EMI ने बदला शॉपिंग का ट्रेंड: आसान किस्तों में खरीदारी का सुनहरा मौका! 2025

नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा था कि लोग अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उनकी जेब पर कोई भारी असर नहीं पड़ रहा? क्या यह किसी नए आर्थिक चमत्कार का संकेत है, या आने वाले समय में कर्ज के जाल में फंसने की शुरुआत? अगर आपको लगता है कि महंगे स्मार्टफोन, ज्वेलरी, और इलेक्ट्रॉनिक्स सिर्फ अमीरों की चीजें हैं, तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब मिडिल क्लास भी बिना ज्यादा सोचे-समझे इन्हें खरीद रहा है – और वह भी एक साथ पूरे पैसे चुकाए बिना!

EMI और आसान किस्तों की सुविधा ने शॉपिंग का पूरा ट्रेंड बदल दिया है, और अगर आप अभी भी पारंपरिक तरीके से खरीदारी कर रहे हैं, तो शायद आप इस नई अर्थव्यवस्था में पीछे छूट सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव ग्राहकों के लिए फायदेमंद है या आने वाले समय में एक बड़ा खतरा बन सकता है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

EMI पर खरीदारी में बढ़ोतरी क्यों हो रही है, और इसके पीछे क्या कारण हैं?

पिछले कुछ सालों में लोगों की खरीदारी की आदतें तेजी से बदली हैं। महंगाई लगातार बढ़ रही है, सैलरी में वैसी तेजी नहीं आ रही, लेकिन फिर भी लोग पहले से ज्यादा महंगे सामान खरीद रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है EMI पर मिलने वाली खरीदारी की सुविधा। अब ग्राहक lump sum payment करने की बजाय, आसान Monthly Installments में अपने पसंदीदा प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं। पहले जहां सिर्फ कार या मकान जैसी बड़ी चीजों को EMI पर खरीदा जाता था, वहीं अब स्मार्टफोन, लैपटॉप, इन्वर्टर ऐसी, महंगे किचन अप्लायंसेज और यहां तक कि ज्वेलरी भी EMI पर ली जा रही है।

एक बिजनेसमैन के अनुसार, आज 75% से ज्यादा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की बिक्री EMI पर हो रही है, जो 5 साल पहले सिर्फ 55 से 60% थी। इसका मतलब है कि ग्राहक अब कर्ज के सहारे अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर रहे हैं, और कंपनियां इस मौके का पूरा फायदा उठा रही हैं। EMI योजनाएं इतनी आसान और आकर्षक बना दी गई हैं कि ग्राहक बिना ज्यादा सोचे समझे तुरंत खरीदारी कर लेते हैं।

महंगे प्रोडक्ट्स की मांग में बढ़ोतरी क्यों हो रही है, और इसके पीछे कौन से कारक जिम्मेदार हैं?

पहले मिडिल क्लास के लिए महंगे प्रोडक्ट्स खरीदना किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन अब यह सपना आसानी से पूरा हो रहा है। पैनासोनिक लाइफ सॉल्यूशंस इंडिया के एमडी फुमियासु फुजिमोरी का कहना है कि, आसान फाइनेंस और कम EMI दरों की वजह से अब मिडिल क्लास परिवार भी, प्रीमियम क्वालिटी के प्रोडक्ट्स खरीद पा रहे हैं। पहले जहां ग्राहक सस्ते और बेसिक वेरिएंट खरीदते थे, वहीं अब वे टॉप-एंड स्मार्टफोन, इन्वर्टर ऐसी, टॉप लोड वॉशिंग मशीन और अन्य महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स खरीद रहे हैं।

थिंक टैंक PRICE के अनुसार, जिन परिवारों की Annual Income 5 लाख से 30 लाख के बीच है, वे अब इस नई लहर का हिस्सा बन चुके हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियां और ब्रांड्स भी EMI पर खरीदारी करने वालों को आकर्षक ऑफर्स दे रहे हैं, जिससे यह ट्रेंड और तेज़ी से बढ़ रहा है। ग्राहक अब सोचते हैं कि अगर वे हर महीने थोड़ी-थोड़ी किस्त चुका सकते हैं, तो उन्हें महंगे और बेहतर क्वालिटी के प्रोडक्ट्स क्यों नहीं लेने चाहिए?

EMI पर बढ़ती निर्भरता फायदेमंद है या नुकसानदायक?

ग्राहक अब बड़ी रकम एक साथ खर्च करने के बजाय EMI का सहारा ले रहे हैं। यह सुविधा उन्हें मानसिक रूप से हल्का महसूस कराती है, क्योंकि उन्हें तुरंत पूरा पैसा नहीं देना पड़ता। लेकिन क्या यह सिर्फ एक अच्छी सुविधा है, या इसके पीछे कुछ बड़े खतरे छिपे हुए हैं? EY-Parthenon के पार्टनर अंगशुमन भट्टाचार्य का मानना है कि, यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा, क्योंकि अधिकांश लोगों के पास बड़ी बचत नहीं है। हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि खपत बढ़ाने का असली उपाय नौकरियों का Creation और Salary में वृद्धि है।

फिलहाल, यह देखा जा रहा है कि लोगों की आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, लेकिन उनकी सैलरी में उतनी तेज़ी से इज़ाफा नहीं हो रहा। ऐसे में वे कर्ज लेकर अपनी इच्छाओं को पूरा कर रहे हैं। इस समय EMI से शॉपिंग करना एक आम बात हो गई है, लेकिन भविष्य में अगर किसी कारणवश लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी, तो वे इस कर्ज को चुकाने में असमर्थ हो सकते हैं। इससे उनकी क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है और उन्हें भविष्य में किसी भी तरह का लोन या फाइनेंस लेना मुश्किल हो सकता है।

EMI का ज्वेलरी इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ रहा है?

केवल इलेक्ट्रॉनिक्स और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स ही नहीं, ज्वेलरी इंडस्ट्री भी इस ट्रेंड में शामिल हो चुकी है। पहले ज्वेलरी को एक लक्जरी इन्वेस्टमेंट माना जाता था, जिसे लोग अपनी सेविंग से खरीदते थे। लेकिन अब कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए गोल्ड सेविंग स्कीम, आसान Payment विकल्प और एक्सचेंज प्रोग्राम जैसी सुविधाएं दे रही हैं।

मालाबार ग्रुप के चेयरमैन एमपी अहमद का कहना है कि अब लोग, 11 महीने तक छोटी-छोटी रकम जमा करके अंत में बिना मेकिंग चार्ज के ज्वेलरी खरीद सकते हैं। इस तरह की स्कीम्स से ग्राहकों को यह महसूस होता है कि वे धीरे-धीरे Payment कर रहे हैं, जिससे ज्वेलरी खरीदना आसान हो जाता है। कंपनियों की यह रणनीति उन्हें ग्राहकों के साथ लंबे समय तक जोड़े रखने में मदद कर रही है, और ग्राहक भी इसे एक बेहतर विकल्प मान रहे हैं।

EMI से FMCG सेक्टर में क्या नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं?

जहां एक तरफ EMI पर महंगे Products की बिक्री बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर FMCG सेक्टर में ग्राहकों का व्यवहार बिल्कुल उलट हो गया है। पर्सनल केयर, स्नैक्स और साबुन जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं में छोटे पैकेट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। सिप्ला हेल्थ के सीईओ और एमडी शिवम पुरी बताते हैं कि, मिडिल क्लास ग्राहक अपने बजट को मैनेज करने के लिए छोटे पैकेट खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। बड़ी बोतल या बड़े पैक लेने की बजाय, लोग छोटे-छोटे पैक खरीदकर रोजमर्रा के खर्चों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि लोग अपने बेसिक खर्चों में कटौती कर रहे हैं, ताकि वे EMI पर महंगे प्रोडक्ट्स खरीद सकें।

हालांकि, आज EMI का चलन एक सामान्य बात लग रही है, लेकिन भविष्य में यह एक बड़ा खतरा बन सकता है। जब भी अर्थव्यवस्था में मंदी आती है, लोगों की नौकरियां जाती हैं और सैलरी में कटौती होती है। अगर ऐसे समय में लोगों के पास पहले से ही ज्यादा कर्ज होगा, तो वे मुश्किल में पड़ सकते हैं। इसके अलावा, लगातार EMI पर निर्भर रहने से बचत करने की आदत कमजोर हो रही है। पहले लोग पैसे बचाकर चीजें खरीदते थे, जिससे वे अपनी वित्तीय स्थिति को नियंत्रित कर सकते थे। लेकिन अब आसान फाइनेंसिंग और लुभावने ऑफर्स की वजह से लोग अपनी जरूरत से ज्यादा खर्च कर रहे हैं।

Conclusion

तो दोस्तों, अगर आप भी EMI पर खरीदारी कर रहे हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपकी मासिक किस्तें आपकी Income का 30 से 40% से ज्यादा न हो। बिना सोचे-समझे कर्ज लेने से बचें और जरूरत से ज्यादा खर्च करने से पहले दो बार सोचें। आपके अनुसार, यह नया शॉपिंग ट्रेंड कितना सही है? क्या यह लोगों की लाइफस्टाइल को बेहतर बना रहा है, या आने वाले समय में यह एक बड़ा संकट बन सकता है? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं!

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