नमस्कार दोस्तों, क्या आप भी वर्षों से एक ही कुर्सी पर बैठे हैं, घंटों मेहनत करते हैं, हर मीटिंग में शामिल होते हैं, लेकिन प्रमोशन आज भी सपना ही बना हुआ है? क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग आपसे बाद में आए थे, वो आज आपसे ऊपर कैसे पहुँच गए? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप मेहनत तो कर रहे हैं, लेकिन सही दिशा में नहीं? अगर हाँ, तो यह कहानी आपके लिए है।
क्योंकि इसमें हम बात करेंगे ऐसे तीन मंत्रों की, जो आपको डिजिटल दुनिया में केवल आगे ही नहीं बढ़ाएंगे, बल्कि आपकी पहचान को एक नए मुकाम पर पहुँचा देंगे। ये मंत्र बताए हैं Shark Tank India के प्रसिद्ध जज और People Group के संस्थापक Anupam Mittal ने, जिनकी सोच ने हजारों युवाओं की ज़िंदगी बदल दी।
डिजिटल युग की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि यहाँ अनुभव का सिक्का तभी चलता है जब वो तेज़ी और बदलाव के साथ मेल खाता हो। Anupam Mittal कहते हैं कि यदि आप किसी ट्रेंड को समझने, उस पर रणनीति बनाने और फिर उसे लागू करने में महीनों लगा देते हैं, तो आप पहले ही गेम से बाहर हो चुके होते हैं।
डिजिटल मीडिया वो जगह है जहाँ हर दिन एक नया ट्रेंड जन्म लेता है और हर दूसरा दिन पुराने ट्रेंड को दफन कर देता है। ऐसे में पुरानी आदतों और पुराने अनुभवों को पकड़कर बैठना किसी धीमी मौत को गले लगाने जैसा है। जो तेज़ हैं, जो लचीले हैं, जो बदलाव को बिना डरे स्वीकार करते हैं—वही यहाँ चमकते हैं।
यहाँ मेहनत करने से ज़्यादा ज़रूरी है असरदार काम करना। सोचिए, अगर आपने हफ्ते में 90 घंटे काम किया लेकिन उस पर किसी का ध्यान ही नहीं गया, तो क्या फायदा? वहीं, कोई दूसरा इंसान एक छोटा सा लेकिन दिलचस्प और डेटा-ड्रिवन कंटेंट लेकर आता है, जिसे हज़ारों लोग शेयर करते हैं, तो कौन ज़्यादा मूल्यवान है?
Anupam Mittal इसी फर्क को समझाते हुए कहते हैं कि डिजिटल स्पेस में अब मेहनत की जगह प्रभाव ने ले ली है। आपकी वैल्यू आपकी प्रोडक्टिविटी से नहीं, आपके द्वारा पैदा किए गए रिजल्ट से आंकी जाती है।
यह दौर है उन लोगों का जो काम को नौकरी नहीं, ज़िम्मेदारी समझते हैं। मित्तल डिजिटल वर्कस्पेस की तुलना एक स्टार्टअप जैसी संस्कृति से करते हैं, जहाँ हर व्यक्ति को खुद को लीडर समझना होता है। सिर्फ आदेश मानने वाले नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाले और रिस्क लेने वाले लोग ही यहाँ सफल होते हैं।
आप चाहे कंटेंट राइटर हों, सोशल मीडिया मैनेजर हों या SEO एक्सपर्ट, अगर आप केवल अपने डिपार्टमेंट की सीमा में बंधे रहेंगे, तो आगे नहीं बढ़ पाएंगे। लेकिन अगर आपने अपने प्रोजेक्ट को खुद का बिज़नेस समझकर काम किया, तो आपका प्रभाव साफ नज़र आएगा।
मित्तल की इन बातों से एक सीधी सीख मिलती है—केवल समय देना तरक्की की गारंटी नहीं है। असली सवाल यह है कि आपने उस समय का उपयोग कैसे किया? क्या आपने उस दौरान कुछ नया सीखा? क्या आपने कोई नया प्रयोग किया? क्या आपकी वजह से कंपनी को कोई फायदा हुआ? अगर जवाब “नहीं” है, तो आपको रास्ता बदलना होगा।
आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले, अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो कृपया चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि हमारी हर नई वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो आइए अब जानते हैं कि मित्तल के बताए इन तीन सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रैक्टिकली क्या करना होगा।
सबसे पहले बात करते हैं स्पीड और अडेप्टेबिलिटी की। अगर आपको लगता है कि सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है, तो उसे समझने और उस पर काम करने में देर मत कीजिए। चाहे वो इंस्टाग्राम रील्स हों, लिंक्डइन की नई एल्गोरिदम हो या मेटा का कोई नया टूल—जल्दी समझिए, जल्दी अपनाइए।
अब बात करते हैं डेटा-ड्रिवन अप्रोच की। डिजिटल वर्ल्ड में बात भावनाओं से नहीं, आंकड़ों से बनती है। अगर आप एक वीडियो बना रहे हैं या कोई कैम्पेन चला रहे हैं, तो उसके पीछे का डेटा आपको बताना चाहिए कि आप सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं। गूगल एनालिटिक्स, सोशल मीडिया इनसाइट्स, हॉटजर, SEMrush जैसे टूल्स आपकी आंखें और कान हैं। मित्तल कहते हैं कि जब आप इन टूल्स की मदद से अपने रिजल्ट्स को ट्रैक करेंगे, तभी आप मैनेजमेंट को दिखा पाएंगे कि आपका काम असरदार है।
तीसरी और सबसे जरूरी बात है Entrepreneurial Mindset। इसका मतलब है कि आप अपने हर प्रोजेक्ट को ऐसे देखिए जैसे वो आपका खुद का स्टार्टअप हो। किसी और के कहने का इंतजार मत कीजिए। खुद आइडिया लाइए, उसे अमल में लाइए और फिर अगर कुछ गलत हो जाए, तो उसकी जिम्मेदारी भी खुद लीजिए। यही रवैया आपको बाकी लोगों से अलग बनाएगा।
Anupam Mittal की ये सलाहें इसलिए भी ज़रूरी हैं क्योंकि वो खुद उस दौर से गुज़रे हैं जहाँ डिजिटल को कोई सीरियसली नहीं लेता था। जब उन्होंने Shaadi.com शुरू किया, तो लोग कहते थे—”कौन इंटरनेट पर शादी करेगा?” लेकिन आज वही प्लेटफॉर्म भारत के सबसे बड़े मैट्रिमोनियल पोर्टल्स में गिना जाता है। उन्होंने जो किया, वो इसलिए सफल हुआ क्योंकि उन्होंने जल्दी सोचा, जल्दी अपनाया और हर प्रयोग की ज़िम्मेदारी खुद ली।
अब अगर आप सोच रहे हैं कि क्या ये सिद्धांत हर किसी पर लागू होते हैं, तो जवाब है—हाँ। चाहे आप एक कॉन्टेंट क्रिएटर हों, एक यूट्यूबर, एक डिज़ाइनर, या फिर डिजिटल मार्केटर—आपका ग्रोथ केवल आपके आउटपुट पर निर्भर करेगा। आपकी रैंकिंग, आपकी सैलरी, आपकी पहचान—सब कुछ इस बात पर आधारित होगा कि आपने क्या नया किया, कितनी जल्दी किया और कितना असरदार किया।
लेकिन यहाँ एक बात और समझना जरूरी है—तेजी और लचीलापन दिखाने का मतलब यह नहीं कि आप जल्दबाजी में गलत फैसले लें। मित्तल बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि हर निर्णय के पीछे डेटा, ट्रेंड्स और अनुभव का संतुलन होना चाहिए। उन्होंने ये भी बताया कि ट्रेंड को अपनाना और उसे अपनी ऑडियंस के लिए Relevant बनाना—दोनों अलग बातें हैं। अगर कोई ट्रेंड आपके ब्रांड से मेल नहीं खाता, तो उसे अपनाना समझदारी नहीं, दिखावा होगा।
डिजिटल मीडिया की सफलता अब केवल क्रिएटिविटी पर नहीं, बल्कि इनोवेशन और स्ट्रेटेजिक थिंकिंग पर भी टिकी है। मित्तल का मानना है कि अगर आप खुद को रोज़ उसी काम में उलझा पाते हैं जिसमें आप कम्फर्टेबल हैं, तो आप कभी ग्रो नहीं कर पाएंगे। आपको खुद को चैलेंज करना होगा, नए आइडिया देने होंगे, और अपने दायरे से बाहर निकलकर सोचने की आदत डालनी होगी।
और सबसे ज़रूरी बात—अपना काम खुद प्रमोट करना सीखिए। मित्तल कहते हैं, “अगर आपने कोई शानदार काम किया है, और किसी को पता ही नहीं चला, तो उसकी वैल्यू शून्य है।” डिजिटल वर्कस्पेस में सेल्फ-ब्रांडिंग एक ज़रूरी स्किल बन चुकी है। लिंक्डइन पर अपनी उपलब्धियों को साझा करें, अपने प्रोजेक्ट्स के नतीजों को ओपन प्लेटफॉर्म पर रखें, ताकि लोगों को पता चले कि आप क्या कर रहे हैं।
इसलिए, अगर आप 2025 में डिजिटल करियर में तेजी से ग्रो करना चाहते हैं, तो केवल पुरानी आदतों से चिपके मत रहिए। स्पीड लाइए, असर दिखाइए और मालिक की तरह सोचिए। सफलता वहीं है जहाँ बदलाव को अपनाया जाता है और जहां हर काम को मिशन की तरह लिया जाता है।
तो अब सवाल यह नहीं कि आप कितने सालों से इस फील्ड में हैं, बल्कि सवाल यह है कि आपने इस दौरान क्या नया किया? Anupam Mittal के तीन मंत्र आपको सिर्फ प्रोफेशनल तरक्की नहीं देंगे, बल्कि आपके अंदर वो आत्मविश्वास और नेतृत्व की क्षमता पैदा करेंगे जो किसी भी सफल व्यक्ति की पहचान होती है।
डिजिटल युग ने हमें एक ज़रिया दिया है, खुद को दुनिया के सामने साबित करने का। अब यह आप पर है कि आप उस ज़रिए का कैसे उपयोग करते हैं—महज समय बिताकर, या असली असर छोड़कर।
अगर आप इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तो प्रमोशन सिर्फ एक शब्द नहीं रहेगा, बल्कि आपकी अगली मंजिल बन जाएगा। और वो दिन दूर नहीं जब लोग कहेंगे—”इसने अपने दम पर खुद की पहचान बनाई है।”
Conclusion
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