नमस्कार दोस्तों, क्या आपने कभी गौर किया है कि कॉर्पोरेट जगत में ऊंचे पदों पर महिलाओं की संख्या इतनी कम क्यों होती है? क्या वाकई महिलाओं में क्षमता की कमी होती है, या यह किसी गहरी Mentality और Social bias का परिणाम है? हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर कैथरीन कॉफमैन की हालिया रिसर्च ने इस सवाल का चौंकाने वाला जवाब दिया है। इस research में पाया गया कि महिलाएं तब तक हाई सैलरी और टॉप पोजीशन वाली नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करतीं, जब तक उन्हें पूरी तरह से यकीन न हो कि वे 100% eligible हैं। इसके विपरीत, पुरुष सिर्फ 60% Eligibility पूरी होने पर भी बड़े आत्मविश्वास के साथ आवेदन कर देते हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर क्यों महिलाएं खुद को सीमित कर लेती हैं? क्या यह सिर्फ आत्मविश्वास की कमी है, या इसकी जड़ें कहीं ज्यादा गहरी हैं? इस वीडियो में हम जानेंगे कि कैसे महिलाओं को Professional रूप से सीमित किया जाता है, और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत क्यों है।
महिलाएं बड़े पदों के लिए आवेदन करने में हिचकिचाहट क्यों महसूस करती हैं?
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर कैथरीन कॉफमैन ने अपनी रिसर्च के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए। उन्होंने 2018 की फिजिक्स नोबेल पुरस्कार विजेता डोना स्ट्रिकलैंड का उदाहरण साझा किया। जब डोना से पूछा गया कि इतनी सफलता और ज्ञान होने के बावजूद, उन्होंने कभी प्रोफेसरशिप के लिए आवेदन क्यों नहीं किया, तो उनका जवाब था – “मैंने कभी अप्लाई ही नहीं किया।” यह जवाब हैरान करने वाला था, लेकिन महिलाओं के Professional behavior की एक बड़ी सच्चाई को उजागर करता है। महिलाएं तब तक खुद को बड़े पदों के लिए योग्य नहीं मानतीं, जब तक वे पूरी तरह से हर एक Eligibility को पूरा न कर लें। इस सोच के पीछे एक गहरी social structure है, जहां महिलाओं को बचपन से ही सुरक्षित और सीमित भूमिकाओं के लिए प्रेरित किया जाता है। इसके विपरीत, पुरुष खुद को सिर्फ 60% Eligibility होने पर भी योग्य मानते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।
क्या महिलाओं की सफलता में, आत्मविश्वास की कमी या सामाजिक संरचना अधिक जिम्मेदार है?
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह समस्या आत्मविश्वास की कमी का परिणाम है, या फिर यह समाज में गहरे से जड़ जमा चुकी संरचना का हिस्सा है? रिसर्च बताती है कि यह सिर्फ आत्मविश्वास की समस्या नहीं है, बल्कि महिलाओं को बचपन से ही ऐसी मानसिकता में ढाला जाता है। बचपन में ही लड़कियों को “सुरक्षित विकल्प” अपनाने की सलाह दी जाती है। विज्ञान, गणित और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सीमित होती है, जबकि टीचिंग, नर्सिंग और एडमिनिस्ट्रेटिव जॉब्स जैसी भूमिकाओं को उनके लिए उपयुक्त बताया जाता है। यह मानसिकता उनकी सोच और करियर चॉइस पर गहरा प्रभाव डालती है। बड़ी सैलरी और हाई पोजीशन वाली नौकरियों में Risk और चुनौती अधिक होती है। महिलाएं इस Risk से बचने के लिए या तो इन पदों के लिए आवेदन ही नहीं करतीं, या फिर खुद को पर्याप्त योग्य मानने से पहले कई बार सोचती हैं। समाज के इस गहरे प्रभाव के चलते ही महिलाएं अक्सर खुद को कम आंकने लगती हैं।
Workplace पर gender discrimination और असमानता किस प्रकार महिलाओं को प्रभावित करती है?
Workplace पर gender discrimination और असमानता महिलाओं के आत्मविश्वास को और अधिक प्रभावित करता है। Workplace पर महिलाओं के लिए समान अवसर और सम्मानित वातावरण न होना भी एक बड़ा कारण है। जब महिलाएं Higher positions के लिए आवेदन करती हैं, तो उनसे कई बार ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं, जो उनके gender के आधार पर भेदभावपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिए: “क्या आप शादी के बाद भी काम जारी रखेंगी?”, “क्या आप परिवार और करियर के बीच संतुलन बना पाएंगी?”। इसके विपरीत, पुरुषों से आमतौर पर उनके स्किल्स और अनुभव को लेकर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा, प्रमोशन और सैलरी इनक्रीमेंट में भी महिलाओं के साथ भेदभाव की घटनाएं आम हैं। कई बार Male colleagues कम अनुभव के बावजूद लीडरशिप रोल्स में आसानी से जगह बना लेते हैं, जबकि महिलाएं समान योग्यता के बावजूद संघर्ष करती हैं। यह माहौल महिलाओं के मन में एक Subconscious डर पैदा करता है, जिससे वे Higher positions के लिए अप्लाई करने से बचती हैं।
महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए आवेदन क्यों करती हैं?
रिसर्च में यह भी पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए ज्यादा आवेदन करती हैं। 2022 में प्रकाशित “Words Matter: Gender, Jobs and Applicant Behaviour” नामक स्टडी में 1,57,888 नौकरियों और 6.45 मिलियन एप्लीकेशंस का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के नतीजे चौंकाने वाले थे। इसमें पाया गया कि महिलाएं On average 3.7% कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए अप्लाई करती हैं, जबकि उनकी योग्यता और अनुभव पुरुषों के बराबर थे। इसका कारण सिर्फ आत्मविश्वास की कमी नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए नौकरी में स्थिरता और लचीलापन होना भी है। महिलाएं ऐसी नौकरियों को प्राथमिकता देती हैं, जहां कार्यभार कम हो, काम के घंटे लचीले हों, और सुरक्षित वातावरण हो। कई बार महिलाएं परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए कम सैलरी वाली नौकरियों को चुनती हैं।
नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं की कमी क्यों है, और इसका कॉर्पोरेट प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
महिलाओं के आत्मविश्वास की कमी और कार्यस्थल की असमानता के कारण, Higher positions पर उनकी भागीदारी बेहद सीमित है। Fortune 500 कंपनियों की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 8% CEO महिलाएं हैं। यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि किस तरह कॉर्पोरेट जगत में महिलाएं अब भी उच्च नेतृत्व पदों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका सीधा असर कंपनियों की Productivity और Diversity पर पड़ता है। कई अध्ययनों ने साबित किया है कि Diversified Leadership वाली कंपनियों में बेहतर innovation और क्रिएटिविटी होती है। फिर भी, महिलाओं को इन अवसरों से वंचित किया जाता है।
महिलाओं की नेतृत्व भूमिकाओं में भागीदारी बढ़ाने और असमानता दूर करने के लिए क्या कदम जरूरी हैं?
इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए समाज और कार्यस्थलों में कई महत्वपूर्ण बदलावों की आवश्यकता है। सबसे पहले, लड़कियों को बचपन से आत्मविश्वास और Risk लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। स्कूलों में STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) विषयों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। Corporate Sector में महिलाओं के लिए Leadership Training और Mentorship Program लागू किए जाने चाहिए। कंपनियों को Gender Bias-Free Hiring और Promotion Policies को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही, कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए सुरक्षित और समान अवसरों वाला वातावरण सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि वे आत्मविश्वास के साथ Higher positions के लिए आवेदन कर सकें।
Conclusion
तो दोस्तों, महिलाओं का आत्मविश्वास और उनके करियर विकल्पों की सीमितता केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक संरचना का नतीजा है। समाज, शिक्षा प्रणाली और कार्यस्थलों को मिलकर इस मानसिकता को बदलना होगा।
यह समय है कि महिलाओं को सिर्फ ‘सुरक्षित नौकरियों’ तक सीमित रखने के बजाय उन्हें नेतृत्व भूमिकाओं में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। जब महिलाएं समान अवसरों के साथ आगे बढ़ेंगी, तो न केवल उनके करियर में बदलाव आएगा, बल्कि पूरा समाज और अर्थव्यवस्था इससे लाभान्वित होगी। आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? क्या महिलाओं को अधिक अवसर मिलना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।
अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”