नमस्कार दोस्तों, दिल्ली की एक साधारण सुबह थी। सड़कें हमेशा की तरह व्यस्त थीं, बच्चे स्कूल जा रहे थे, ऑफिस के लोग मेट्रो पकड़ रहे थे… लेकिन तभी, दिल्ली सचिवालय से एक ऐसा ऐलान आया जिसने पूरे शहर को चौंका दिया। मीडिया चैनलों की हेडलाइन्स बदल गईं, सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। लोगों के बीच एक ही सवाल था—क्या ये सच है? क्या अब दिल्ली के छात्रों को सरकार फ्री में लैपटॉप देगी? और अगर हां, तो ये सिर्फ चुनावी वादा है या वाकई में कुछ बड़ा होने वाला है?
जी हां, ये कोई अफवाह नहीं थी। दिल्ली की नवनियुक्त मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जब दिल्ली विधानसभा में अपना पहला Budget पेश किया, तो उन्होंने एक के बाद एक ऐसी घोषणाएं कीं, जो न सिर्फ ऐतिहासिक थीं, बल्कि दिल्ली के भविष्य की दिशा तय करने वाली भी साबित हो सकती हैं। 1 लाख करोड़ रुपये का यह Budget न सिर्फ अब तक का सबसे बड़ा था, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिला कल्याण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
ये जानकर और भी हैरानी होती है कि 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी की सरकार दिल्ली में सत्ता में लौटी है। और सत्ता में आते ही उन्होंने जो पहला काम किया, वह था दिल्ली के छात्रों, खासकर गरीब और वंचित तबके के लिए एक नई उम्मीद जगाना। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ शब्दों में कहा कि दिल्ली का भविष्य उसके बच्चे हैं, और अगर हम उन्हें सही संसाधन देंगे, तो वो देश और दुनिया में नाम रोशन करेंगे।
Budget में सबसे खास बात रही—शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों की तैयारी। सरकार ने 100 करोड़ रुपये का सीधा आवंटन सिर्फ शिक्षा के लिए किया है। ये अपने-आप में दर्शाता है कि नई सरकार शिक्षा को किस हद तक गंभीरता से ले रही है। मुख्यमंत्री गुप्ता ने अपने भाषण में ‘प्रधानमंत्री श्री योजना’ और ‘मुख्यमंत्री श्री योजना’ का जिक्र करते हुए बताया कि दिल्ली में अब नए आधुनिक स्कूल बनाए जाएंगे, जो तकनीक से लैस होंगे और बच्चों की सोच को वैश्विक स्तर पर तैयार करेंगे।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा जिस घोषणा की हुई, वह थी 10वीं कक्षा पास करने वाले 1,200 छात्रों को फ्री लैपटॉप देने की योजना। इस योजना के लिए सरकार ने सीधे 750 करोड़ रुपये का Budget तय किया है। सोचिए, फ्री लैपटॉप! वो भी उन छात्रों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन पढ़ाई में होशियार हैं। सरकार का मानना है कि डिजिटल शिक्षा ही भविष्य है, और अगर छात्रों को समय पर सही तकनीक नहीं दी गई, तो वो पीछे रह जाएंगे।
इस योजना का उद्देश्य साफ है—हर बच्चे को समान अवसर देना। रेखा गुप्ता की सरकार का मानना है कि सिर्फ अमीर बच्चों को ही बेहतर तकनीक मिले, ये व्यवस्था अब नहीं चलेगी। अब गरीब का बेटा भी लैपटॉप पर कोडिंग करेगा, डिज़ाइनिंग सीखेगा और खुद को इस डिजिटल युग के अनुरूप ढालेगा। यही तो है असली समानता, यही तो है असली लोकतंत्र।
फ्री लैपटॉप योजना के साथ-साथ सरकार ने यह भी ऐलान किया कि दिल्ली के 100 सरकारी स्कूलों में ‘भाषा प्रयोगशालाएं’ स्थापित की जाएंगी। इनका उद्देश्य बच्चों के भाषा कौशल को बढ़ाना होगा। खास बात ये है कि इन प्रयोगशालाओं का नाम देश के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जाएगा। सरकार ने इसके लिए 21 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “बच्चे देश का भविष्य हैं। अगर वो अपनी भाषा में मजबूत होंगे, तो दुनिया की किसी भी भाषा को आत्मसात कर सकते हैं।” यह बयान बताता है कि सरकार बच्चों की बुनियादी क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दे रही है।
Budget का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा था—स्वास्थ्य और खेल के लिए आवंटन। ‘साइंस ऑफ लिविंग’ नामक एक नई पहल की शुरुआत की गई है, जिसमें योग और खेल को शिक्षा के साथ जोड़ा जाएगा। इसके लिए 1.5 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है। सरकार का उद्देश्य साफ है—बच्चे सिर्फ पढ़ाई में नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत बनें। आज के समय में जब बच्चों पर प्रतियोगिता का दबाव बढ़ रहा है, तब ऐसे कार्यक्रम उन्हें संतुलन सिखाएंगे। योग, ध्यान और खेल सिर्फ शरीर को नहीं, दिमाग को भी मजबूत करते हैं। और यही नई दिल्ली की दिशा है—एक संपूर्ण और संतुलित विकास।
बुनियादी ढांचे की बात करें, तो सरकार ने दिल्ली की सड़कें, जल प्रबंधन और यमुना सफाई जैसी परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है। यमुना सफाई के लिए अलग से योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं, ताकि दिल्लीवासियों को साफ पानी और बेहतर पर्यावरण मिल सके। ये सब सिर्फ बातें नहीं हैं, Budget में इनके लिए फंड भी आवंटित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार इन मुद्दों को गंभीरता से ले रही है।
दिल्ली के लोग लंबे समय से प्रदूषण और जल संकट जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब जब सरकार ने इन बुनियादी मुद्दों को अपने पहले Budget में प्राथमिकता दी है, तो यह एक सकारात्मक संकेत है। ये दिखाता है कि अब केवल विकास की बातें नहीं होंगी, बल्कि जमीनी स्तर पर काम भी होगा।
सरकार की योजना यहीं नहीं रुकती। पर्यावरण सुधार को लेकर भी बड़ी घोषणाएं की गई हैं। सड़क की सफाई, पानी की गुणवत्ता बढ़ाने और यमुना नदी को फिर से जीवंत बनाने के लिए अनेक योजनाएं शुरू की जाएंगी। रेखा गुप्ता ने यह भी कहा कि दिल्ली में रहने वाला हर व्यक्ति स्वच्छ वातावरण में सांस ले सके, इसके लिए उनकी सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि यह Budget सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि एक सोच है—एक दिशा है, जो दिल्ली को एक नई राह पर ले जाने की कोशिश कर रही है। इसमें शिक्षा है, तकनीक है, स्वास्थ्य है, खेल है और सबसे जरूरी—एक विजन है। दिल्ली में पहली बार सत्ता में आई बीजेपी की सरकार ने जो Budget पेश किया है, वह न सिर्फ वर्तमान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाले कई वर्षों की नींव भी रखता है। Students, teachers, parents, doctors, sportsmen, environmentalists—हर किसी को इस Budget में कुछ न कुछ मिला है।
सोचिए, एक ऐसा बच्चा जो कभी कंप्यूटर की स्क्रीन भी ठीक से नहीं देख पाया था, अब उसके पास खुद का लैपटॉप होगा। वह भी मुफ्त में। क्या यह सिर्फ एक योजना है या किसी की जिंदगी बदलने वाला मौका? लोगों की उम्मीदें अब और बढ़ गई हैं। हर छात्र अपने नाम का इंतजार कर रहा है, हर स्कूल अपने लैब के निर्माण का इंतजार कर रहा है, और हर नागरिक अब एक बेहतर, साफ-सुथरी, शिक्षित और तकनीकी दिल्ली देखने का सपना संजो रहा है।
आखिर में सवाल यही है—क्या रेखा गुप्ता सरकार अपने इन वादों को जमीनी स्तर पर उतार पाएगी? क्या दिल्ली सच में डिजिटल क्रांति का केंद्र बनेगी? क्या ये फ्री लैपटॉप योजना उन छात्रों की जिंदगी बदल पाएगी जिनके पास आज एक स्मार्टफोन भी नहीं है? फिलहाल, शुरुआत तो उम्मीद से भरी हुई है। और जैसा कि कहा जाता है, अगर शुरुआत अच्छी हो, तो मंजिल खुद-ब-खुद नजदीक आ जाती है।
Conclusion
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