नमस्कार दोस्तों, मुंबई देश की आर्थिक राजधानी ही नहीं है, यहां इलाज के लिए भी देश भर से लोग आते हैं। देश के बड़े अस्पताल और हेल्थ केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी मुंबई को एक महत्वपूर्ण शहर माना जाता है। यहां के अस्पतालों में देश-विदेश के कई नामचीन हस्तियां इलाज कराने आती हैं। लेकिन हाल ही में मुंबई के प्रतिष्ठित Lilavati Hospital से जुड़ा एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने पूरे हेल्थकेयर सेक्टर को हिलाकर रख दिया है।
मामला सिर्फ पैसों की हेराफेरी का ही नहीं है, बल्कि इसमें काला जादू और तांत्रिक गतिविधियों का भी जिक्र किया गया है। इस खबर के सामने आते ही पूरे देश में हड़कंप मच गया है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
Lilavati Hospital का नाम देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में आता है। इसकी स्थापना 1997 में की गई थी और तब से लेकर अब तक इस अस्पताल ने लाखों लोगों का इलाज किया है। इस अस्पताल की गिनती भारत के सबसे महंगे और आधुनिक अस्पतालों में होती है। देश की कई बड़ी हस्तियां, उद्योगपति, बॉलीवुड सितारे और राजनेता भी यहां इलाज कराने आते हैं। इस अस्पताल का संचालन लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMMT) के हाथ में है। ट्रस्ट के सदस्यों के बीच आंतरिक कलह और Financial irregularities के कारण इस अस्पताल की साख को बड़ा झटका लगा है।
यह मामला तब सामने आया जब ट्रस्ट के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने एक फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया। इस ऑडिट में चौंकाने वाले खुलासे हुए। रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के फंड्स को अवैध रूप से डायवर्ट किया गया था। अस्पताल के लिए खरीदी गई मेडिकल मशीनरी के लिए ओवरबिलिंग की गई थी। फंड्स को विदेशों में ट्रांसफर किया गया और वहां Investment किया गया। इसके अलावा अस्पताल परिसर में काला जादू और तांत्रिक गतिविधियों के सबूत भी मिले। इन सब घटनाओं के बाद प्रशांत मेहता ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में तीन एफआईआर दर्ज करवाईं, और Directorate of Enforcement (ईडी) के साथ भी शिकायत की।
Lilavati Hospital में करीब 1,500 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया गया है। इसमें से 11.52 करोड़ रुपये का गबन मेफेयर रियल्टर्स, और वेस्टा इंडिया में गलत तरीके से Investment करके किया गया। इसके अलावा 44 करोड़ रुपये की हेराफेरी कानूनी फीस के रूप में की गई। सबसे बड़ा घोटाला मेडिकल उपकरणों की खरीद में किया गया। इसमें करीब 1,200 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। इन लेन-देन में ट्रस्ट के 14 पूर्व ट्रस्टियों और तीन निजी कंपनियों की संलिप्तता सामने आई है।
घोटाले का खुलासा तब हुआ जब अस्पताल की ओर से नियुक्त किए गए एक स्वतंत्र ऑडिटर ने अस्पताल के Financial रिकॉर्ड की जांच की। ऑडिट में यह पाया गया कि अस्पताल के फंड्स का इस्तेमाल प्राइवेट रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में किया गया था। जिन कंपनियों को फंड ट्रांसफर किया गया, उनमें से कई विदेशों में रजिस्टर्ड थीं। इनमें दुबई और बेल्जियम की कंपनियां प्रमुख थीं।
ट्रस्ट के आंतरिक झगड़े ने इस पूरे घोटाले को और पेचीदा बना दिया है। बताया जा रहा है कि लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापक किशोरी मेहता ने, 2002 में अपने भाई विजय मेहता को ट्रस्ट का संचालन सौंप दिया था। विजय मेहता ने इस अवसर का फायदा उठाया और अपने बेटे और अन्य रिश्तेदारों को ट्रस्टी बना दिया। इसके लिए दस्तावेजों की हेराफेरी की गई। जब किशोरी मेहता को इस साजिश का पता चला, तो उन्होंने कोर्ट में मुकदमा दायर किया। लेकिन 2024 में किशोरी मेहता के निधन के बाद प्रशांत मेहता को ट्रस्ट का स्थायी ट्रस्टी बनाया गया। प्रशांत मेहता ने जब Financial रिकॉर्ड की जांच कराई, तब इस घोटाले का खुलासा हुआ।
इस मामले की जांच अब Directorate of Enforcement (ईडी), मुंबई पुलिस की Economic Offenses Branch (EOW) और Income Tax Department कर रहे हैं। इसके अलावा, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया है। इस घोटाले का असर Lilavati Hospital की साख पर पड़ा है। अस्पताल के प्रशासन में अब बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले में काले जादू का भी मामला सामने आया है। प्रशांत मेहता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अस्पताल परिसर की तलाशी ली। तलाशी के दौरान पुलिस को सात खोपड़ियां, इंसानी बाल और अन्य तांत्रिक वस्तुएं मिलीं। पुलिस को शक है कि यह काला जादू अस्पताल के कर्मचारियों को प्रभावित करने और ट्रस्ट के संचालन पर नियंत्रण पाने के लिए किया गया था।
इस मामले में अस्पताल के पूर्व ट्रस्टियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिन ट्रस्टियों के नाम इस मामले में शामिल हैं, उनमें से कई अब विदेश में रह रहे हैं। इनमें से कुछ ट्रस्टियों के दुबई और बेल्जियम में बड़े बिजनेस हैं। पुलिस को शक है कि अस्पताल के फंड्स को इन बिजनेस में Investment किया गया है।
इसके अलावा, Directorate of Enforcement (ईडी) ने अब इस मामले की जांच के लिए इंटरपोल से मदद मांगी है। अगर इंटरपोल की मदद से ये ट्रस्ट के पूर्व सदस्य पकड़े जाते हैं, तो घोटाले की सच्चाई सामने आ सकती है।
इस मामले में Lilavati Hospital के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है। Lilavati Hospital के कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों ने दावा किया है कि अस्पताल के फंड्स का गलत इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा था। लेकिन जब भी उन्होंने इसकी शिकायत की, तो उनकी आवाज को दबा दिया गया।
Lilavati Hospital का यह घोटाला भारत के हेल्थकेयर सेक्टर के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है। experts का कहना है कि इस मामले के सामने आने के बाद देश के हेल्थकेयर सेक्टर में पारदर्शिता को लेकर नए नियम बनाए जा सकते हैं। भारत सरकार अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है।
Financial experts का कहना है कि इस घोटाले का असर सिर्फ Lilavati Hospital तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे अन्य प्राइवेट अस्पतालों पर भी प्रभाव पड़ेगा। मरीजों का भरोसा अब प्राइवेट अस्पतालों से उठ सकता है। इसके अलावा, सरकार अब हेल्थकेयर सेक्टर के कामकाज पर कड़ी निगरानी रख सकती है।
प्रशांत मेहता ने कहा है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी। उनका कहना है कि ट्रस्ट के नए संचालन के तहत अब Financial रिकॉर्ड को पूरी पारदर्शिता के साथ रखा जाएगा। प्रशांत मेहता ने यह भी कहा है कि जो पैसा गबन किया गया है, उसे ट्रस्ट के फंड्स में वापस लाया जाएगा।
इस मामले की सुनवाई अब मुंबई हाई कोर्ट में चल रही है। कोर्ट ने सरकार को इस मामले की जांच तेजी से करने का आदेश दिया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में दोषियों को कब तक सजा मिलती है। एक बात तो साफ है कि Lilavati Hospital का यह घोटाला भारत के हेल्थकेयर सेक्टर के इतिहास में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
यह मामला सिर्फ एक घोटाले का नहीं है, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि कैसे एक प्रतिष्ठित संस्था में आंतरिक कलह और Financial irregularities उसे पूरी तरह से हिला सकती हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच एजेंसियां इस मामले को किस तरह से निपटाती हैं और दोषियों को कब तक सजा दिलाई जाती है। एक बात तो साफ है कि Lilavati Hospital के इस घोटाले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है।
Conclusion
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