एक ऐसी चीज़, जो कभी केवल जापान के सीमित सिनेमा हॉल तक सीमित थी, आज पूरी दुनिया के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर छाई हुई है। हर कोई इसे फॉलो कर रहा है, हर कोई इसे रीक्रिएट कर रहा है, और हर कोई इसके साथ एक जादुई अनुभव साझा कर रहा है। लोग अपने चेहरे की तस्वीरें अपलोड कर रहे हैं, और कुछ ही सेकंड्स में वो फोटो एक खूबसूरत एनीमेशन आर्ट में तब्दील हो रही है।
बड़ी-बड़ी मासूम आंखें, मुलायम रंगों की छाया, और प्रकृति से भरे पृष्ठभूमि – हर फ्रेम मानो किसी जादुई दुनिया से आया हो। लेकिन क्या हो अगर मैं आपसे कहूं कि इस शानदार, मासूम और खूबसूरत दिखने वाले आर्ट ट्रेंड के पीछे एक ऐसा आर्टिस्ट बैठा है जो इन तस्वीरों को देखकर अंदर से टूट चुका है? जी हां, Ghibli Art को जिसने जन्म दिया, वही अब इससे परेशान हो गया है। और इस परेशानी की जड़ में है ChatGPT का नया AI टूल, जिसने मियाजाकी जैसे महान कलाकार की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
Ghibli Art… सुनते ही एक सुकून की लहर सी दौड़ जाती है। वो कला जो बचपन की यादें ताज़ा कर दे, जो कल्पनाओं की दुनिया को असल ज़िंदगी से जोड़ दे। बड़े-बड़े आंखों वाले किरदार, जो कभी डराते नहीं बल्कि अपनापन महसूस कराते हैं। हरे-भरे जंगल, उड़ते हुए जीव, और एक फंतासी दुनिया जो बच्चों और बड़ों – दोनों को समान रूप से खींच लेती है।
लेकिन ज़रा रुकिए। क्या आप जानते हैं कि ये Ghibli Art असल में क्या है? और किसने इसे बनाया था? क्यों आज पूरी दुनिया इसे एक ट्रेंड की तरह फॉलो कर रही है, जबकि इसके असली क्रिएटर इसके खिलाफ खड़े हैं? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
दरअसल, जो आज एक मज़ेदार AI फिल्टर लगता है, वो किसी की सालों की मेहनत, संवेदनशीलता और रचनात्मकता का परिणाम है। उस कला को मशीनों द्वारा कॉपी होते देखना किसी कलाकार के लिए ऐसा ही है जैसे उसकी आत्मा को कोई उधार में ले जाए।
जापान की धरती पर 1985 में एक स्टूडियो ने जन्म लिया – Studio Ghibli। इसके पीछे तीन नाम थे – हायाओ मियाजाकी, इसाओ ताकाहाता और तोशियो सुजुकी। तीनों ने मिलकर एक ऐसा स्टूडियो खड़ा किया जिसने न केवल जापान बल्कि पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि एनीमेशन केवल बच्चों के लिए नहीं होता, यह एक आर्ट फॉर्म है, एक इमोशन है, एक माध्यम है जिससे इंसानी भावनाएं, प्रकृति और सामाजिक मुद्दे भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
Ghibli की फिल्मों में कहानी की परतें इतनी गहराई लिए होती हैं कि वो सीधे दिल को छूती हैं। चाहे वह ‘My Neighbor Totoro’ की मासूमियत हो या ‘Grave of the Fireflies’ की पीड़ा – हर फिल्म मानो एक कविता है जो एनिमेशन के ज़रिए सुनाई गई हो।
मियाजाकी की बनाई फिल्में सिर्फ पॉपुलर नहीं हैं, वो कल्ट क्लासिक हैं। “Spirited Away” – एक ऐसी फिल्म जिसे ऑस्कर मिला और जिसने दुनियाभर में 275 मिलियन डॉलर की कमाई की। ये फिल्म सिर्फ बच्चों की कहानी नहीं थी, बल्कि इसमें आत्मा, पहचान, और स्वार्थ बनाम निःस्वार्थ सेवा जैसे गहरे विषय शामिल थे।
“The Boy and the Heron”, “Princess Mononoke”, “Howl’s Moving Castle” – ये नाम आज भी एनीमेशन की दुनिया में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हैं। इन फिल्मों में नायक-नायिका के पारंपरिक रूप नहीं थे। यहां कोई सुपरहीरो नहीं था, बल्कि साधारण किरदार थे जो अपनी कमजोरियों के बावजूद दुनिया को बेहतर बनाने का सपना देखते थे। यही कारण है कि Ghibli को आज भी दुनिया भर में एक खास स्थान प्राप्त है।
और आज जब AI टूल्स लोगों की तस्वीरों को Ghibli स्टाइल में बदलकर सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से शेयर कर रहे हैं, तो मियाजाकी का मन उदास है। ChatGPT के GPT-4o वर्जन में जो इमेज जेनरेशन फीचर आया है, उसमें “Ghibli Style” नाम से एक आर्ट फॉर्म शामिल किया गया है। लोग अपनी सेल्फी अपलोड करते हैं, और कुछ सेकंड में उन्हें एक जादुई Ghibli-style कार्टून इमेज मिल जाती है।
कोई अपने बच्चों की फोटो बदल रहा है, कोई अपनी शादी की तस्वीर को Ghibli मोड में डालकर इंस्टाग्राम पर लाइक्स बटोर रहा है। पर इस पूरे ट्रेंड के बीच, जो सवाल सबसे ज्यादा चुभने वाला है, वह यह है – क्या हम आर्ट के नाम पर किसी की आत्मा को कॉपी कर रहे हैं?
मियाजाकी का जवाब साफ है – यह “जीवन का अपमान” है। उन्होंने कहा कि AI चाहे जितना भी स्मार्ट क्यों न हो जाए, वह इंसानी भावनाओं और आत्मा को छूने वाली कलाकृति नहीं बना सकता। उनकी ये भावना केवल किसी नाराज कलाकार की शिकायत नहीं है, बल्कि वह पीड़ा है जो तब होती है जब सालों की मेहनत, मेहनत से गढ़ी कला और असली जज्बात को मशीन महज एक कोड की तरह पेश करने लगे।
मियाजाकी ने एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया था कि AI से बनी Ghibli इमेजेस देखकर उन्हें यह महसूस होता है जैसे कला की आत्मा को मारा जा रहा है।
AI-generated Ghibli-style आर्ट भले ही लोगों को क्रिएटिव लग रहा हो, लेकिन इसके पीछे जो असली Ghibli Studio है, उसकी कमाई और साख पर भी असर पड़ सकता है। Ghibli Studio सिर्फ फिल्मों से पैसे नहीं कमाता। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा मर्चेंडाइज, डीवीडी सेल्स, स्ट्रीमिंग राइट्स और इंटरनेशनल डिस्ट्रीब्यूशन से आता है।
जब लोग Ghibli स्टाइल की नकली इमेजेस से ही संतुष्ट हो जाएंगे, तो असली प्रोडक्ट्स की वैल्यू कम हो सकती है। खासकर युवा पीढ़ी के लिए, जो आज पहली बार Ghibli Style का नाम AI की वजह से सुन रही है, उनके लिए असली और नकली का फर्क समझना मुश्किल हो सकता है।
मियाजाकी की मौजूदा नेटवर्थ लगभग 50 मिलियन डॉलर यानी करीब 435 करोड़ रुपये है। ये दौलत उन्होंने किसी शॉर्टकट से नहीं कमाई, बल्कि सालों की क्रिएटिव मेहनत, संघर्ष, और अपनी कला के प्रति लगाव से बनाई है। उनकी इनकम का मुख्य सोर्स Ghibli Studio है – जहां से फिल्में बनती हैं, डीवीडी और मर्चेंडाइज़ बिकते हैं, और नेटफ्लिक्स जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट बेचा जाता है। इसके अलावा, उनके स्टूडियो की पार्टनरशिप्स, इंटरनेशनल रिलीज़, और ब्रांड लाइसेंसिंग भी एक बड़ा रेवन्यू सोर्स हैं।
अब ज़रा सोचिए – अगर AI हर किसी को मुफ्त में Ghibli-style आर्ट बनाकर देने लगे, तो असली Ghibli प्रोडक्ट्स की वैल्यू कहां जाएगी? अगर आर्ट को मशीनें सस्ते में कॉपी कर दें, तो उस आर्ट की आत्मा बचती है क्या? क्या हम इतनी आसानी से एक कलाकार की पहचान और उसकी कला को एक बटन दबाकर हासिल कर सकते हैं?
यहां पर एक और दिलचस्प बात सामने आती है – Ghibli Style के असली मालिक यानी मियाजाकी ने कभी भी अपनी स्टाइल को पब्लिक डोमेन में नहीं दिया। फिर भी ChatGPT ने अपने नए AI फीचर में इसे जोड़ दिया। क्या यह एक नैतिक विवाद नहीं है? क्या ये किसी कलाकार के अधिकार का हनन नहीं है? क्या हम किसी की रचनात्मक पहचान को बिना अनुमति के कॉपी कर सकते हैं? अगर ये चलन इसी तरह बढ़ता गया, तो क्या आने वाले समय में हर कलाकार अपनी कला को बचाने के लिए कोर्ट जाएगा?
मियाजाकी ने कई बार इंटरव्यू में कहा है कि वह तकनीक से डरते नहीं हैं, लेकिन वह उस तकनीक को कभी स्वीकार नहीं कर सकते जो इंसानियत की जगह लेने लगे। AI से बना आर्ट उनके लिए सिर्फ नकली तस्वीरें नहीं हैं – वो उनके जीवन के संघर्ष, कला, और भावनाओं की तौहीन हैं। उनके अनुसार, मशीन कभी भी उस ‘असलीपन’ को नहीं समझ सकती जो एक कलाकार की उंगलियों से बहकर कैनवास पर आता है।
अब सवाल ये उठता है कि क्या इस सब से मियाजाकी की कमाई पर असर पड़ेगा? इसका जवाब थोड़ा जटिल है। हो सकता है कि Ghibli Studio के मर्चेंडाइज़ की बिक्री घटे, हो सकता है कि लोग अब ऑनलाइन बने नकली घिबली आर्ट से ही संतुष्ट हो जाएं, और हो सकता है कि उनकी फिल्मों की यूनीकनेस भी धीरे-धीरे कम होती जाए। लेकिन फिर भी एक उम्मीद की किरण बाकी है – असली कला की चमक कभी पूरी तरह फीकी नहीं होती।
लोग अभी भी “Spirited Away” को बार-बार देखते हैं, आज भी “Howl’s Moving Castle” के किरदारों से जुड़ते हैं, और “Princess Mononoke” की कहानी को अपने बच्चों को सुनाते हैं। यही मियाजाकी की असली जीत है। वह जानते हैं कि ट्रेंड्स आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन कला जो दिल से निकली हो, वह हमेशा के लिए रह जाती है।
AI कितना भी आगे निकल जाए, इंसानी दिल से निकली कहानी की गहराई को वह शायद ही छू पाए। और शायद यही वजह है कि जब एक मशीन Ghibli स्टाइल में किसी की सेल्फी को बदल देती है, तो लाखों लाइक्स तो मिल जाते हैं, लेकिन मियाजाकी की आंखें नम हो जाती हैं।
Conclusion:-
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