नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि कोई नीतिगत फैसला कैसे जनता के हित में दिखने के बावजूद, पर्दे के पीछे एक बड़े घोटाले में बदल सकता है? कैसे सरकारों की बनाई नीतियां कुछ गिने-चुने लोगों की जेब भरने का जरिया बन जाती हैं? और कैसे एक पूरा बाजार कुछ चुनिंदा कंपनियों और व्यक्तियों के नियंत्रण में आ जाता है? दिल्ली में हुआ शराब घोटाला इसका सबसे ताजा और चौंकाने वाला उदाहरण है। यह कोई आम भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि एक ऐसा जाल था जिसमें न सिर्फ आम जनता को गुमराह किया गया, बल्कि एक पूरी इंडस्ट्री को तीन बड़े डिस्ट्रिब्यूटर्स के हवाले कर दिया गया।
ये घोटाला आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ सबसे बड़े हथियारों में से एक बन गया, जिसने आखिरकार दिल्ली की सत्ता संतुलन को पूरी तरह हिला कर रख दिया। लेकिन इस पूरे घोटाले में असली खेल क्या था? कौन थे वो लोग, जिन्होंने इस नीति के जरिए अरबों रुपये का मुनाफा कमाया? और आखिरकार, इसका नुकसान किसे हुआ? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
यह कहानी 2021-22 की नई Excise policy से शुरू होती है, जिसे दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री और Distribution को सुधारने के नाम पर लागू किया था। इस नीति को बड़े-बड़े वादों के साथ पेश किया गया—यह कहा गया कि इससे दिल्ली में शराब की बिक्री और Supply ज्यादा पारदर्शी होगी, भ्रष्टाचार खत्म होगा और सरकार का Revenue बढ़ेगा। लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। इस नीति के लागू होने के बाद Comptroller General of Accounts (CAG) की रिपोर्ट ने जो चौंकाने वाले खुलासे किए, उन्होंने सबको स्तब्ध कर दिया।
इस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की नई शराब नीति ने कुछ गिने-चुने थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के बीच एक ऐसा गठजोड़ बना दिया, जिससे बाजार पर उनका एकाधिकार स्थापित हो गया। इसका सीधा फायदा उन खास ब्रांडों और कंपनियों को मिला, जिन्होंने पहले से ही इस पूरे सिस्टम को अपने हिसाब से सेट कर लिया था। नई नीति लागू होने के बाद, दिल्ली में उपलब्ध 367 पंजीकृत ब्रांडों में से केवल 25 ब्रांडों ने पूरी बिक्री का 70% हिस्सा कब्जा लिया। और मजे की बात यह थी कि इनमें से ज्यादातर ब्रांड वही थे, जिनका नियंत्रण कुछ गिने-चुने Distributors के पास था।
यही नहीं, इस नीति ने केवल ब्रांडों को फायदा नहीं पहुंचाया, बल्कि delivery system भी पूरी तरह से कुछ ही कंपनियों के हाथ में दे दी गई। दिल्ली में बिकने वाली शराब का 72% हिस्सा केवल तीन Distributors—ब्रिंडको, महादेव लिकर और इंडोस्पिरिट—के पास चला गया।
इन तीन कंपनियों ने शराब की Supply और बिक्री पर लगभग एकाधिकार जमा लिया, जिससे बाजार में किसी और कंपनी को टिकने का मौका ही नहीं मिला। ब्रिंडको और महादेव लिकर ने सात-सात ब्रांडों की विशेष Supply की, जबकि इंडोस्पिरिट ने छह ब्रांडों की Supply का जिम्मा संभाला। इतना ही नहीं, इन Distributors ने दिल्ली में 76, 71 और 45 ब्रांडों की सप्लाई का पूरा नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया।
लेकिन खेल सिर्फ इतने तक सीमित नहीं था। इस नीति में लाइसेंस Distribution को भी खास तरीके से सेट किया गया, ताकि कुछ ही लोगों को इसका फायदा मिल सके। रिपोर्ट के अनुसार, नई नीति के तहत दिल्ली में कुल 14 व्यावसायिक संस्थाओं को थोक लाइसेंस दिए गए, जबकि पहले की नीति (2020-21) में 77 निर्माताओं और 24 suppliers को लाइसेंस मिला था।
Retail Vending System भी पूरी तरह से बदल दिया गया। पहले दिल्ली में 377 Retail vends, government corporations द्वारा संचालित किए जाते थे, और 262 वेंड्स निजी हाथों में थे। लेकिन नई नीति के तहत पूरे दिल्ली को 32 जोन में विभाजित कर दिया गया, और इन सभी जोनों में शराब की बिक्री केवल 22 निजी कंपनियों को दे दी गई।
इस बदलाव का असर यह हुआ कि कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही पूरे बाजार पर राज करने का मौका मिला, जबकि बाकी कंपनियों को या तो बंद होने पर मजबूर कर दिया गया, या फिर उन्हें इन Distributors से ही शराब खरीदनी पड़ी। मतलब साफ था—दिल्ली की शराब इंडस्ट्री कुछ खास लोगों की मुट्ठी में आ गई, जिनके हाथों में नीति बनवाने और उसे लागू करवाने की ताकत थी।
लेकिन असली सवाल यह है कि इस घोटाले से फायदा किसे हुआ? जाहिर है, उन लोगों को, जिन्होंने इस नीति को अपने पक्ष में मोड़ा। उन Distributors और कंपनियों को, जिन्होंने इस नीति के लागू होते ही अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
लेकिन असली नुकसान किसे हुआ? दिल्ली की जनता को, जिसे यह बताया गया कि यह नीति उनके फायदे के लिए बनाई गई है, लेकिन असल में इससे उनका कोई लाभ नहीं हुआ। जिन छोटे और Medium distributors के लिए बाजार में कोई जगह नहीं बची, उन्हें जबरन अपने बिजनेस से बाहर कर दिया गया। और सबसे बड़ा नुकसान सरकारी Revenue को हुआ, क्योंकि बाजार पर जब कुछ गिने-चुने लोगों का कब्जा हो जाता है, तो वे इसे अपनी मनमानी से चलाने लगते हैं।
इसके अलावा, Comptroller General of Accounts (CAG) की रिपोर्ट आने के बाद इस पूरे मामले की जांच शुरू हुई, और यह सामने आया कि इस घोटाले में बड़े राजनीतिक और कारोबारी नाम शामिल थे। यह केवल एक व्यापारिक साजिश नहीं थी, बल्कि इसमें सत्ता के खेल की भी अहम भूमिका थी।
विपक्षी पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया, और देखते ही देखते यह घोटाला इतना बड़ा बन गया कि दिल्ली सरकार को अपनी Excise policy को वापस लेना पड़ा। लेकिन क्या इस घोटाले के दोषियों को सजा मिलेगी? क्या उन लोगों से जवाब लिया जाएगा, जिन्होंने इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया? या फिर यह मामला भी अन्य बड़े घोटालों की तरह धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
इस पूरे मामले से एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक नीतियों का इस्तेमाल, कुछ गिने-चुने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता रहेगा? कब तक सत्ता और कारोबार का गठजोड़ आम जनता को गुमराह करता रहेगा? यह घोटाला सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक सीख है कि कैसे सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियां कभी-कभी, जनता के भले के नाम पर लाकर कुछ खास लोगों की जेबें भरने का जरिया बन जाती हैं।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घोटाले की जांच कहां तक पहुंचती है। क्या इसके असली मास्टरमाइंड का पर्दाफाश होगा? क्या इसमें शामिल Distributors और अधिकारियों को किसी प्रकार की सजा मिलेगी? या फिर यह मामला धीरे-धीरे जनता की यादों से मिट जाएगा, और फिर किसी नए घोटाले की आड़ में दबा दिया जाएगा?
शराब घोटाले की यह पूरी सच्चाई एक बार फिर दिखाती है कि सत्ता, व्यापार और भ्रष्टाचार का गठजोड़ कितना खतरनाक हो सकता है। जब भी कोई नीति बनाई जाती है, तो जनता को सोचना चाहिए कि यह उनके फायदे के लिए है या फिर कुछ खास लोगों के लिए? और सबसे जरूरी बात, क्या इस तरह के घोटालों से देश को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, या फिर हम इन्हें सिर्फ एक और राजनीतिक विवाद मानकर भूल जाएंगे?
Conclusion
अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”