नमस्कार दोस्तों, ज़रा सोचिए, एक शांत सुबह है। आप अपने घर में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे हैं। अचानक आपके फोन की घंटी बजती है। फोन उठाते ही सामने से घबराई हुई आवाज़ आती है – “जल्दी आओ, पापा बेहोश हो गए हैं!” आप घबराकर तुरंत घर से बाहर निकलते हैं और गाड़ी की स्पीड बढ़ा देते हैं। रास्ते में आपके दिमाग में हजारों ख्याल दौड़ने लगते हैं – क्या ये हार्ट अटैक है? या फिर Cardiac arrest?
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर तुरंत जांच करते हैं और बताते हैं कि ये Cardiac Arrest का मामला है। डॉक्टर आपको समझाते हैं कि अगर थोड़ी देर और हो जाती तो शायद जान बचाना मुश्किल हो जाता। आप सोचते हैं कि अगर ये हार्ट अटैक होता तो क्या स्थिति अलग होती? क्या हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में सचमुच इतना अंतर होता है? और क्या सच में Cardiac Arrest इतना खतरनाक है कि इससे बचना लगभग नामुमकिन है?
इस सवाल का जवाब हर किसी को जानना जरूरी है, क्योंकि ये जानकारी जिंदगी और मौत के बीच का फर्क तय कर सकती है। जो व्यक्ति इस फर्क को समझ लेता है, वो न केवल अपनी बल्कि अपने परिवार और आसपास के लोगों की जान बचा सकता है। यही वजह है कि हार्ट अटैक और Cardiac Arrest के बीच के इस अंतर को समझना आज की तारीख में बेहद जरूरी हो गया है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
हाल के दिनों में हार्ट अटैक और Cardiac Arrest के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। अखबारों में, टीवी पर और सोशल मीडिया पर हर दिन कोई न कोई ऐसी खबर सुनने को मिलती है कि किसी ने जिम करते हुए दम तोड़ दिया, किसी ने सोते हुए जान गंवा दी, या फिर किसी ने चलते-चलते अचानक दम तोड़ दिया।
अक्सर इन मामलों को हार्ट अटैक का नाम दे दिया जाता है, लेकिन असल में इनमें से कई मामले Cardiac Arrest के होते हैं। समस्या ये है कि ज्यादातर लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के बीच का फर्क नहीं समझते। लोगों को लगता है कि दोनों एक ही चीज़ हैं, जबकि हकीकत ये है कि ये दोनों बिल्कुल अलग स्थितियां हैं। हार्ट अटैक में जान बचने की संभावना ज्यादा होती है, लेकिन Cardiac Arrest में थोड़ी सी देरी जान ले सकती है।
यही वजह है कि इन दोनों स्थितियों को समझना और सही समय पर सही कदम उठाना जरूरी है। अगर सही समय पर प्रतिक्रिया दी जाए तो हार्ट अटैक और Cardiac Arrest से जान बचाई जा सकती है, लेकिन इस प्रतिक्रिया के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर दोनों में फर्क क्या है।
डॉक्टर अनुज कुमार इस फर्क को बड़े सरल ढंग से समझाते हैं। वे कहते हैं कि दिल को अगर एक पंप की तरह समझें तो हार्ट अटैक और Cardiac Arrest का फर्क आसानी से समझ में आ जाएगा। पंप में दो चीजें जरूरी होती हैं – एक, उसमें पानी का सही से प्रवाह होना चाहिए और दूसरी, उसमें बिजली का सही से फ्लो होना चाहिए ताकि पंप सुचारू रूप से काम करे।
अगर पंप की नली में कोई रुकावट आ जाए तो पानी का प्रवाह रुक जाएगा। यही स्थिति हार्ट अटैक के दौरान होती है। वहीं अगर पंप में बिजली का फ्लो बंद हो जाए तो पंप अचानक काम करना बंद कर देगा। यही स्थिति कार्डियक अरेस्ट की होती है।
हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की धमनियों में रुकावट आ जाती है। दिल को शरीर में खून पहुंचाने के लिए जो नलियां होती हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल जमा होने या धमनियों के सिकुड़ने के कारण खून का प्रवाह रुक जाता है। इससे दिल को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और दिल के टिशू डैमेज होने लगते हैं। हार्ट अटैक के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं।
मरीज को सीने में तेज दर्द महसूस होता है, जो बाएं हाथ, कंधे और जबड़े तक फैल सकता है। सांस लेने में तकलीफ होती है, ठंडा पसीना आता है और कई बार उल्टी या पेट दर्द भी हो सकता है। हार्ट अटैक में मरीज तुरंत बेहोश नहीं होता। अगर समय पर इलाज मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है। डॉक्टर दवाइयों, एंजियोप्लास्टी या बायपास सर्जरी की मदद से हृदय की ब्लॉकेज को खोलकर मरीज को ठीक कर सकते हैं।
हार्ट अटैक के लक्षण बहुत ही सामान्य होते हैं लेकिन लोग इन्हें अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। शुरुआती लक्षणों में सीने में भारीपन, शरीर में कमजोरी, जबड़े और बाएं हाथ में दर्द और सांस लेने में तकलीफ शामिल होते हैं।
समस्या यह है कि लोग इसे सामान्य गैस की समस्या या थकावट समझकर टाल देते हैं। लेकिन यही लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। कई बार हार्ट अटैक धीरे-धीरे बढ़ता है। इसका मतलब है कि अगर शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए और डॉक्टर से संपर्क किया जाए तो मरीज की जान बच सकती है। इसलिए हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचानना और तुरंत इलाज कराना बेहद जरूरी है।
वहीं Cardiac Arrest एकदम अलग स्थिति है। इसमें दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है। यह इलेक्ट्रिकल प्रॉब्लम के कारण होता है। जब दिल को धड़काने वाली इलेक्ट्रिकल तरंगें अनियमित हो जाती हैं तो दिल एकदम से धड़कना बंद कर देता है। मरीज बिना किसी चेतावनी के बेहोश हो जाता है। सांस लेना बंद हो जाता है और कुछ ही मिनटों के भीतर मरीज की मौत हो सकती है। ‘
Cardiac Arrest की स्थिति में हर सेकंड मायने रखता है। अगर तुरंत CPR यानि (Cardiopulmonary Resuscitation) न दी जाए तो मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। CPR के दौरान मरीज के सीने पर प्रेशर डालकर दिल को फिर से धड़काने की कोशिश की जाती है। अगर A E D (Automated External Defibrillator) मशीन उपलब्ध हो तो, उससे दिल में इलेक्ट्रिकल शॉक देकर दिल को दोबारा धड़काने की कोशिश की जाती है।
Cardiac Arrest में अगर मरीज को पहले 2 से 3 मिनट में CPR मिल जाए तो जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। समस्या यह है कि भारत में अभी CPR और AED का ज्ञान बहुत कम लोगों को है। यही वजह है कि Cardiac Arrest के मामलों में मृत्यु दर अधिक है। अगर भारत में CPR और AED के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए तो हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। यही वजह है कि सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को इस दिशा में विशेष कदम उठाने की जरूरत है।
अगर आप इन दोनों स्थितियों का फर्क समझ गए तो आप न केवल अपनी जान बचा सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और आसपास के लोगों की भी जान बचा सकते हैं। आज से ही अपनी लाइफस्टाइल में सुधार कीजिए, सही खान-पान अपनाइए और अपने दिल का ख्याल रखिए। दिल की धड़कनें तभी तक सुनाई देती हैं, जब तक आप इसे सेहतमंद बनाए रखते हैं। एक छोटी सी लापरवाही आपके दिल की धड़कनों को हमेशा के लिए रोक सकती है। जिंदगी अनमोल है – इसे बचाइए, इसे संजोइए। दिल धड़कता रहे – यही असली जिंदगी है। जिंदगी केवल सांस लेने का नाम नहीं है, बल्कि इसे स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखना ही असली जीत है।
याद रखिए – आपका दिल आपका सबसे बड़ा साथी है। इसका ख्याल रखना आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसे नजरअंदाज मत कीजिए। हार्ट अटैक और Cardiac Arrest के बीच का यह अंतर समझिए और अपनी जिंदगी को संवारिए। जो समझ गया – वही बच गया।
Conclusion
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