नमस्कार दोस्तों, क्या भारत और अमेरिका के बीच एक नया व्यापार युद्ध शुरू होने वाला है? क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी भारत के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है? व्हाइट हाउस से आई एक ताजा प्रतिक्रिया ने दुनिया भर के व्यापारिक बाजारों में हलचल मचा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के Tariff से खुश नहीं हैं, और इसका कारण है टैरिफ। ट्रंप प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका भारत के मौजूदा Import duty से संतुष्ट नहीं है, और इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच टकराव और गहरा सकता है।
भारत ने हाल ही में अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर Import duty घटाया था, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका की नाराजगी कम नहीं हुई है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने बयान देकर साफ कर दिया है कि, ट्रंप प्रशासन भारत से व्यापारिक संतुलन की मांग कर रहा है। आखिर इस पूरे मामले के पीछे की सच्चाई क्या है? क्या ट्रंप प्रशासन भारत पर दबाव बनाकर और अधिक रियायतें चाहता है? और अगर भारत झुका, तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या होगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते दशकों पुराने हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कई बार तनाव देखने को मिला है। खासतौर पर जब डोनाल्ड ट्रंप 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति बने, तब से दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में कड़वाहट बढ़ने लगी। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी Products पर लगाए जा रहे टैरिफ को लेकर भारत से कड़ा रुख अपनाया।
ट्रंप का कहना था कि भारत अमेरिकी Products पर अत्यधिक टैरिफ लगाकर, अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत के बाजार में Competition को असंभव बना रहा है। ट्रंप ने भारत के लिए (Tariff King) शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी Products के लिए सीमित कर रहा है, और अमेरिकी कंपनियों को भारत में कारोबार करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इस मुद्दे को समझने के लिए हमें टैरिफ यानी Import duty की संरचना को समझना होगा। Import duty वह टैक्स है, जो एक देश के भीतर किसी विदेशी Product को बेचने के लिए लगाया जाता है। इसका उद्देश्य Domestic producers को सुरक्षा देना और Foreign competition को सीमित करना होता है। भारत ने कई foreign products पर भारी Import duty लगाया हुआ है।
इनमें सबसे प्रमुख हैं अमेरिकी शराब, कृषि उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक Product, ऑटोमोबाइल और फार्मा प्रोडक्ट्स। उदाहरण के तौर पर, भारत में अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर 150 प्रतिशत का Import duty लगाया जाता है। यानी अगर अमेरिकी शराब की एक बोतल की कीमत 1,000 रुपये है, तो भारत में उसे बेचने के लिए उसे 2,500 रुपये में बेचना होगा। इसके अलावा, भारत में अमेरिकी कृषि उपकरणों पर भी 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिकी Product भारत के बाजार में महंगे हो जाते हैं, जिससे भारतीय Producers को फायदा मिलता है।
हाल ही में व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने ट्रंप प्रशासन की इस नाराजगी को सार्वजनिक कर दिया। कैरोलिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका भारत के साथ पारस्परिक और समान व्यापार की व्यवस्था चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने Tariff स्ट्रक्चर में बदलाव करना चाहिए ताकि अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में समान अवसर मिल सकें। लेविट ने कहा कि भारत में अमेरिकी शराब और agricultural products पर लगाए गए Tariff अत्यधिक हैं और इसे तुरंत कम किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राष्ट्रपति ट्रंप इस मुद्दे को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाने वाले हैं।
इससे पहले भी भारत ने ट्रंप प्रशासन की नाराजगी को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए थे। भारतीय वित्त मंत्रालय ने इस साल के आम बजट में कई Products पर Import duty में कमी की घोषणा की थी। भारत ने अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर Import duty पहले ही घटा दिया था। इसके अलावा, भारत ने लग्जरी कारों, सोलर सेल, इलेक्ट्रॉनिक चिप्स, केमिकल्स और कई अन्य Products पर Import duty की समीक्षा की है। वित्त मंत्रालय ने इस साल Average import duty को 13 प्रतिशत से घटाकर 11 प्रतिशत कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद अमेरिका इससे संतुष्ट नहीं है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत को अमेरिकी Products पर Tariff पूरी तरह खत्म करना चाहिए।
इसके अलावा, इस पूरे मामले का दूसरा पहलू यह है कि अमेरिका खुद भी भारतीय Products पर भारी Tariff लगाता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में भारतीय स्टील और एल्युमिनियम Products पर 25 से 50 प्रतिशत तक Import duty लगाया जाता है। अमेरिकी टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी Indian dresses और कपड़ों पर भारी ड्यूटी लगाती है। लेकिन अमेरिका इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिकी बाजार भारतीय कंपनियों के लिए खुला है, जबकि भारत अपने बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए बंद कर रहा है। यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन भारत से इस मुद्दे पर सीधा टकराव कर रहा है।
अमेरिका सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अन्य देशों पर भी Tariff को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने कनाडा और मैक्सिको के स्टील और एल्युमिनियम Products पर Import duty बढ़ा दिया था। ट्रंप ने कनाडा के Products पर Tariff को दोगुना कर दिया था। ट्रंप ने कहा था कि कनाडा दशकों से अमेरिका का फायदा उठा रहा है और अब इसे बंद करने का समय आ गया है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर भारत ट्रंप प्रशासन की मांगों को मान लेता है, तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा? अगर भारत ने अमेरिकी Products पर टैरिफ कम कर दिया, तो इससे भारतीय Producers को सीधा नुकसान होगा।
उदाहरण के तौर पर, अगर भारत ने अमेरिकी शराब पर Tariff को खत्म कर दिया, तो भारतीय शराब कंपनियों को कड़ी Competition का सामना करना पड़ेगा। इसी तरह अगर अमेरिकी कृषि उपकरणों पर Tariff कम हुआ, तो इससे भारतीय कृषि उपकरण निर्माताओं को नुकसान होगा। इसके अलावा, अगर भारत ने अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर टैरिफ कम किया, तो इससे भारतीय ऑटो कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ सकता है।
दूसरी ओर, अगर भारत ने Tariff को कम करने से इनकार कर दिया, तो अमेरिका भारतीय Products पर भी भारी Tariff लगा सकता है। इसका असर भारतीय टेक्सटाइल, स्टील, फार्मा और ऑटो सेक्टर पर पड़ेगा। भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका भारत के लिए व्यापार प्रतिबंध भी लगा सकता है, जिससे भारतीय कंपनियों को बड़ा नुकसान होगा।
इस पूरे मामले में भारत के सामने दो ही रास्ते हैं – या तो ट्रंप प्रशासन की मांगों को मानकर टैरिफ कम कर दिया जाए, या फिर अमेरिका के Tariff वार के लिए खुद को तैयार किया जाए। अगर भारत ने टैरिफ कम किया, तो इससे घरेलू कंपनियों को नुकसान होगा। अगर भारत ने Tariff घटाने से इनकार किया, तो इससे अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते खराब हो सकते हैं।
ट्रंप प्रशासन के इस कड़े रुख ने भारत के लिए एक मुश्किल स्थिति खड़ी कर दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस मामले को कैसे संभालती है। क्या भारत ट्रंप प्रशासन के दबाव में झुकेगा, या फिर अमेरिका के Tariff वार के खिलाफ डटकर खड़ा रहेगा? इस पूरे मामले का असर भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर जरूर पड़ेगा।
Conclusion
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