नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि जब शेयर बाजार में अचानक गिरावट आती है तो उसके पीछे असली वजह क्या होती है? क्या आपने कभी ये समझने की कोशिश की है कि जब शेयर बाजार में सब कुछ ठीक चल रहा होता है, कंपनियों के तिमाही नतीजे शानदार होते हैं और इकोनॉमी भी स्थिर होती है, तब भी अचानक बाजार क्यों लुढ़क जाता है? क्या इसका कारण सिर्फ foreign investors का पैसा निकालना होता है या इसके पीछे कोई और बड़ा खेल छिपा होता है?
हाल ही में जब भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, तो इस पर सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने खुलकर अपनी राय दी। उन्होंने साफ तौर पर बताया कि बाजार गिरने के पीछे सिर्फ एक वजह नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई घरेलू और Global कारण होते हैं। तुहिन कांत पांडे ने MIND RUSH 2025 के एक विशेष कार्यक्रम में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की, और बताया कि कैसे foreign investors का पैसा निकलना, टैक्स नीति में बदलाव और Global घटनाक्रम – इन सबका बाजार पर सीधा असर पड़ता है।
उन्होंने यह भी बताया कि सेबी ने बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं, और Retail Investors को नुकसान से बचाने के लिए क्या योजनाएं बनाई हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ सालों से रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर था। कोविड के बाद जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही थी, तब भी भारतीय शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया। भारत में स्टार्टअप्स की लिस्टिंग हो रही थी, IPOs की बाढ़ आ रही थी और Foreign investors भी जमकर पैसा लगा रहे थे।
लेकिन साल 2023 के अंत और 2024 की शुरुआत में स्थिति अचानक बदलने लगी। foreign investors ने बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इससे बाजार में अचानक बिकवाली का दबाव बढ़ गया और शेयर बाजार में गिरावट शुरू हो गई। इससे Investors का भरोसा हिल गया। बाजार में अस्थिरता इतनी ज्यादा हो गई कि Investors को समझ नहीं आ रहा था कि बाजार में क्या हो रहा है।
जब सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे से इस बारे में पूछा गया कि Foreign investors आखिर पैसा क्यों निकाल रहे हैं, तो उन्होंने बताया कि Foreign investors शेयर बाजार के बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों में भारतीय शेयर बाजार में foreign investors ने बड़ी मात्रा में पैसा डाला था। लेकिन हाल ही में global level पर आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव की वजह से वे बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि Investors का आना-जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब बाजार में अनिश्चितता होती है, तो Foreign investors अपने पैसे को सुरक्षित ठिकानों पर ले जाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी Federal Reserve द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है। इससे डॉलर की मांग बढ़ गई है और उभरते बाजारों से पूंजी का बहाव अमेरिका की ओर हो रहा है।
तुहिन कांत पांडे ने यह भी बताया कि foreign investors का पैसा निकालना शेयर बाजार में गिरावट की अकेली वजह नहीं है। इसके अलावा global level पर चल रहे जियो-पॉलिटिकल तनाव का भी भारतीय बाजार पर असर पड़ रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष, चीन-ताइवान विवाद – इन सभी वजहों से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता है। इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर भी बाजार के लिए चिंता का विषय है। अगर अमेरिका चीन पर और ज्यादा आर्थिक प्रतिबंध लगाता है, तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि शेयर बाजार की गिरावट के पीछे घरेलू कारण भी हैं। भारत में हाल ही में सरकार ने Capital Gains Tax और सेक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स में बदलाव किए हैं। इससे Investors में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
Investor अभी इस बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि नई टैक्स पॉलिसी से उनकी Investment रणनीति पर क्या असर पड़ेगा। तुहिन कांत पांडे ने कहा कि सेबी लगातार इस पर नजर बनाए हुए है। अगर टैक्स नीति से Investors पर दबाव बढ़ता है, तो सरकार से इस पर बातचीत की जाएगी।
जहां तक शेयर बाजार में पारदर्शिता की बात है, तुहिन कांत पांडे ने साफ कहा कि सेबी इस मामले में कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि सेबी का मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि सेबी ने कंपनियों के लिए Disclosure के नियम सख्त कर दिए हैं। अगर कोई कंपनी Investors को गलत जानकारी देकर शेयर बाजार में लिस्ट होती है, तो सेबी उस पर तुरंत कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि सेबी का मुख्य उद्देश्य Investors का भरोसा बनाए रखना है।
सेबी ने Retail investors को जागरूक करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। तुहिन कांत पांडे ने कहा कि KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। अब रिटेल Investor बिना ज्यादा दस्तावेजों के आसानी से डीमैट खाता खोल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर किसी Investor का खाता लंबे समय से एक्टिव नहीं है, तो भी वह आसानी से अपने पैसे को वापस पा सकता है। इसके अलावा सेबी ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग पर भी कड़ा नियंत्रण रखा है। सेबी ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि F&O ट्रेडिंग में 10 में से 9 रिटेल Investor नुकसान झेलते हैं। सेबी ने इस पर सख्ती से काम करना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा, सेबी ने ऑटोमेटिक ट्रेडिंग और हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर भी कड़ा नियंत्रण रखा है। उन्होंने कहा कि अगर किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर हेरफेर की शिकायत मिलती है, तो सेबी तुरंत उस प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि सेबी का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार को एक सुरक्षित और पारदर्शी प्लेटफॉर्म बनाना है, जहां Investors को नुकसान न हो।
तुहिन कांत पांडे ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार का भविष्य बहुत ही मजबूत है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के फंडामेंटल्स मजबूत हैं। अगर Investor लॉन्ग टर्म के नजरिए से बाजार में पैसा लगाते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से फायदा होगा। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में अस्थिरता एक सामान्य प्रक्रिया है। बाजार में गिरावट के बाद तेजी भी आएगी।
तुहिन कांत पांडे ने Investors को सलाह दी कि वे शेयर बाजार में Investment करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें। उन्होंने कहा कि बिना जानकारी के Investment करना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि Investors को क्वालिटी शेयरों में लॉन्ग टर्म के लिए पैसा लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर Investor सेबी के नियमों का पालन करते हैं और सही जानकारी के आधार पर Investment करते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से फायदा होगा।
सेबी प्रमुख ने साफ कहा कि भारतीय शेयर बाजार का भविष्य बहुत ही उज्जवल है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि अगर Investor सही रणनीति अपनाते हैं और धैर्य बनाए रखते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से फायदा होगा।
Conclusion
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