नमस्कार दोस्तों, अगर आपसे पूछा जाए कि भारत में सबसे ज्यादा मेहनती लोग कहां के हैं, तो शायद आप झट से बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र या दिल्ली का नाम लेंगे। ये राज्य बड़े हैं, आबादी ज्यादा है और यहां के लोग अपने संघर्षों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में सबसे ज्यादा मेहनत करने वाले लोग Gujarat राज्य के हैं। यह कोई साधारण दावा नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री की Economic Advisory Council और 2019 टाइम यूज सर्वे के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट का खुलासा है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
आपको बता दें कि वर्क कल्चर को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। खासकर जब दुनिया के कई देशों में हफ्ते में काम करने के घंटे घटाने की मांग उठ रही है, तब भारत में यह बहस और भी तेज हो जाती है। एक संतुलित वर्क-लाइफ बैलेंस आज के दौर की जरूरत बन चुकी है, लेकिन भारत जैसे देश में, जहां तेजी से विकास हो रहा है, वहां कई लोग लंबे समय तक काम करने को मजबूर हैं। लेकिन सवाल यह है कि किस राज्य के लोग सबसे ज्यादा समय तक काम करते हैं और इसका उनकी लाइफस्टाइल और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सबसे ज्यादा काम करने वाला राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य Gujarat है। यहां 7.2% कर्मचारी सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। यह आंकड़ा भारत के किसी भी अन्य राज्य से ज्यादा है। इसका मतलब है कि Gujarat में हर दस में से एक व्यक्ति लगभग हर दिन 10 घंटे से ज्यादा काम कर रहा है। इस लिस्ट में Gujarat के बाद पंजाब, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का नंबर आता है। ये वे राज्य हैं, जहां औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ रही हैं और लोगों को लंबी शिफ्ट में काम करना पड़ता है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोग गांवों में रहने वालों के मुकाबले ज्यादा मेहनत करते हैं। शहरों में औसतन लोग हर दिन 7.8 घंटे काम करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत 6.5 घंटे है। शहरीकरण बढ़ने के साथ-साथ Competition भी बढ़ी है, और इस कारण लोग अधिक समय तक ऑफिस में रहने के लिए मजबूर हैं। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में कृषि और मजदूरी आधारित काम होता है, जहां काम का समय तुलनात्मक रूप से कम होता है।
इसके अलावा, सबसे ज्यादा मेहनत करने वाली शहरी आबादी राजस्थान में है। यहां के लोग औसतन 8.6 घंटे रोजाना काम करते हैं, उसके बाद उत्तराखंड और Gujarat का नंबर आता है, जहां औसतन 8.3 घंटे की शिफ्ट देखी गई है। राजस्थान का यह आंकड़ा इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां पर्यटन उद्योग के साथ-साथ कई पारंपरिक व्यवसाय भी मौजूद हैं, जहां लोग लंबी शिफ्ट में काम करते हैं। उत्तराखंड में पर्यटन और होटल इंडस्ट्री बड़ा कारण हो सकता है, जबकि Gujarat का औद्योगिक और बिजनेस माहौल लोगों को ज्यादा काम करने के लिए प्रेरित करता है।
इस रिपोर्ट में उन राज्यों के बारे में भी बताया गया है, जहां लोग सबसे कम घंटे काम करते हैं। इनमें सबसे ऊपर नाम आता है गोवा का, जहां लोग औसतन 5.9 घंटे ही काम करते हैं। इसके बाद मेघालय में 6.3 और मणिपुर जहां औसत कार्यकाल 6.1 घंटे है। इस आंकड़े से साफ होता है कि भारत के Northeast राज्यों और गोवा में जीवनशैली अन्य राज्यों से काफी अलग है।
गोवा एक टूरिज्म हब है, जहां लोगों की प्राथमिकता आरामदायक जीवन जीने की होती है। वहीं, Northeast भारत की संस्कृति भी संतुलित जीवनशैली को प्राथमिकता देती है, जहां लोग काम के साथ-साथ अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन पर भी ध्यान देते हैं।
अगर जेंडर के हिसाब से देखें, तो शहरी क्षेत्रों में पुरुष औसतन 8.2 घंटे काम करते हैं, जबकि महिलाएं सिर्फ 6.2 घंटे काम करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा और भी अलग है। वहां पुरुषों की औसत कार्य अवधि 7.3 घंटे है, जबकि महिलाएं केवल 5.6 घंटे ही काम करती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि महिलाओं की एक बड़ी आबादी घर के कामकाज में लगी रहती है, जिसे औपचारिक रोजगार की श्रेणी में नहीं गिना जाता। हालांकि, यह सच्चाई है कि महिलाएं घर और बाहर दोनों मोर्चों पर मेहनत कर रही हैं, लेकिन उनके योगदान को अकसर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
अब सवाल उठता है कि Gujarat के लोग इतने मेहनती क्यों हैं? इसका जवाब ढूंढने के लिए हमें वहां के व्यापारिक माहौल को समझना होगा। Gujarat भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक राज्य है और वहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से व्यापार और उत्पादन पर आधारित है। Gujarat के शहरों, खासकर अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा में छोटे और मध्यम उद्यमों की संख्या बहुत ज्यादा है।
यहां के व्यापारी और कारोबारी हमेशा अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने की सोचते हैं, इसलिए वे अपने कर्मचारियों से भी ज्यादा काम की उम्मीद करते हैं। इसके अलावा, Gujarat का सांस्कृतिक और पारंपरिक ढांचा भी मेहनत पर आधारित है। वहां के लोग बचपन से ही व्यापार और मेहनत को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए वे ज्यादा घंटे तक काम करने में सहज महसूस करते हैं।
वहीं, पंजाब भी इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जहां के लोग भी औसतन ज्यादा समय तक काम करते हैं। पंजाब का कृषि क्षेत्र, ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री और बिजनेस समुदाय हमेशा से मेहनती रहा है। वहां के लोग न सिर्फ अपने काम के प्रति समर्पित होते हैं, बल्कि विदेशों में भी नौकरी और व्यापार के लिए जाते हैं। पंजाब में औद्योगीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं और लोगों की कार्यशैली में बदलाव आया है।
इसके अलावा, महाराष्ट्र भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई का घर है। यहां कई मल्टीनेशनल कंपनियां, स्टार्टअप्स, बॉलीवुड इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर के बड़े नाम मौजूद हैं। इस वजह से महाराष्ट्र में काम करने वाले लोगों का जीवन काफी व्यस्त होता है। यहां की कार्यसंस्कृति बहुत तेज है, जहां हर कोई अपने करियर को ऊंचाई पर ले जाने की होड़ में लगा रहता है। इसलिए महाराष्ट्र भी सबसे ज्यादा काम करने वाले राज्यों की लिस्ट में शामिल है।
इस रिपोर्ट से यह साफ होता है कि भारत में अलग-अलग राज्यों की कार्यसंस्कृति एक-दूसरे से काफी भिन्न है। जहां एक तरफ कुछ राज्य जैसे Gujarat, पंजाब और महाराष्ट्र मेहनत के मामले में आगे हैं, वहीं गोवा और Northeast के राज्यों में लोग संतुलित जीवनशैली को प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, एक सवाल हमेशा बना रहता है कि क्या लंबे समय तक काम करना ही सफलता की कुंजी है, या फिर एक संतुलित वर्क-लाइफ बैलेंस होना जरूरी है?
आज के दौर में कंपनियां कर्मचारियों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए स्मार्ट वर्क पर जोर दे रही हैं, जहां कम समय में अधिक परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। कई विकसित देशों में अब वर्किंग आवर्स को घटाने की मांग की जा रही है, जिससे लोग अपने निजी जीवन को भी प्राथमिकता दे सकें। भारत में भी यह चर्चा धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है, लेकिन यहां की सामाजिक और आर्थिक संरचना के कारण यह बदलाव जल्दी नहीं आ सकता।
भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था किस दिशा में जाएगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग अपने कार्य और जीवन के बीच कितना संतुलन बना पाते हैं। मेहनत करना जरूरी है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से प्रबंधित किया जाए, तो यह और भी प्रभावी हो सकता है। इसलिए, चाहे आप Gujarat, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान या किसी भी राज्य से हों, मेहनत और स्मार्ट वर्क के बीच सही तालमेल बनाना ही असली सफलता की कुंजी है।
Conclusion
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