Rahul Gandhi’s Concern: GST बढ़ाने की तैयारी पर सरकार का कदम: राहुल गांधी की चिंता और जनता की प्रतिक्रियाएं I 2024

नमस्कार दोस्तों, भारत में goods and services tax (GST) व्यवस्था को सुधारने और बढ़ाने को लेकर चर्चा एक बार फिर गरम हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि, GST की दरों में बदलाव lower and middle class की मेहनत की कमाई पर एक और आघात है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि मोदी सरकार ‘गब्बर सिंह टैक्स’ के नाम पर आम जनता से अधिक वसूली कर रही है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि 1500 रुपये से अधिक कीमत वाले कपड़ों पर GST दर 12% से बढ़ाकर 18% करने की योजना है। उन्होंने इसे “घोर अन्याय” बताया और कहा कि शादियों के मौसम में लोग पाई-पाई जोड़कर पैसे बचा रहे हैं, और ऐसे में सरकार का यह कदम आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगा। उनका कहना है कि अरबपतियों को टैक्स में छूट देने, और बड़े कर्ज माफ करने के लिए सरकार lower and middle class पर टैक्स का बोझ डाल रही है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

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सबसे पहले बात करते हैं कि क्या सरकार GST में बदलाव की तैयारी कर रही है?

हाल ही में ऐसी अटकलें तेज हो गई थीं कि केंद्र सरकार GST की दरों में बड़ा बदलाव कर सकती है। कहा जा रहा था कि कपड़ों और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर GST की दरें बढ़ाई जा सकती हैं। इन अटकलों के बीच Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC)  ने इन खबरों को खारिज कर दिया। CBIC ने स्पष्ट किया कि GST council ने अभी तक GST दरों में किसी बदलाव पर कोई चर्चा नहीं की है।

हालांकि, GST Council के Group of Ministers (GOM) ने पिछले महीने एक बैठक में समाज के लिए हानिकारक वस्तुओं, जैसे सिगरेट, तंबाकू, और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर टैक्स बढ़ाने की सिफारिश की थी। इन वस्तुओं पर टैक्स दर 35% तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, कपड़ों की विभिन्न Categories पर Tax rationalisation के लिए भी सुझाव दिए गए हैं, जिससे 1500 रुपये से अधिक कीमत वाले कपड़ों पर GST दरों में वृद्धि हो सकती है।

अब सवाल उठता है कि जीएसटी में बदलाव का lower and middle class पर क्या प्रभाव पड़ेगा, और इससे उनकी Lifestyle कैसे प्रभावित हो सकती है?

GST को लागू करने का उद्देश्य था कि भारत में टैक्स व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाया जाए। लेकिन यह व्यवस्था आम जनता के लिए कई बार चिंता का विषय बन जाती है, जब आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने की खबरें आती हैं। राहुल गांधी का कहना है कि GST दरों में किसी भी तरह की वृद्धि से lower and middle class के परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।

1500 रुपये से अधिक कीमत वाले कपड़ों पर 18% GST लगाने का मतलब है कि, शादी या किसी खास अवसर के लिए तैयारियां कर रहे परिवारों को अधिक खर्च करना पड़ेगा। इससे न केवल आम लोगों की जेब पर असर पड़ेगा, बल्कि रेडीमेड गारमेंट्स और टेक्सटाइल Industry पर भी इसका प्रभाव हो सकता है।

अब बात करते हैं कि राहुल गांधी ने GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ क्यों कहा, और इस बयान का सरकार और जनता पर क्या प्रभाव पड़ा है?

राहुल गांधी ने GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ करार दिया है, जो उनके अनुसार सरकार द्वारा टैक्स वसूली के एक अन्यायपूर्ण तरीके का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स को कम करके और इनकम टैक्स और GST को बढ़ाकर सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रही है। उनका यह बयान दर्शाता है कि कांग्रेस सरकार की नीतियों को केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक असंतुलन का कारण भी मानती है।

GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहने का तात्पर्य यह था कि यह tax system डाकू गब्बर सिंह की तरह जनता से जबरन वसूली कर रही है। राहुल गांधी का मानना है कि GST की Complexity और High rates के कारण, छोटे व्यापारी और आम लोग आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि GST केवल एक टैक्स नहीं है, बल्कि यह lower and middle class की मेहनत की कमाई को छीनने का जरिया बन चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस अन्याय के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाएगी और सरकार पर दबाव बनाएगी।

अब सवाल है कि Central Board of Indirect Taxes and Customs, और Group of Ministers का जीएसटी दरों में बदलाव को लेकर क्या रुख है, और इस पर सरकार की क्या योजना है?

Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC) ने GST दरों में बदलाव की खबरों को खारिज किया है, लेकिन Group of Ministers की सिफारिशें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि, कपड़ों और अन्य वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव वास्तविक है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह ने सिगरेट, तंबाकू, और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसी हानिकारक वस्तुओं पर 35% टैक्स लगाने की सिफारिश की है।

इसके अलावा, कपड़ों पर टैक्स दरों में Rationalization का प्रस्ताव दिया गया है, जिसके तहत 1500 रुपये तक के कपड़ों पर 5%, 1500 से 10,000 रुपये तक के कपड़ों पर 18%, और 10,000 रुपये से अधिक कीमत वाले कपड़ों पर 28% टैक्स लगाने की बात कही गई है। यह प्रस्ताव न केवल Consumers के लिए, बल्कि टेक्सटाइल Industry के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

अब सवाल उठता है कि जीएसटी दरों में बदलाव का देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर क्या आर्थिक प्रभाव पड़ेगा?

GST दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि का सीधा प्रभाव Consumers और Industries पर पड़ता है। यदि 1500 रुपये से अधिक कीमत वाले कपड़ों पर GST दर 18% होती है, तो इससे टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट Industry पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। यह Industry पहले से ही COVID-19 महामारी के बाद धीमी रिकवरी की स्थिति में है। इसके अलावा, बढ़ी हुई टैक्स दरें Consumers के खर्च को सीमित कर सकती हैं, जिससे Demand में कमी आ सकती है। Experts का मानना है कि GST दरों में बढ़ोतरी से Middle and low income group पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा, जो देश की कुल खपत को प्रभावित कर सकता है।

अब सवाल है कि क्या जीएसटी दरों में बदलाव को टैक्स सुधार माना जा सकता है, या यह आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला कदम होगा?

GST दरों में बदलाव को लेकर सरकार का रुख यह है कि, यह बदलाव केवल समाज के लिए नुकसानदेह वस्तुओं पर लागू होगा। लेकिन राहुल गांधी और विपक्ष का कहना है कि सरकार lower and middle class को Target कर रही है। राहुल गांधी का यह बयान कि सरकार अरबपतियों को टैक्स में छूट देती है और गरीबों पर बोझ बढ़ाती है, जनता के बीच गहरी चिंता पैदा करता है।

विपक्ष का यह भी कहना है कि सरकार को जीएसटी दरों में बदलाव से पहले इसके प्रभाव का अध्ययन करना चाहिए। जरूरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने से न केवल आम आदमी प्रभावित होगा, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

अब बात करते हैं कि जीएसटी दरों में बदलाव को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार क्यों हो रही है, और इसके क्या राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं?

सरकार और विपक्ष के बीच तकरार

GST दरों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच की तकरार अब और बढ़ गई है। जहां सरकार का कहना है कि दरों में बदलाव का उद्देश्य Revenue बढ़ाना, और समाज के लिए हानिकारक वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करना है, वहीं विपक्ष इसे गरीबों पर आर्थिक बोझ डालने का जरिया मानता है। राहुल गांधी का यह दावा कि GST, lower and middle class की मेहनत की कमाई को छीनने का माध्यम बन गया है, इस बहस को और गर्म कर रहा है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार GST के माध्यम से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रही है, जबकि आम जनता के लिए इसे और कठिन बना रही है।

Conclusion:-

तो दोस्तों, GST की दरों में संभावित बदलाव और इसके आर्थिक प्रभाव ने, जनता और Industry World के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। जहां सरकार इसे टैक्स व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाने के तौर पर देख रही है, वहीं विपक्ष इसे जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाने का जरिया बता रहा है।

इस विवाद के बीच जनता को उम्मीद है कि सरकार कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके प्रभावों का गहन अध्ययन करेगी। जरूरतमंद वर्गों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डालने के बजाय, सरकार को टैक्स नीति को संतुलित और न्यायसंगत बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। वहीं, विपक्ष को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह जनता की आवाज को सही तरीके से प्रस्तुत करे, और राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे का दुरुपयोग न करे। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

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