नमस्कार दोस्तों, क्या अब भारत की सीमाएं पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएंगी? क्या भारत की सेना अब दुश्मन के किसी भी ड्रोन हमले को पल भर में नष्ट कर सकती है? क्या अडानी डिफेंस और डीआरडीओ का यह नया Counter-drone systems युद्धक्षेत्र में गेम-चेंजर साबित होगा?
हाल ही में एयरो इंडिया 2025 प्रदर्शनी में भारत ने एक बड़ी सैन्य उपलब्धि हासिल की है। अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और Defence Research and Development Organisation, (DRDO) के सहयोग से भारत का पहला व्हीकल-माउंटेड Counter-drone systems पेश किया गया है। यह वही तकनीक है, जिसकी भारतीय सेना को लंबे समय से जरूरत थी। आधुनिक युद्ध प्रणाली में ड्रोन का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है, और यह आतंकवादी संगठनों के लिए एक नया हथियार बन चुका है। ऐसे में, भारत के पास एक ऐसा सिस्टम होना जरूरी था जो इन हाई-टेक खतरों को तुरंत नष्ट कर सके।
अडानी डिफेंस और डीआरडीओ के ऐतिहासिक सहयोग का क्या महत्व है?
भारत की रक्षा क्षमता को और अधिक सशक्त बनाने के लिए अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस, और डीआरडीओ ने मिलकर यह Counter-drone systems तैयार किया है। यह भारत में Public-Private Partnership के तहत विकसित किया गया पहला एंटी-ड्रोन सिस्टम है।
डीआरडीओ के महानिदेशक (इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली) डॉक्टर बीके दास ने, इसे बेंगलुरु में चल रही एयरो इंडिया 2025 प्रदर्शनी में पेश किया। इस कार्यक्रम में Defense Experts, सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के बड़े प्रतिनिधियों की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि, भारत अब आधुनिक सैन्य तकनीक विकसित करने में आत्मनिर्भर बन रहा है।
इस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे भारतीय सेना की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है, और यह पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित किया गया है।
Counter-drone systems क्यों जरूरी था?
आज के समय में ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ निगरानी के लिए नहीं, बल्कि आतंकी हमलों, जासूसी और हथियारों की तस्करी के लिए भी किया जा रहा है। दुनिया भर में कई देशों ने ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अपने सैन्य अभियानों में करना शुरू कर दिया है।
भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों को हाल के वर्षों में कई बार ड्रोन हमलों का सामना करना पड़ा है। खासकर पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर दुश्मन ड्रोन गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। पाकिस्तान से कई बार ड्रोन के जरिए हथियार और ड्रग्स भारत भेजे गए हैं।
2019 में सऊदी अरब की अरामको ऑयल रिफाइनरी पर हुए ड्रोन हमले ने भी यह दिखा दिया कि, ड्रोन युद्धक्षेत्र में कितने घातक साबित हो सकते हैं। इसके बाद दुनिया भर की सेनाएं एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित करने में जुट गईं। भारत को भी ऐसे सिस्टम की जरूरत थी, जो कम समय में, सटीक तरीके से दुश्मन ड्रोन को पहचान कर नष्ट कर सके।
इस एंटी-ड्रोन सिस्टम में क्या खास है?
अडानी डिफेंस और डीआरडीओ द्वारा विकसित यह व्हीकल-माउंटेड Counter-drone systems अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है, जो इसे युद्धक्षेत्र में दुश्मन ड्रोन के खतरों को तुरंत पहचानने और नष्ट करने में सक्षम बनाता है। यह प्रणाली पूरी तरह से मोबाइल है और इसे किसी भी क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है, जिससे भारतीय सेना को युद्ध के दौरान तेज प्रतिक्रिया देने की क्षमता मिलती है। इसका निर्माण एक 4×4 हाई-मोबिलिटी व्हीकल पर किया गया है, जिससे यह कठिन से कठिन इलाकों में भी आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है।
यह Counter-drone systems ऑटोमेटिक ड्रोन डिटेक्शन और क्लासिफिकेशन तकनीक से लैस है, जो किसी भी संदिग्ध ड्रोन को तुरंत पहचान सकता है और उसकी श्रेणी निर्धारित कर सकता है। यह जानने की क्षमता रखता है कि ड्रोन निगरानी के लिए भेजा गया है, हमले के लिए है, या फिर यह किसी अन्य उद्देश्य से उड़ाया गया है। इसके साथ ही, इसमें हाई-एनर्जी लेजर सिस्टम भी शामिल किया गया है, जो दुश्मन ड्रोन को कुछ ही सेकंड में पूरी तरह से नष्ट कर सकता है।
इस सिस्टम में 7.62 मिमी गन भी लगी हुई है, जो खासतौर पर छोटे और तेज रफ्तार वाले ड्रोन को मार गिराने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसके अलावा, इसमें एडवांस्ड रेडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर लगे हैं, जो ड्रोन की लोकेशन को तुरंत ट्रैक करके सेना को रियल-टाइम डेटा प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि ड्रोन को न केवल देखा जा सके बल्कि उसका प्रभावी तरीके से सामना भी किया जा सके।
सबसे खास बात यह है कि यह सिस्टम 10 किलोमीटर तक की रेंज में उड़ने वाले ड्रोन को ट्रैक और नष्ट कर सकता है। यह इतनी लंबी दूरी से दुश्मन के किसी भी हमले को रोकने में मदद करता है, जिससे भारतीय सेना को किसी भी हवाई खतरे से पहले ही सतर्क किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें एक जैमर सिस्टम भी मौजूद है, जो दुश्मन ड्रोन के संचार नेटवर्क को पूरी तरह से बाधित कर देता है, जिससे वह अपने ऑपरेटर्स से संपर्क नहीं कर पाता और मिशन फेल हो जाता है।
यह एंटी-ड्रोन सिस्टम भारतीय सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह न केवल तेजी से दुश्मन ड्रोन को पहचानने और नष्ट करने में सक्षम है, बल्कि इसे आसानी से किसी भी संवेदनशील स्थान पर तैनात किया जा सकता है। यह एयरबेस, सीमा सुरक्षा, महत्वपूर्ण सरकारी भवनों और रणनीतिक औद्योगिक क्षेत्रों में भी बड़ी आसानी से उपयोग किया जा सकता है। इससे यह साफ है कि भारत अब अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, और इस अत्याधुनिक तकनीक से देश की सुरक्षा को एक नया आयाम मिलेगा।
यह सिस्टम DRDO और अडानी डिफेंस की बड़ी उपलब्धि कैसे है ?
डीआरडीओ के महानिदेशक बीके दास ने इस सिस्टम की लॉन्चिंग पर कहा कि, यह भारत की रक्षा तैयारियों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय सेना को दुश्मन ड्रोन के खतरों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस के सीईओ आशीष राजवंशी ने कहा कि, यह Counter-drone systems भारत के डिफेंस इनोवेशन इकोसिस्टम की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ द्वारा विकसित अत्याधुनिक तकनीक को अडानी डिफेंस ने एक सक्रिय समाधान में बदल दिया है, जिससे भारतीय सेना की ड्रोन हमलों से निपटने की क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
इसके अलावा, यह एंटी-ड्रोन सिस्टम सिर्फ एक रक्षा उपकरण नहीं, बल्कि भारत के बढ़ते सैन्य आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। पहले, भारत को ऐसे अत्याधुनिक सिस्टम्स के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब देश में ही इन्हें विकसित किया जा रहा है। यह प्रणाली भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़त साबित होगी, क्योंकि ड्रोन हमलों से बचाव के लिए अब हमें विदेशों से महंगे सिस्टम खरीदने की जरूरत नहीं होगी। यह भारत को एक Defence Equipment Exporter के रूप में भी स्थापित कर सकता है, जिससे भारत की वैश्विक सैन्य ताकत और मजबूत होगी।
Conclusion
तो दोस्तों, अडानी डिफेंस और डीआरडीओ द्वारा विकसित यह Counter-drone systems भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। यह सिस्टम न सिर्फ सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को भी दुश्मन ड्रोन हमलों से बचाएगा। आपको क्या लगता है, क्या यह तकनीक भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर साबित होगी? अपनी राय कमेंट में बताएं!
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