नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर बाजार में किसी प्रोडक्ट की कीमत अचानक बहुत कम हो जाए, तो उसका असर क्या होगा? क्या होगा अगर भारत में बनने वाले Products के मुकाबले चीन से आने वाले प्रोडक्ट इतने सस्ते हो जाएं कि, भारतीय कंपनियों के लिए अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाए?
अगर भारतीय बाजार में चीनी Products की भरमार हो जाए और स्थानीय कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़े, तो इसका नतीजा क्या होगा? इसका असर सिर्फ कंपनियों पर नहीं, बल्कि लाखों लोगों की नौकरियों पर भी होगा। यही वजह है कि भारत सरकार ने हाल ही में चीन से Import किए जा रहे, चार प्रमुख प्रोडक्ट्स पर Anti-Dumping Duty लगाने का फैसला किया है। सरकार का यह फैसला भारतीय कंपनियों को सस्ते Import से बचाने और देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित करने के लिए उठाया गया है।
भारत सरकार ने इन Products पर Anti dumping duty लगाने का फैसला वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई DGTR, (Directorate General of Trade Remedies) की सिफारिश के बाद लिया है। सरकार का यह फैसला न केवल भारतीय कंपनियों को बचाने के लिए जरूरी था, बल्कि इससे घरेलू बाजार की Competition भी बरकरार रहेगी।
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चीन से कम कीमत पर Import किए जा रहे जिन चार प्रोडक्ट्स पर Anti dumping duty लगाई गई है, उनमें एल्युमीनियम फॉइल, वैक्यूम फ्लास्क, सॉफ्ट फेराइट कोर्स और ट्राइक्लोरो आइसोसिनोरिक एसिड शामिल हैं। ये सभी प्रोडक्ट्स चीन से भारत में सामान्य से बहुत कम कीमत पर भेजे जा रहे थे।
इससे भारतीय कंपनियों के लिए इन प्रोडक्ट्स के साथ Competition करना मुश्किल हो रहा था। चीन से आने वाले Products की कीमतें इतनी कम थीं कि भारतीय कंपनियों को अपनी Production cost भी नहीं मिल पा रही थी। इसका सीधा असर भारतीय कंपनियों की मुनाफाखोरी और उनके भविष्य पर पड़ रहा था। यही वजह है कि सरकार ने समय रहते इस पर रोक लगाने का फैसला किया।
पहला, एल्युमीनियम फॉइल भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। खाने-पीने के सामान को पैक करने, फूड इंडस्ट्री, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव सेक्टर में एल्युमीनियम फॉइल की भारी मांग है। चीन से Import किए जा रहे एल्युमीनियम फॉइल की कीमत भारतीय बाजार में उपलब्ध एल्युमीनियम फॉइल से लगभग 40% कम थी।
भारतीय कंपनियों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था। चीन से कम कीमत पर Import होने वाले एल्युमीनियम फॉइल के कारण, भारतीय कंपनियों को अपने Production को कम करना पड़ा और इससे हजारों लोगों की नौकरियां खतरे में आ गईं। इसे देखते हुए भारत सरकार ने चीन से Import हो रहे एल्युमीनियम फॉइल पर 873 डॉलर प्रति टन तक का Anti dumping duty लगाया है।
यह शुल्क अस्थायी रूप से 6 महीने के लिए लागू किया गया है। सरकार इस अवधि के दौरान बाजार की स्थिति पर नजर रखेगी और इसके बाद आगे की कार्रवाई करेगी।
दूसरा, वैक्यूम फ्लास्क एक ऐसा Product है, जिसका उपयोग गर्म या ठंडे पेय पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। चीन से Import किए जा रहे वैक्यूम फ्लास्क की कीमत भारतीय कंपनियों के Products से लगभग 50% कम थी। इससे भारतीय कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा था। भारतीय बाजार में वैक्यूम फ्लास्क का एक बड़ा हिस्सा चीन से आ रहा था।
इससे भारतीय निर्माताओं को अपने Production में कटौती करनी पड़ी और उनके बाजार में हिस्सेदारी भी कम हो गई। यही वजह है कि भारत सरकार ने चीन से आने वाले वैक्यूम फ्लास्क पर 300 डॉलर प्रति टन का Anti dumping duty लगाने का फैसला किया। इससे भारतीय कंपनियों को राहत मिलेगी और वे अपनी Competition बनाए रख सकेंगी।
तीसरा, सॉफ्ट फेराइट कोर्स का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण सामग्री है, जिसका उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेलीविजन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। चीन से कम कीमत पर Import हो रहे सॉफ्ट फेराइट कोर्स की वजह से, भारतीय कंपनियों के लिए इसे प्रतिस्पर्धी दरों पर बेचना मुश्किल हो रहा था।
भारत में इस प्रोडक्ट की Production cost चीन से आने वाले Products के मुकाबले बहुत अधिक थी। इससे भारतीय इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के मुनाफे पर बुरा असर पड़ रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने चीन से Import होने वाले सॉफ्ट फेराइट कोर्स पर भी 200 डॉलर प्रति टन का Anti dumping duty लगाया है।
चौथा, ट्राइक्लोरो आइसोसिनोरिक एसिड (TCCA) का उपयोग Water purification, disinfection और औद्योगिक सफाई कार्यों में किया जाता है। चीन से कम कीमत पर Import किए जा रहे TCCA के कारण भारतीय कंपनियों को अपने Production पर भारी घाटा उठाना पड़ रहा था। भारतीय कंपनियां इस प्रोडक्ट को चीन के मुकाबले दोगुनी कीमत पर बेच रही थीं।
इससे भारतीय कंपनियों के लिए बाजार में टिके रहना मुश्किल हो रहा था। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने चीन से Import हो रहे TCCA पर, 276 डॉलर प्रति टन से लेकर 986 डॉलर प्रति टन तक का Anti dumping duty लगाया है। इससे भारतीय कंपनियों को राहत मिलेगी और वे बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी।
अब सवाल यह है कि Anti dumping duty क्यों लगाया जाता है और इसका असर बाजार पर क्या होता है? जब कोई देश अपने Products को सामान्य से बहुत कम कीमत पर दूसरे देश के बाजार में Export करता है, तो इसे Dumping कहा जाता है। इससे घरेलू बाजार में Competition खत्म हो जाती है। घरेलू कंपनियां सस्ते Products के सामने टिक नहीं पातीं और उन्हें अपने Production को कम करना पड़ता है। इससे घरेलू बाजार पर असर पड़ता है और कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है। इससे रोजगार पर भी असर पड़ता है और देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाती है।
भारत ने इससे पहले भी चीन के कई Products पर Anti dumping duty लगाया है। भारत सरकार का मानना है कि चीन की रणनीति यही है कि वह अपने Products को सस्ते में Export करके भारत के बाजार पर कब्जा जमाए। अगर ऐसा हुआ तो भारत की घरेलू कंपनियों को टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि भारत सरकार ने चीन की इस रणनीति को नाकाम करने के लिए Anti dumping duty लगाया है।
सरकार का यह फैसला भारतीय कंपनियों को राहत देगा। इससे भारतीय कंपनियों को अपने Production को बनाए रखने का मौका मिलेगा। इससे भारतीय कंपनियां अपनी लागत वसूल सकेंगी और बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी। इससे भारतीय कंपनियों के मुनाफे में सुधार होगा और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। सरकार का यह कदम भारतीय बाजार को संतुलित बनाएगा और इससे घरेलू कंपनियों को फायदा होगा।
सरकार ने साफ कर दिया है कि वह घरेलू कंपनियों के हितों की रक्षा के लिए कोई भी सख्त कदम उठाने के लिए तैयार है। चीन की डंपिंग नीति से भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा। Anti dumping duty से न केवल भारतीय कंपनियों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे भारतीय बाजार में संतुलन भी बना रहेगा। इससे घरेलू कंपनियां अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
Conclusion
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