिकी कांग्रेस को इसमें कई बदलाव करने पड़ेंगे और यह प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है। ट्रंप खुद भी जानते हैं कि उनकी इस योजना को व्यापक समर्थन मिलना आसान नहीं होगा, लेकिन फिर भी वे इसे एक गेम-चेंजर के रूप में पेश कर रहे हैं।

फिलहाल, इस योजना की पूरी जानकारी अगले कुछ हफ्तों में सामने आएगी। लेकिन शुरुआती संकेतों को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह योजना उतनी सफल नहीं होगी, जितनी ट्रंप ने उम्मीद की थी। अरबपतियों के बीच इसकी acceptability कम होने का मतलब है कि अमेरिका को इससे वह आर्थिक फायदा नहीं मिलेगा, जिसकी कल्पना की जा रही थी।

हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप एक ऐसे नेता हैं, जो अपने साहसिक फैसलों और नई रणनीतियों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन क्या उनकी यह योजना इतिहास में एक और असफल प्रयोग के रूप में दर्ज होगी? क्या अमेरिकी जनता इस योजना का समर्थन करेगी? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल—क्या दुनिया के अरबपति ट्रंप के इस Gold Card Visa को अपनाने के लिए राजी होंगे? इन सवालों के जवाब समय के साथ ही सामने आएंगे। लेकिन अभी के लिए, ट्रंप की यह महत्वाकांक्षी योजना संदेहों और आलोचनाओं के घेरे में घिरी हुई है।

Conclusion:-

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